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बिहार की रैली से क्या मिला इंडिया गठबंधन को

मनीष कुमार, पटना
५ मार्च २०२४

बिहार में दो दिनों के अंदर एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन की रैली हुई. पीएम मोदी ने औरंगाबाद और बेगूसराय में हुंकार भरी, तो उसके अगले दिन पटना में आयोजित जन विश्वास महारैली में विपक्षी महागठबंधन ने दमखम दिखाया.

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पटना में जन विश्वास रैली के दौरान मंच पर (दाएं से बाएं) अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे.
विपक्षी नेताओं ने हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने और किसानों की आय दोगुनी करने जैसे कुछ मुद्दों पर बात तो की, लेकिन विकल्प के तौर पर इसका कोई रोडमैप नहीं प्रस्तुत कर सके. तस्वीर: Manish Kumar/DW

पटना में आयोजित जन विश्वास महारैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा-माले के जनरल सेक्रेटरी दीपंकर भट्टाचार्य ने भाजपा की केंद्र और बिहार की सरकार पर निशाना साधा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों जगहों पर कुल 48 मिनट के अपने संबोधन के दौरान देश को 48 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात दी. साथ ही, विपक्ष की दुखती रग परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर प्रहार किया. पीएम मोदी ने बिना नाम लिए परिवारवाद की चर्चा करते हुए राजद नेता व लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव पर तंज कसा.

पीएम ने कहा, "विरासत में मां-बाप से कुर्सी तो मिल जाती है, लेकिन उनके काम का जिक्र करने की हिम्मत नहीं होती है." मोदी ने लोगों को लालू-राबड़ी के शासनकाल की याद भी दिलाई. हाल ही में फिर साथ आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मोदी ने मंच पर भरपूर सम्मान दिया और उनकी बातों पर मुस्कुराए भी.

पत्रकार शिवानी सिंह कहती हैं, "एनडीए बिहार में 2019 की स्थिति को बनाए रखना चाहता है. इस बार तो बात सभी 40 सीटों पर जीत की है. जीत की राह में बीजेपी कोई कील-कांटा नहीं छोड़ना चाहती."

3 मार्च के पटना में आयोजित विपक्षी महागठबंधन की जन विश्वास रैली.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने मंडल कमीशन और गरीब-गुरबों को वोट से रोके जाने की भी चर्चा की.तस्वीर: Manish Kumar/DW

विपक्षी नेताओं का बिहार पर गजब का भरोसा

पटना की रैली में महागठबंधन ने सामूहिक रूप से केंद्र सरकार को परास्त करने का संकल्प लिया. इस रैली में भीड़ काफी थी. राजद के समर्थक तो काफी संख्या में थे ही, वाम दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भी जोरदार उपस्थिति दर्ज की. वाम दलों के लाल झंडे भी बड़ी संख्या में लहराते देखे गए.

बड़ी बात, बिहार पर नेताओं का गजब का भरोसा भी दिखा. राहुल गांधी ने कहा, "देश में जब भी बदलाव आता है, तो उससे पहले बिहार में तूफान उठता है, जो दूसरे प्रदेशों तक फैल जाता है." लालू प्रसाद यादव का कहना था बिहार की हवा में दम है. बिहार जो फैसला लेता है, उसे पूरा देश सुनता है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी कहा कि पाटलिपुत्र के गांधी मैदान से जब-जब आह्वान होता है, इंद्रप्रस्थ की सत्ता पलट जाती है. इस बार भी यहीं से सत्ता पलटने का आह्वान हुआ है, जो निश्चित ही सफल होगा.

विकास के रोडमैप की कोई चर्चा नहीं

राजनीतिक समीक्षक अरुण कुमार चौधरी कहते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल शिलान्यास, उद्घाटन या नई परियोजनाओं की घोषणा की, बल्कि बिहार को विकसित बनाने का संकल्प दोहराया. उन्होंने दोनों सभाओं में इसका जिक्र भी किया. जबकि, जन विश्वास महारैली में विपक्ष के पास राजनीतिक मुद्दों की कमी दिखी. वे ऋण के कुचक्र में देश के फंसने और महंगाई या फिर बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आवाज बुलंद कर सकते थे, अपनी योजनाएं बता सकते थे."

