ब्रिटेन पहुंच कर भी नहीं मिलेगी शरणार्थियों को देश में जगह
२८ अप्रैल २०२३ब्रिटेन की सरहद के भीतर ‘अवैध तरीके' से प्रवेश रोकने से जुड़ा विवादास्पद बिल संसद के निचले सदन में पास हो गया है. हाउस ऑफ कॉमंस ने 230 के मुकाबले 289 वोट से अवैध प्रवासी बिल पर मोहर लगाई. अब इस पर हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चर्चा होगी, जहां बिल के प्रावधानों पर कड़ी बहस और बदलाव होने की उम्मीद है.
गैर-कानूनी तरीकों, खासकर छोटी नावों के जरिए इंग्लिश चैनल पारकर ब्रिटेन आने वालों के लिए देश के दरवाजे बंद करने की दिशा में यह बिल अहम स्थान रखता है. 2022 में छोटी नावों के जरिए प्रवेश करने वालों में अल्बानिया और अफगानिस्तान से आने वाले प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन इस रास्ते से ब्रिटेन पहुंचने वालों में भारतीयों की संख्या भी बढ़ी है.
क्यों होता है विस्थापन और पलायन
अल्बानिया से 12,561 जबकि अफगानिस्तान से 8,756 नागरिकों ने ब्रिटेन में नावों के जरिए कदम रखा. इस मुकाबले में भारतीयों की संख्या काफी कम 683 रही लेकिन पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन पहुंचने वाले भारतीय शरणार्थियों के आंकड़ों के मुकाबले काफी ज्यादा है.
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विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने अवैध प्रवासी बिल का विरोध किया है लेकिन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ब्रिटेन की सीमाओं की सुरक्षा के लिए इस तरह के कानून को जरूरी उपाय के तौर पर ‘स्टॉप द बोट' कैंपेन के जरिए प्रचारित करते रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन की सरकार ने ऐसे कई नीतिगत कदम उठाए हैं जिससे प्रवासियों को ब्रिटेन में शरण लेने से हतोत्साहित किया जा सके. शरणार्थियों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने की जरूरत को इन नीतियों का आधार बनाया गया है. ब्रिटेन ने रवांडा के साथ ‘सुरक्षित तीसरे देश' के तौर पर समझौता किया है जहां शरणार्थियों को भेजने की योजना है. इससे पहले राष्ट्रीयता और सीमा कानून 2022 में भी सरकार ने रिफ्यूजियों का एक ऐसा वर्ग चिन्हित किया जो ‘सीधे तरीकों' से ब्रिटेन नहीं आये या ब्रिटेन में अवैध ढंग से प्रवेश करने और बसने का कोई ठोस कारण साबित नहीं कर सकते.
ब्रिटेन में शरणार्थी
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में ब्रिटेन में शरण के लिए अर्जियों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. कुल 74,751 अर्जियों में 89,398 लोगों के लिए शरण की गुहार थी. पिछले दो दशक में पहली बार इतनी ज्यादा संख्या में आवेदन आए. 2019 के मुकाबले यह करीब दोगुना था. सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि 2022 के आवेदनों का 45 फीसदी यानी लगभग आधा हिस्सा उन लोगों का है जो छोटी नावों से ब्रिटेन पहुंचे जो अवैध रास्ते की परिभाषा में आता है.
सरकार इन आवेदनों की संख्या को राष्ट्रीयता के आधार पर बांटकर जारी नहीं करती है. हालांकि ये संख्याएं इतना जरूर बताती हैं कि इस रास्ते से ब्रिटेन पहुंचने वाले लगभग 90 फीसदी यानी तकरीबन 40,302 लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया. सरकार का कहना है कि उसके निशाने पर इसी तरह के प्रवासी हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए इस बिल में कई तरह के उपाय सुझाए गए हैं.
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ब्रिटेन में प्रवासियों और उनसे जुड़े मसलों पर काम करने वाली माइग्रेशन ऑब्जर्वेट्री के एक लेख के मुताबिक साल 2022 में शरण हासिल करने में सबसे ज्यादा सफल सीरियाई नागरिक हैं. भारतीय लोग इस मामले में पंद्रहवें नंबर पर हैं. भारतीय शरणार्थी आवेदनों की सफलता दर 4 फीसदी है. इसकी तुलना में पाकिस्तानी नागरिकों की 61 फीसदी और बांग्लादेशी नागरिकों की 35 फीसदी अर्जियां स्वीकार की गईं. जाहिर है कि ब्रिटेन में शरण पाने वालों में भारतीयों की संख्या कम है लेकिन इस बिल का असर उन पर भी पड़ना तय है.
