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विज्ञानऑस्ट्रेलिया

पीफैस रसायनों को खत्म करने की दिशा में अहम सफलता

विवेक कुमार
२२ अगस्त २०२२

पीफैस केमिकल नॉन-स्टिक बर्तनों में मौजूद होता है जिनमें रोज खाना बनता है. इन जहरीले रसायनों को खत्म करना बहुत मुश्किल है. इसलिए एक छोटी सी सफलता के भी बड़े मायने हैं.

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नॉन स्टिक बर्तनों में होता है पीफैस
नॉन स्टिक बर्तनों में होता है पीफैसतस्वीर: Thomas Imo//photothek/imago

अंग्रेजी में ‘फॉरेवर केमिकल्स' कहे जाने वाले यानी शाश्वत बने रहने वाले रसायनों को सेहत के लिए गंभीर खतरा माना जाता है. नॉन-स्टिक बर्तनों आदि में इस्तेमाल होने वाले इन रसायनों को खत्म करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि कचरे के रूप में इनका निवारण बहुत कठिन होता है और ये काफी जहरीले होते हैं.

अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने आखिरकार पीफैस (PFAS) नामक इन जहरीले रसायनों की एक विशेष श्रेणी के निवारण का तरीका खोज लिया है. रसायनशास्त्रियों ने आमतौर पर प्रयोग होने वाले सामान्य यौगिकों के जरिए ही इन रसायनों के विघटन में सफलता पाई है.

साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु, इंसानों और मवेशियों को लंबे समय से नुकसान पहुंचा रहे इन रसायनों की समस्या का संभावित हल खोज लिया गया है. शोध के लेखक नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के विलियम डिचल ने पत्रकारों को बताया, "असल में इसी वजह से मैं वैज्ञानिक हूं ताकि मैं संसार पर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकूं.”

क्या है पीफैस?

पर- एंड पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्स्टेंसेस या पीफैस (PFAS) सबसे पहले 1940 के दशक में विकसित किए गए थे. तब से इनका प्रयोग लगातार बढ़ा है और अब ये घरों में रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग होने वाले बहुत से उत्पादों में पाए जाते हैं. नॉन-स्टिक बर्तन, वॉटर-प्रूफ कपड़े और आग बुझाने वाली झाग में तो इनका प्रयोग आम रहा ही है पर ये घर की 50-60 फीसदी चीजों में मौजूद हो सकते हैं.

पीफैस रसायन घर-घर में पाए जाते हैं
पीफैस रसायन घर-घर में पाए जाते हैंतस्वीर: Thomas Imo//photothek/picture alliance

 

पीफैस  मनुष्य के शरीर पर कितना असर डालते हैं,  इस पर काफी शोध हो रहे हैं परन्तु इसकी अभी भी पूरी जानकारी नहीं है. यह तुलनात्मक रूप से शोध का एक नया क्षेत्र है और पिछले दो दशकों में इसमें काफी प्रगति हुई है. अभी तक के शोध से पता चला है कि पीफैस के शरीर में आने से किडनी और टेस्टिक्यूलर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता है.

इसके अतिरिक्त यह कोलेस्ट्रॉल एवं रक्तचाप भी बढ़ा सकता है और यकृत में पाए जाने वाले एन्ज़ाइमों में परिवर्तन कर सकता है. पीफैस के कारण बच्चों को लगने वाले टीकों के असर में कमी आ सकती है और नवजात शिशुओं के वजन में थोड़ी कमी हो सकती है. हाल ही में अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी द्वारा पीने के पानी के लिए जारी नई गाइड लाइन में दी गयी पीफैस की नई सीमाएं, जो कि पार्ट्स पर क्वाड्रिलियन लेवल तक नीचे कर दी गयी हैं, दर्शाती हैं कि पीफैस कितना घातक हो सकता है और यह अमेरिकी संस्था इसको लेकर कितनी गंभीर है. 

क्यों मुश्किल है खात्मा?

यूं तो कुछ पीफैस रसायनों को पानी में से काफी हद तक फिल्टर किया जा सकता है लेकिन उन्हें खत्म करना टेढ़ी खीर है. परंतु वर्तमान में उपलब्ध तकनीकों से अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी द्वारा पीने के पानी के लिए जारी नई गाइड लाइन में दी गयी सीमाओं तक पानी को पीफैस-मुक्त कर पाना फिलहाल तो संभव नहीं दिख रहा है. पानी से पीफैस को समाप्त करने के लिए पीफैस को पूरी तरह से नष्ट करना ही सबसे असरदार उपाय है, लेकिन पीफैस को नष्ट करने के वर्तमान उपाय काफी कठोर हैं. जैसे कि बहुत ऊंचे तापमान पर जलाना या अल्ट्रासोनिक किरणों द्वारा उन्हें नष्ट करना आदि इनमें शामिल हैं. इन प्रक्रियाओं में काफी ऊर्जा भी खर्च होती है. 

वास्तव में पीफैस का रसायनिक बॉन्ड इतना मजबूत है कि उसे तोड़ना बहुत ही मुश्किल है. कार्बन और फ्लोरीन के बीच का बॉन्ड सबसे मजबूत रसायनिक बंधों में से एक है. इसके अतिरिक्त फ्लोरीन के एटम कार्बन के एटम को कुछ इस तरह चारों ओर से घेरे रहते हैं कि बिल्कुल जगह ही नहीं छूटती कि उस जगह में कोई घुस पाए. इसलिए उसे तोड़ना और खत्म कर पाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है.

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डॉ. डिचल और उनकी टीम ने एक खास वर्ग के पीएफएएस में इस बॉन्ड को तोड़ने का एक नया तरीका खोजा है. उन्होंने मॉलीक्यूल्स की लंबी चेन में उस कमजोर कड़ी को खोज निकाला है, जहां से इसे तोड़ना आसान है. डॉ. डिचल बताते हैं कि इस चेन के एक सिरे पर ऑक्सीजन के एटम होते हैं जिन्हें आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सॉल्वेंट और रीएजेंट से निशाना बनाया जा सकता है. इसके लिए 80-120 डिग्री सेल्सियस पर सामान्य सॉल्वेंट या रीएजेंट का प्रयोग किया जा सकता है.

डॉ. डिचल बताते हैं, "जब ऐसा होता है तो (बॉन्ड के भीतर घुसने के लिए) नए रास्ते खुल जाते हैं, जिनके बारे में पहले जानकारी नहीं थी. इससे पूरा मॉलीक्यूल ही धराशायी किया जा सकता है.”

इस अध्ययन के दूसरे हिस्से में पहले हिस्से में शामिल रसायनिक क्रियाओं के पीछे की क्वॉन्टम मकैनिक्स को समझा गया है. इस अध्ययन में 10 पीफैस रसायन शामिल थे जिनमें प्रमुख प्रदूषक जेनएक्स भी एक है. इसी जेनएक्स ने अमेरिका के नॉर्थ कैरोलाइना में केप फीयर नदी को प्रदूषित कर दिया है.

लेकिन ये 10 पीफैस  रसायन तो नाममात्र हैं. अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ने 12,000 से ज्यादा पीफैस रसायन चिन्हित किए हैं. डॉ. डिचल ने कहा, "ऐसी और श्रेणियां हैं जिनमें ऐसा एकिलीज हील नहीं होता, लेकिन हरेक की कोई कमजोरी होती है. अगर हम उन्हें पहचान पाएं तो हम जानते हैं कि कैसे उन्हें सक्रिय कर नष्ट किया जा सकता है.”

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