यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए बर्लिनवासियों ने खोले अपने घर
८ मार्च २०२२28 साल के इमैनुअल ओयेडल नाइजीरिया के रहने वाले हैं. उनका सपना था, यूक्रेन में पढ़ाई करके बिजनेस की डिग्री लेना. रूस के यूक्रेन पर अचानक हमला कर देने से इमैनुअल का ये ख्वाब अधूरा रह गया है. इसके बावजूद वह खुद को खुशकिस्मत मानते हैं.
जब रूसी सेना यूक्रेन में आगे बढ़ने लगी, तो इमैनुअल जल्दबाजी में राजधानी कीव छोड़कर भाग गए. उनके साथ उनका छोटा भाई और दो महिला मित्र भी थीं. पहले ट्रेन, फिर पैदल, यूक्रेन से भागने में इमैअनुअल को कई दिन लगे. बहुत मुश्किल सफर के बाद वह बर्लिन पहुंचने में कामयाब हुए. यहां एक अजनबी ने उनका स्वागत किया और अपने घर में जगह दी.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन से करीब एक घंटे की दूरी पर एक झील के किनारे फॉलमन परिवार का घर है. इन्होंने ही इमैनुअल और उनके साथियों को अपने यहां शरण दी है. फॉलमन परिवार ने कहा है कि ये लोग अप्रैल के आखिर तक यहां रह सकते हैं. इमैनुअल बताते हैं, "सारा तनाव खत्म हो गया है."
20 लाख से ज्यादा लोग कर चुके हैं यूक्रेन से पलायन
न्यूज एजेंसी एपी को अपनी आपबीती सुनाते हुए इमैनुअल ने कहा, "इस वक्त मेरे मन में केवल सहानुभूति है. कीव और यूक्रेन के बाकी इलाकों में फंसे अपने भाइयों के लिए मैं बहुत उदास हूं." संघर्ष की स्थिति में हिंसा का शिकार होने के जोखिम के अलावा यूक्रेन में फंसे लोगों की और भी कई मुश्किलें हैं. इमैनुअल बताते हैं कि वहां बिजली की कमी है. इसके कारण लोगों को ठंड में सोना पड़ रहा है. ना गरम पानी उपलब्ध है और ना खाना बनाने का कोई जरिया है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, रूस के हमले के बाद से अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़कर भाग चुके हैं. कई लोग अब भी भागने की कोशिश में हैं. इनमें एशिया और अफ्रीका के छात्रों समेत हजारों विदेशी भी शामिल हैं.
इमैनुअल जब यूक्रेन से निकलने की कोशिश कर रहे थे, तब उन्होंने ऐसी कई खबरें देखीं जिनमें कहा जा रहा था कि पोलैंड की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे अश्वेत लोगों को लौटाया जा रहा है. इन खबरों के चलते इमैनुअल और उनके दोस्तों ने लंबा रास्ता पकड़ा और हंगरी होते हुए बर्लिन पहुंचे.
शरणार्थियों को जगह देने के लिए लोग पहुंचे रेलवे स्टेशन
यहां 4 मार्च की रात बर्लिन रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों जर्मन हाथों में तख्तियां लिए यूक्रेन से आ रहे शरणार्थियों के स्वागत में खड़े थे. तख्तियों पर लिखा था कि कौन कितने शरणार्थियों को अपने घर में जगह दे सकता है. कितने दिन तक उन्हें रख सकता है. इन्हीं में से एक क्रिस्टियन फॉलमन भी थे. उम्र के चौथे दशक में पहुंच चुके क्रिस्टियन टेक उद्यमी हैं. उन्होंने बताया, "मुझे बड़ी असहायता महसूस हो रही थी और मैं कुछ करना चाहता था. हम यहां बहुत आराम की जिंदगी जी रहे हैं."
ट्रेन में बैठकर जो शरणार्थी आए, उन्हें शरण दिलाने का काम वॉलंटियर्स ने अपने जिम्मे लिया. उन्होंने शरण देने के लिए सामने आए लोगों से रिफ्यूजियों का संपर्क स्थापित किया. ज्यादातर शरणार्थी केवल एक बैग साथ ला पाए थे, जिनमें उनके कागजात और सबसे कीमती चीजें थीं.
2015 में जर्मनी ने करीब नौ लाख शरणार्थियों को शरण दी थी. इनमें से ज्यादातर सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के युद्ध से भागकर आए थे. जर्मन नागरिकों की यह भी कोशिश थी कि शरणार्थियों को मुख्यधारा से जोड़ा जाए, उन्हें समाज के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में सहायता दी जाए. हालांकि बड़ी संख्या में शरणार्थियों की आमद से सामाजिक तनाव भी पैदा हुआ और यह स्थिति देश में नई दक्षिणपंथी पार्टी के उभार में मददगार साबित हुई.
भविष्य की चिंता
अब तक बर्लिनवासियों ने यूक्रेन से आ रहे शरणार्थियों की मदद करने में बड़ा दिल दिखाया है, लेकिन साथ-साथ कुछ चिंताएं भी पैदा हो रही हैं. बर्लिन की मेयर फ्रांसिस्का गिफाय ने 7 मार्च को कहा, "यह बेहद जरूरी है कि शरणार्थी केवल बर्लिन ही ना आएं. वे बाकी प्रांतों में भी जाएं, ताकि हम स्थितियों को बेहतर संभाल सकें." 4 मार्च से अबतक हर रोज 10 हजार से ज्यादा शरणार्थी बर्लिन आ रहे हैं. ज्यादातर को अपने दोस्तों या वॉलंटियरों के घर में जगह मिल गई है. मेयर गिफाय ने बर्लिन वासियों की उदारता की तारीफ की, लेकिन यह चेतावनी भी दी कि यह लंबा चलने वाला समाधान नहीं है.
गिफाय ने कहा, "अगर कोई अपने बच्चों का कमरा खाली करता है, तो वे कुछ ही दिनों के लिए ऐसा कर सकेंगे. एक, दो या फिर हद-से-हद कुछ हफ्तों के लिए." गिफाय का तर्क है कि शरणार्थियों को भले अभी आम लोगों के घर में जगह मिल रही हो, लेकिन आगे चलकर उनके लिए कहीं और रहने का इंतजाम करना होगा.
क्रिस्टियन फॉलमन को यकीन है कि इमैनुअल और उनके दोस्तों को रहने की जगह देकर उन्होंने सही फैसला लिया है. इमैनुअल और उनके दोस्तों ने एक रात आग के पास बैठकर फॉलमन के साथ बीयर पी. खूब बातें की, एक-दूसरे के बारे में जाना. इसे याद करते हुए फॉलमन कहते हैं, "वे कितने कृतज्ञ महसूस कर रहे थे, यह देखकर बहुत अच्छा लगा. उनके भीतर बहुत उमंग है, वे बहुत खुशदिल हैं, वे अभी से ही भविष्य के लिए कितनी सारी योजनाएं बनाने में जुट गए हैं."
फॉलमन को उम्मीद है कि यूरोपियन लोग अभी जिस तरह बढ़-चढ़कर यूक्रेन से आए शरणार्थियों की मदद कर रहे हैं, वह आगे भी जारी रहेगा. वह कहते हैं, "मेरे खयाल से, यह बहुत मजबूत संकेत है. जितनी ज्यादा आक्रामकता होगी, जितनी हिंसा होगी, हम उतने ही एकजुट होंगे." इमैनुअल की उम्मीदें भी अब यूरोप पर टिकी हैं. वह कहते हैं, "मुझे लगता है, जर्मनी के पास मेरे लिए भी जगह है."
एसएम/एनआर (एपी)