बिल में क्या खास है?
मार्च की शुरूआत में प्रकाशित इस बिल में प्रवासियों के खिलाफ कठोर कदमों का प्रावधान है. मिसाल के तौर पर गृह मंत्री की यह जिम्मेदारी है कि ब्रिटेन में अवैध तरीके से घुसने वाले प्रवासियों को निकाल कर रवांडा या किसी ‘सुरक्षित तीसरे देश' भेजा जाए. पकड़े गए ऐसे प्रवासियों को शुरुआती 28 दिनों के भीतर जमानत या न्यायिक पुनरीक्षण का हक नहीं होगा. 18 साल से कम के ऐसे प्रवासियों को कुछ वक्त रुकने की मोहलत दी जा सकती है जो चिकित्सीय कारणों से हवाई यात्रा ना कर सकें या जिन्हें अपने देश लौटने में गंभीर खतरा हो.
इस बिल में ब्रिटेन से निकाले गए प्रवासियों पर भविष्य में देश के भीतर प्रवेश करने या ब्रिटिश नागरिकता लेने पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा सुरक्षित और कानूनी रास्ते से आने वाले शरणार्थियों की भी एक निश्चित सीमा तय की जायेगी. यह कानून 7 मार्च 2023 से प्रभावी माना जाएगा यानी उस तारीख से आने वाले अवैध प्रवासियों पर लागू होगा.
हाउस ऑफ कॉमंस में बहस के दौरान हुआ एक फेरबदल गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन को यह अधिकार देता है कि वह यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय यानी यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स के हस्तक्षेप की अनदेखी कर सकें. साल 2022 में न्यायालय ने प्रवासियों को रवांडा भेजने के एक मामले में निषेधाज्ञा जारी की थी.
अवैध प्रवासियों में भारतीय
फरवरी महीने में ब्रिटेन के द टाइम्स अखबार ने गृह मंत्रालय के अघोषित सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट छापी की चैनल पार कर आने वाले अवैध प्रवासियों में अब भारतीय तीसरे नंबर पर हैं जिसका संबंध छात्रों से है. रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2023 में 250 भारतीय, छोटी नावों पर सवार होकर ब्रिटेन पहुंचे जबकि जनवरी से सितंबर 2022 के बीच यह आंकड़ा 233 रहा. बताया गया कि सर्बिया की वीजा-मुक्त प्रवेश नीति की वजह से भारतीयों के लिए यूरोप का रास्ता खुला था जिसे अब बंद किया गया है.
सरकारी आंकड़े भी नावों से ब्रिटेन आने वाले भारतीयों की बढ़ती संख्या की पुष्टि करते हैं लेकिन गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में इस रास्ते का इस्तेमाल करके ब्रिटेन में दाखिल हो रहे लोगों में फिलहाल भारतीय दसवें नंबर पर नजर आते हैं. दिसंबर 2022 में प्रकाशित ‘ब्रिटेन में अनियमित प्रवासन' रिपोर्ट के मुताबिक 2018 और 2019 में किसी भारतीय ने इस रास्ते से प्रवेश नहीं किया. वहीं 2019 में 64 और 2020 में 67 भारतीय छोटी नावों से ब्रिटेन पहुंचे.
कोविड महामारी के बाद इसमें अचानक बेहद तेजी दिख रही है. साल 2022 में 683 भारतीयों ने इस रास्ते से प्रवेश किया. हालांकि ब्रिटेन और भारत के बीच माइग्रेशन ऐंड मोबिलिटी पार्टनरशिप यानी ऐसी साझेदारी है जिसके तहत भारतीय नागरिकों के लिए वीजा के नए रास्ते खोलने के बदले ब्रिटेन में अवैध तरीके से आने वालों को वापस भारत भेजने पर सहमति बनी है.
अवैध प्रवासी बिल फिलहाल पहली बाधा पार करके ऊपरी सदन के पटल पर पहुंच चुका है जहां प्रस्तावों पर बहस का दिन अभी तय होना है. बिल में बदलाव की गुंजाइश अभी बनी हुई है लेकिन किसी आमूल-चूल परिवर्तन की उम्मीद करना बेमानी है. कुछ बदलाव हों भी तब भी यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि ब्रेक्जिट बाद के ब्रिटेन में शरणार्थियों के लिए सम्मानित जीवन जीने की उम्मीद धुंधली हो चुकी हैं.