चीन ने बनाई जमीन के नीचे सबसे बड़ी लैब
चीन ने जमीन के नीचे दुनिया की सबसे बड़ी लैब बनाई है, जिसका मकसद डार्क मैटर की खोज है. जिनपिंग अंडरग्राउंड लैब (सीजेपीएल) का निर्माण दिसंबर 2022 में शुरू हुआ था.
चाइना जिनपिंग अंडरग्राउंड लैब
यह लैब चीन के सिचुआन प्रांत में है. जमीन के नीचे यह दुनिया की सबसे बड़ी और गहरी प्रयोगशाला है. इसका दूसरा चरण दिसंबर 2022 में शुरू हुआ था. इस लैब पर 30 करोड़ डॉलर यानी लगभग 25 अरब रुपये का खर्च आया है.
कहां है लैब
यह लैब जिनपिंग पहाड़ों के नीचे 2,400 मीटर की गहराई में बनाई गई है. इतनी गहराई पर होने के कारण ब्रह्मांड से आने वाली किरणें लैब तक नहीं पहुंच पातीं, जिससे डार्क मैटर का पता लगाना आसान हो सकता है.
आकार
इस लैब का कुल क्षेत्रफल 3,30,000 क्यूबिक मीटर है. इसमें दो उन्नत डार्क मैटर डिटेक्टर हैं. लैब तक बसें आदि वाहन आसानी से पहुंच सकते हैं.
क्या है मकसद
इस प्रयोगशाला का मकसद डार्क मैटर का पता लगाना है. यह एक ऐसा अदृश्य पदार्थ है जो ब्रह्मांड के 80 फीसदी से ज्यादा हिस्से में फैला हुआ है, लेकिन इसे अभी तक सीधा नहीं पकड़ा जा सका है.
डार्क मैटर प्रयोग
लैब में दो मुख्य प्रयोग किए जा रहे हैं: पर्टिकल और एस्ट्रोफिजिकल जेनॉन प्रयोग और चाइना डार्क मैटर प्रयोग. पहले प्रयोग में लिक्विड जेनॉन डिटेक्टर का उपयोग होता है, जबकि दूसरे में जर्मेनियम डिटेक्टर डार्क मैटर कणों को खोजता है.
विंप्स खोजने की कोशिश
इस लैब में विंप्स (डब्ल्यूआईएमपीएस) नामक डार्क मैटर के संभावित कणों की खोज हो रही है. इन कणों की कल्पना लगभग 30 साल पहले की गई थी, लेकिन अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है.
क्यों है खास
डार्क मैटर कणों का पता लगना विज्ञान की बड़ी खोज होगी. इससे डार्क मैटर के अस्तित्व की पुष्टि होगी और एक पुरानी रहस्यपूर्ण गुत्थी सुलझेगी. लैब में अन्य वैकल्पिक सिद्धांतों, जैसे ऐक्सियन्स और स्व-संक्रिया डार्क मैटर पर भी शोध हो रहा है.
बड़ी उपलब्धि
सीजेपीएल इटली की ग्रैन सासो राष्ट्रीय प्रयोगशाला के साथ दुनिया की चंद अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में शामिल हो गई है, जहां डार्क मैटर की खोज में प्रयोग किए जा रहे हैं. वीके/एए (रॉयटर्स)