किसी को असीमित समय तक जेल में नहीं रख सकतेः कोर्ट
२५ जनवरी २०२२भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जांच चल रही है तो सिर्फ इस अंदेशे पर किसी को असीमित समय तक जेल में बंद नहीं रखा जा सकता कि वह व्यक्ति किसी ऐसी गतिविधि में शामिल रहा होगा जिससे राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने यह टिप्पणी सोमवार को मोहम्मद इनामुल हक के केस की सुनवाई के दौरान की. इनामुल हक को सीमा पार से जानवरों की तस्करी के आरोप में पकड़ा गया था. इसी मामले में बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स (बीएसएफ) के एक कमांडेंट को भी गिरफ्तार किया गया था. आरोप था कि आरोपी कमांडेंट सीमा पार से तस्करी में शामिल था और उससे होने वाली कमाई का हिस्सा राजनीतिक दलों को भी जा रहा था.
14 महीने से जेल में बंद
कोर्ट ने इनामुल हक को जमानत दे दी. उनकी पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सीबीआई ने 6 फरवरी 2021 को जानवरों की तस्करी के मामले में चार्जशीट दाखिल की थी और 21 फरवरी को अतिरिक्त आरोप जोड़े गए थे.
रोहतगी ने कहा कि बीएसएफ कमांडेंट और अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने हक की जमानत याचिका खारिज कर दी और वह एक साल से भी ज्यादा समय से जेल में हैं जबकि इस अपराध में अधिकतम सजा सात साल की है.
सीबीआई की तरफ से पेश हुए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि आरोपी गिरोह का सरगना है जिसमें बीएसएफ और कस्टम के अधिकारियों के अलावा स्थानीय पुलिस के अफसर भी शामिल हैं और यह गिरोह भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी में सक्रिय है. लेखी ने यह भी कहा कि हक के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था जिसे वह गच्चा दे गए और बांग्लादेश से होते हुए पश्चिम बंगाल पहुंच गए.
कितना वक्त चाहिए?
लेखी ने कहा कि यह पूरा मामला देश की सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत है और एक बड़ी साजिश की जांच अभी होनी है तो बेंच ने पूछा, "हम इस असीमित जांच का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं. किसी व्यक्ति को असीमित समय तक जेल में रखने से बड़ी साजिश की जांच में कैसे मदद मिलेगी, जबकि अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई है? क्या एक साल और दो महीने बडी साजिश की जांच के लिए काफी नहीं हैं?”
भारत में पिछले दिनों पुलिस ने काफी बड़ी संख्या में देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए हैं और सैकड़ों लोग इन मुकदमों में जेल में बंद हैं. पिछले साल राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि
2014 से 2019 के बीच देशद्रोह के 326 मामले दर्ज हुए जिनमें 559 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि सिर्फ 10 लोगों को सजा हुई.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)