विपक्षी नेताओं ने हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने और किसानों की आय दोगुनी करने जैसे कुछ मुद्दों पर बात तो की, लेकिन विकल्प के तौर पर इसका कोई रोडमैप नहीं प्रस्तुत कर सके. इस रैली में मुख्य तौर पर राजद-कांग्रेस को नौकरी से इतर प्रदेश से रोजगार के लिए पलायन, औद्योगिक क्षेत्र में निवेश नहीं होना, बढ़ती गरीबी और नशे के व्यापार जैसी गंभीर होती अन्य सामाजिक समस्याओं को जोर-शोर उठाना चाहिए था. लेकिन, ऐसा लगा कि जैसे हर कोई अपना ही राग अलापने में व्यस्त था.

एक बात और, वाम नेताओं का अंदाज भी बदला हुआ दिखा. इसकी एक झलक येचुरी के भाषण में देखने को मिली. उन्होंने अमृत कलश की चर्चा की और कहा कि यह गलत हाथों में चला गया है.

पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली के दौरान बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
परिवार को लेकर पीएम मोदी पर लालू प्रसाद यादव के तंज ने बीजेपी को नया हथियार दे दिया है. तस्वीर: Subrata Goswami/DW

परिवार पर छिड़ी नई बहस

जन विश्वास रैली में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने भी उन मुद्दों को ताजा किया, जो उनके कोर वोटरों में उत्साह भर देता है. इसलिए ए-टू-जेड की बात करने वाले तेजस्वी ने कहा, "लालू ने लोगों को मानसिक गुलामी से निकाला, अब कोई चप्पल उतरवा सकता है क्या? अब कोई कुएं का पानी पीने से रोक सकेगा क्या? लोग अब 10-10 कुएं बनवा लेंगे और यदि जरूरत पड़ी, तो दूसरों को पिला भी देंगे."

वहीं, लालू ने पीएम मोदी के परिवारवाद और हिंदू होने पर तंज कसा. अपने संबोधन में कहा, "आजकल मेरे परिवार पर हमला हो रहा है. अगर उन्हें संतान नहीं हुई, तो मैं क्या करूं? मोदी जी की मां मरीब, तो उन्होंने बाल नहीं कटवाए. कैसे हिंदू हैं? अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा की बात करते हैं, तो क्या अब तक प्रतिमा में प्राण नहीं था."

इसके साथ ही उन्होंने मंडल कमीशन और गरीब-गुरबों को वोट से रोके जाने की भी चर्चा करते हुए कहा कि आज सत्ता पर पिछड़े वर्ग का कब्जा हो रहा है. हर दलित, पिछड़ा व अल्पसंख्यक सत्ता के दरवाजे पर खड़ा है. इतना ही नहीं, परिवार को प्रश्रय दिए जाने के आरोपों से इतर उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य का रैली में उपस्थित लोगों से परिचय करवाया और कहा, इसी बेटी की किडनी पर वे जीवित हैं. लालू अपनी बेटी मीसा भारती और दोनों बेटों, तेजस्वी और तेजप्रताप की प्रशंसा करने से नहीं चूके.

राहुल गांधी का जादू कितना चलेगा

परिवार को लेकर पीएम मोदी पर लालू के तंज ने बीजेपी या फिर कहें एनडीए को नया हथियार दे दिया है. पीएम मोदी ने इस पर पलटवार करते हुए तेलंगाना के आदिलाबाद में कहा, "मेरा भारत मेरा परिवार है. जिनका कोई नहीं है, वो मेरे हैं और मैं उनका हूं."

पत्रकार अमित पांडे कहते हैं, "जन विश्वास महारैली भले ही महागठबंधन का उत्साहवर्धन करने में सफल रही हो, लेकिन एनडीए ने ‘अबकी बार 400 के पार' की बात करके उनके समक्ष इतनी बड़ी लकीर खींच दी है, जिसका सामना करने के लिए उन्हें योजनाबद्ध तरीके से एकजुटता के साथ रणनीति के तहत काम करना होगा. जनता अब ठोस विकल्प चाहती है. दावों और वादों के बीच अपनी डफली, अपना राग उनके लिए नुकसानदेह ही साबित होगी."