चीन में जन्म दर अब तक की सबसे कम हुई
१६ अगस्त २०२३चीन की जन्म दर 2022 में और ज्यादा गिरकर 1.09 के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गयी है. मंगलवार को हांग कांग के नेशनल बिजनेस डेली अखबार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें देश की लगातार गिरती जन्म दर के बारे में बताया गया है. घटती आबादी से जूझ रहे देश के लिए यह चिंता की बात हो सकती है.
सरकार समर्थित अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि 1.09 का आंकड़ा चीन के पॉप्युलेशन एंड डिवेलपमेंट रिसर्च सेंटर ने दिया है. रिपोर्ट कहती है कि अब चीन की जन्म दर उन देशों में सबसे कम हो गयी है, जहां की आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है. दक्षिण कोरिया, ताइवान, हांग कांग और सिंगापुर के बाद चीन की जन्म दर दुनिया में सबसे कम है.
लगातार घटती आबादी
चीन में साल 2021 में जन्म दर में रिकॉर्ड स्तर पर कमी आई थी. पिछले साल देश की आबादी 60 साल में पहली बार बढ़ने के बजाय कम हो गई थी. वहां जन्म दर इतनी कम हो गई है कि पिछले साल चीन को अपने यहां जोड़ों को तीन बच्चे तक पैदा करने की इजाजत देनी पड़ी. चीन में दशकों तक एक ही बच्चा पैदा करने की नीति लागू रही, जिसका उल्लंघन करने पर लोगों को तमाम पाबंदियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन साल 2016 में यह नीति खत्म कर दी गई थी.
2016 में यह फैसला लेने के पीछे चीन की तेजी से बूढ़ी होती आबादी थी. चीन इसका आर्थिक खामियाजा नहीं भुगतना चाहता था, लेकिन शहरी इलाकों में महंगी होती रोजमर्रा की जिंदगी के चलते भी लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में प्रति हजार लोगों पर जन्म दर 7.52 रही, जो 1949 के बाद से सबसे कम है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, देश में पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के अंत में आबादी 8,50,000 कम रही. यह ब्यूरो हांग कांग, मकाओ और स्वशासी ताइवान के साथ-साथ विदेशी निवासियों को छोड़कर केवल चीन की मुख्य भूमि की जनसंख्या की गणना करता है.
बच्चे पैदा करने से झिझकते लोग
पिछले एक साल में भी सरकार ने आबादी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं. बच्चे पैदा करने वालों को आर्थिक और वित्तीय लाभ के अलावा बच्चों की देखभाल के लिए सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं. मई में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर एक विशेष बैठक भी बुलायी गयी थी.
हांग कांग की परिवार नियोजन एसोसिएशन ने मंगलवार को कहा कि इस विशेष चीन प्रशासित क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की संख्या पांच साल में दोगुनी होकर 2022 में 43.2 फीसदी हो गयी, जिनके पास एक भी बच्चा नहीं है. ऐसे जोड़ों की संख्या भी कम हुई है जिनके पास एक या दो बच्चे हैं. 2017 में बच्चों की संख्या प्रति महिला देश में 1.3 थी, जो 2022 में घटकर 0.9 रह गयी थी. देश में शादियों की संख्या भी घट रही है.
2016 में यह फैसला लेने के पीछे चीन की तेजी से बूढ़ी होती आबादी थी. चीन इसका आर्थिक खामियाजा नहीं भुगतना चाहता था, लेकिन शहरी इलाकों में महंगी होती रोजमर्रा की जिंदगी के चलते भी लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में प्रति हजार लोगों पर जन्म दर 7.52 रही, जो 1949 के बाद से सबसे कम है.
चीन की कोशिश
हालांकि चीन की सरकार इस गिरावट को ज्यादा तूल नहींदे रही है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता वांग वेनबिन ने जून में कहा था कि जनसंख्या से लाभ सिर्फ संख्यात्मक नहीं बल्कि गुणात्मक भी होता है. उन्होंने मीडिया स बातचीत में कहा, "जनसंख्या अहम है लेकिन प्रतिभा भी महत्वपूर्ण है. बूढ़ी होती आबादी से निपटने के लिए चीन ने सक्रिय उपाय अपनाये हैं.”
चीन का कहना है कि उसका ध्यान शिक्षा, साइंस और तकनीक पर है ताकि आबादी की गुणवत्ता सुधारी जा सके और आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी एक औसत जन्म दर बनायी रखी जा सके. हालांकि इन सब कोशिशों के बावजूद देश में लोग बच्चे पैदा करने से परहेज कर रहे हैं. बच्चों की महंगी देखभाल और करियर में नुकसान जैसी वजहों से महिलाएं बच्चे पैदा करने में झिझक रही हैं.
देश में आज भी रूढ़िवादी रवैया है कि बच्चों की देखभाल महिलाओं की जिम्मेदारी होगी. इस सोच को बदलने की भी कोशिशें हो रही हैं. सरकारी स्तर पर ऐसे संदेशों को बढ़ावा दिया जा रहा है कि बच्चा पालना माता और पिता की साझी जिम्मेदारी है. हालांकि पितृत्व अवकाश आज भी बहुत कम राज्यों में ही उपलब्ध है.
विवेक कुमार (रॉयटर्स)