तैयार हो रही है विश्राम मुद्रा में विष्णु की 1,000 साल पुरानी मूर्ति
यह हिंदू देवता विष्णु की सबसे प्रसिद्ध प्रतिमाओं में से है. इसे कंबोडिया की मोनालिसा भी कहा जाता है. फ्रांस में इस प्रतिमा को रेस्टोर किया जा रहा है.
विश्राम मुद्रा में विष्णु
विश्राम मुद्रा में विष्णु की यह मूर्ति 1936 में कंबोडिया के अंकोर पुरातत्व पार्क के वेस्ट मेबोन मंदिर में मिली थी. यह अंकोर स्थल पर अब तक मिली सबसे बड़ी कांस्य प्रतिमा है.
आकार और युग
यह 11वीं सदी की अंगकोरियन-युग की मूर्ति है, जिसकी लंबाई 5 मीटर और ऊंचाई 4.5 मीटर थी. इसे कंबोडिया की कला का बेजोड़ नमूना माना जाता है.
प्रतीकात्मकता
मूर्ति में विष्णु को अनंत नाम के नाग पर महासागर में विश्राम करते हुए दिखाया गया है. यह वैदिक पौराणिक कथाओं के "कल्प" का प्रतीक है, जिसमें विष्णु ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं.
अनूठे विवरण
विष्णु को पारंपरिक खमेर गहनों से सजाया गया है, जिनमें बाजूबंद, कंगन और एक खास तरह का हार शामिल है. आंखों और होंठों को सजाने के लिए कीमती पत्थरों का उपयोग किया गया है.
तकनीक और कारीगरी
यह मूर्ति "लॉस्ट-वैक्स" प्रक्रिया से बनाई गई थी, जो अंगकोर काल में खमेर में कांसे को ढालने की तकनीक की प्रगति को दिखाती है.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ
मूर्ति राजा उदयादित्यवर्मन द्वितीय (1050-1066) के शासनकाल में बनाई गई थी और इसे अंकोर शहर की सुरक्षा के लिए समर्पित किया गया था.
रेस्टोरेशन की कोशिश
फिलहाल यह मूर्ति फ्रांस में नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च एंड रेस्टोरेशन और आर्क’आंटीक लैबोरेटरी में वैज्ञानिक अध्ययन और बहाली से गुजर रही है.
पेरिस में प्रदर्शनी
30 अप्रैल से 8 सितंबर 2025 तक यह मूर्ति पेरिस के नेशनल म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट्स में कंबोडियाई कांस्य की प्राचीन वस्तुओं पर आधारित प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण होगी.
खमेर कला का प्रतीक
अपनी खंडित स्थिति के बावजूद, यह मूर्ति खमेर कलाकारों की विशाल कांस्य मूर्तियां बनाने की उत्कृष्टता और उनकी प्रतीकात्मक और सजावटी शैली को दिखाती है. वीके/एनआर (रॉयटर्स)