कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर लगाई पाबंदियां
२३ जनवरी २०२४कनाडा ने कहा है कि वह आने वाले दो सालों तक सीमित संख्या में ही अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीजा देगा. कई कोर्सों में पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद मिलने वाले वर्क परमिट भी अब बंद कर दिए जाएंगे. कनाडा की सरकार बड़ी संख्या में आए प्रवासियों के कारण पैदा हुए घरों के संकट से जूझ रही है.
इमिग्रेशन मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक नई सीमा के तहत 2024 में लगभग 3,60,000 छात्रों को ही वीजा दिए जाएंगे. 2023 के मुकाबले यह संख्या 35 फीसदी कम है.
इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि शिक्षा का मामला राज्य सरकारें देखती हैं इसलिए सीमा निर्धारित करने के लिए संघीय सरकार प्रांतीय सरकारों से मश्विरा करेगी.
उन्होंने इस फैसले के पीछे दो वजह बताईं. पहली बात तो छात्रों को फर्जी कॉलेजों और शोषण से बचाना है. उन्होंने कहा कि बहुत से छात्र प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप में चलने वाले कॉलेजों में पढ़ते हैं, जहां सेवाएं अच्छी नहीं हैं जबकि फीस बहुत ज्यादा है.
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कुछ निजी संस्थानों ने बहुत कम संसाधनों में कैंपस चलाकर अंतरराष्ट्रीय छात्रों का फायदा उठाया है. वहां छात्रों के लिए सुविधाएं भी नहीं हैं और फीस बहुत ऊंची ली जा रही है. फिर भी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाए जा रहे हैं.”
मिलर ने दूसरी वजह सेवाओं और घरों पर आबादी बढ़ने के कारण पड़ रहे दबाव को बताया. उन्होंने कहा, "(छात्रों की) बढ़ती संख्या से घरों, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं पर भी दबाव पड़ रहा है. संख्या कम होगी तो किराया कम करने में मदद मिलेगी.”
बढ़ती आबादी का असर
आप्रवासियों की आमद से कनाडा की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य जरूरी सेवाओं पर बोझ काफी बढ़ा है. घरों की कीमतों में भी तेज वृद्धि हुई है.
इसका असर लिबरल पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता पर भी पड़ा है. हाल के महीनों में आए सर्वेक्षणों में उनका समर्थन काफी घटा है और अगर अभी चुनाव हो तो उनके हारने की संभावना ज्यादा है.
पिछले साल की आखिरी तिमाही में कनाडा की आबादी छह दशक में सबसे तेज दर से बढ़ी है. इनमें सबसे ज्यादा वृद्धि अस्थायी नागरिकों, खासकर छात्रों की हुई, जो पांच दशक में सबसे ज्यादा थी. अस्थायी आप्रवासियों की संख्या में तीन लाख 12 हजार 758 की वृद्धि हुई.
कनेडियन अलायंस ऑफ स्टूडेंट असोसिएशंस (CASA) ने छात्र वीजा की संख्या सीमित किए जाने के फैसले की आलोचना की है. कासा अधिकारी मातेस सलमासी ने कहा, "सबसे बड़ी समस्या यह है कि घरों के संकट के जवाब में इस सीमा का ऐलान किया गया है. जरूरत इस बात की है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को घर और अन्य मामलों में मदद दी जाए.”
उधर टॉरंटो यूनिवर्सिटी ने इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि सरकार के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर छात्रों को परमिट जारी किए जाएंगे. एक बयान में यूनिवर्सिटी ने कहा, "ये बदलाव हम जैसे विश्वविद्यालयों को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि कुछ लोगों द्वारा व्यवस्था के दुरुपयोग को रोकने के लिए हैं.”
भारतीय छात्रों पर असर
कनाडा सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर होने की आशंका है क्योंकि वहां पढ़ने जाने वाले छात्रों में सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की ही है. 2022 में जितने कुल स्टूडेंट वीजा जारी हुए थे उनमें से दो लाख 25 हजार 835 यानी लगभग 41 फीसदी भारतीय थे.
ये अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा के विश्वविद्यालयों के लिए कमाई का बड़ा जरिया हैं. वे देश के लिए सालाना लगभग 16.4 अरब डॉलर धन लाते हैं और इनकी संख्या में कमी कनाडा के लिए बड़ा झटका होगा.
2023 में करीब नौ लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा में पढ़ाई कर रहे थे जिनमें से लगभग 40 फीसदी भारतीय थे. पिछले साल कुल मिलाकर भारतीय छात्रों की संख्या में चार फीसदी गिरावट आई, फिर भी वे एक देश से जाने वाले छात्रों की संख्या में सबसे ऊपर थे.
हालांकि कनाडा ने पिछले साल भारतीयों को कम स्टडी वीजाजारी किए हैं. 2022 के मुकाबले पिछले साल की चौथी तिमाही में 86 फीसदी कम छात्र वीजा जारी हुए. जहां 2022 की चौथी तिमाही में 108,940 वीजा जारी किए गए थे, वहीं 2023 में इसी अवधि में मात्र 14,910 वीजा जारी हुए.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)