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क्या भारत से नाराजगी जताने चीन के करीब जा रहा है बांग्लादेश

अराफातुल इस्लाम
३ अगस्त २०२०

भारत का परंपरागत सहयोगी रहा बांग्लादेश विवादित नागरिकता कानून के समय से उससे थोड़ा खिंचा खिचा सा है. ऐसे में चीन और पाकिस्तान जैसे भारत के पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी देश उसे अपने करीब लाने की कोशिशें करते दिख रहे हैं.

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Bangladeschs Premierministerin Sheikh Hasina trifft Chinesischen Präsidenten Xi Jinping 2014
जून 2014 में हुई बांग्लादेश और चीन के नेताओं की मुलाकात की तस्वीर. तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Zhao/Pool

भारत और बांग्लादेश के बीच ना केवल गहरे आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध भी रहे हैं. हालांकि इसमें भारत सरकार के विवादित नागरिकता कानून, सीएए के चलते काफी तनाव आया. मुस्लिम-बहुल देश बांग्लादेश में सीएए की कड़ी निंदा हुई और इसे मोदी सरकार की हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव भड़काने की कोशिश तक बताया गया.

दिसंबर 2019 से भारत में तीन मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले गैरमुसलमान शरणार्थियों को फास्ट-ट्रैक नागरिकता देने वाला कानून लागू है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस कानून को "गैर जरूरी" बताते हुए उसके बाद भारत के साथ होने वाली कई द्विपक्षीय मुलाकातों को रद्द कर दिया. चार महीने से बांग्लादेश में भारत की हाई कमिश्नर के रूप में नियुक्त रीवा गांगुली से भी तमाम अनुरोधों के बावजूद हसीना नहीं मिली हैं. विदेश मामलों के जानकार इसे भारत के प्रति अपना असंतोष जताने का एक तरीका बताते हैं. हसीना सरकार को लगता है कि सीएए परोक्ष रूप से यह जताता है कि बांग्लादेश का हिंदू समुदाय अपने ही देश में सुरक्षित नहीं है. बांग्लादेश की करीब 9 फीसदी आबादी हिंदू है.

 

मौके का फायदा उठाते चीन-पाकिस्तान

इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन अचानक सक्रिय हो गया है. चीन पहले से ही दक्षिण एशिया में अपने सहयोगियों का नेटवर्क बनाने की कोशिश में लगा था. भारत से नाराजगी को देखते हुए चीन ने बांग्लादेश के करीब आने की कोशिशें तेज कर दी हैं. दोनों देशों के बीच कई नए क्षेत्रों में सहयोग की बिसात बिछाई जा रही है. हाल ही में चीन ने 97 फीसदी बांग्लादेशी उत्पादों को निर्यात शुल्क में छूट देने की घोषणा की है. इसका मतलब हुआ कि बांग्लादेश के करीब 8,200 उत्पादों की चीनी बाजार में ड्यूटी-फ्री पहुंच होगी.

बांग्लादेश में सबसे बड़ा विदेशी निवेशक भी चीन ही है. वह बेल्ट एंड रोड योजना के तहत पहले से ही बांग्लादेश में ढांचागत विकास पर काफी निवेश कर रहा था. चीनी डेवलपर ने बांग्लादेश के सिलहट एयरपोर्ट में एक नया टर्मिनल बनाने का ठेका भी ले लिया है. यह भारत के बिहार राज्य से लगी बांग्लादेशी सीमा के पास है. 2019 में हसीना के दोबारा चुनाव जीतने के बाद से ही भारत प्रायोजित प्रोजेक्टों की रफ्तार धीमी पड़ गई है जबकि चीनी  प्रोजेक्टों ने तेजी पकड़ ली है.  

 

चीन के करीब जाने के सवाल पर जानकारों का कहना है कि इस नजदीकी को स्थाई मानना जल्दबाजी होगी. हालांकि वे इतना जरूर मानते हैं कि इससे चीन को फायदा हो रहा है. इसके अलावा पाकिस्तान भी अचानक आगे बढ़कर बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करता दिख रहा है. इसी महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बांग्लादेशी प्रधानमंत्री हसीना से फोन पर बात की, जिस पर भारत का भी ध्यान गया.

विशेषज्ञों की मानें तो अभी इस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी कि बांग्लादेश स्थाई तौर पर भारत से दूर और चीन, पाकिस्तान के करीब जा रहा है. साथ ही यह भी माना जाता है कि बांग्लादेश जैसे छोटे देश को किसी क्षेत्रीय महाशक्ति पर बहुत ज्यादा निर्भर होने की भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.

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