चीन ने दिया अमेरिका को जासूसी को सुनहरा मौका
१२ अगस्त २०२२ताइवान को चारों तरफ से घेरकर जब चीन अभूतपूर्व सैन्य अभ्यास कर रहा था तब अमेरिका और उसके साझेदार देश क्या कर रहे थे. खुफिया और सुरक्षा मामलों के कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि उस वक्त अमेरिका चीनी सेना का सारा डाटा जुटा रहे थे. चीन के युद्धाभ्यास ने इस बात की झलक दे दी कि वह युद्ध छिड़ने पर ताइवान और उसके आस पास के समंदर को कैसे बंद कर सकता है. वह किस तरह की बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है, उसकी कौन सी कमांड क्या करेगी और आपसी संवाद कैसे किया जाएगा.
सिंगापुर में रहने वाले सुरक्षा विशेषज्ञ कॉलिन कोह मानते है कि चीन के युद्धाभ्यास ने हथियारों से ज्यादा उसकी रणनीति की झलक दी है. मसलन चीन की आधुनिक बनाई गई इस्टर्न थिएटर कमांड, रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स कैसे मिलकर काम करती हैं. कोह कहते हैं, "मैं पूरी तरह ये उम्मीद करता हूं कि अमेरिका हर तरह की- सिग्नल, कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक गोपनीय जानकारी जुटा रहा होगा. ऐसा शानदार मौका कौन खोएगा."
इस जानकारी की अहमियत के बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कोह ने कहा, "जब आप दूसरे पक्ष का इस तरह का डाटा जुटाते हैं तो इसका मतलब है कि आप ये जान सकते हैं कि कमजोरियां कहां हैं, और इससे आपको अपनी जवाबी प्रतिक्रिया तैयार करने और सिस्टम को जाम करने में मदद मिलती है."
जासूसी करने वाली मशीनों का जमावड़ा
चीन के सैन्य अभ्यास के दौरान अमेरिका ने अपने चार युद्धपोत ताइवान के पूरब में तैनात कर रखे थे. इनमें सबसे मुख्य भूमिका में यूएसएस रीगन था. ये सभी युद्धपोत ताकतवर हमले से बचने में सक्षम होने के साथ साथ बड़े पैमाने पर गोपनीय जानकारियां भी जुटाते हैं. इन जानकारियों में हवा और गहरे समुद्र का सर्वे भी शामिल है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि ये जहाज सैन्य अभ्यास के दौरान इलाके में मौजूद थे.
कुछ विश्लेषक और सेवानिवृत्त इंटेलिजेंस अधिकारी कहते हैं कि चीन की मिलिट्री ड्रिल के दौरान अमेरिका, जापान और ताइवान की पनडुब्बियां सक्रिय थीं. साथ ही उनके एडवांस सर्विलांस एयरक्राफ्ट भी व्यस्त थे. पनडुब्बियां किसी युद्धपोत की खास ध्वनि तरंगों का अहम डाटा जुटा सकती हैं. विवाद की स्थिति में इस डाटा की मदद से युद्धपोत की सटीक लोकेशन ट्रैक की जा सकती है.
विमानों और जहाजों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले ऑनलाइन ट्रैकरों ने भी ताइवान के आस पास विशेष इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटेलिजेंस गैदरिंग मशीनों की पुष्टि की है. इनमें अमेरिका का ताकतवर RC-135S कोबरा बॉल एयरक्राफ्ट और मिसाइल मॉनिटरिंग शिप भी शामिल है. अमेरिकी की इंडो पैसिफिक कमांड ने इस जासूसी के बारे में रॉयटर्स के सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. चीन और ताइवान की ओर से भी समाचार एजेंसी को कोई जवाब नहीं मिला.
ऐसी जानकारियां कितनी भरोसेमंद
कुछ अधिकारियों का कहना है कि जुटाई गई सूचनाएं एक हद तक ही मददगार होती हैं. पूरी तरह इनके भरोसे रहना उनकी नजर में नासमझी है. 2014 में रूस ने जिस तरह क्राइमिया पर कब्जा किया और फिर बीते कुछ बरसों में सीरिया में मॉस्को के सैन्य अभियानों के बाद अमेरिका को लगा कि रूसी सेना दो तीन दिन के भीतर यूक्रेन की राजधानी कीव को अपने नियंत्रण में ले लेगी. यह अंदाजा पूरी तरह गलत साबित हुआ.
फिलहाल अमेरिकी रक्षा मंत्रालय, चीन और ताइवान को लेकर अपने पुराने मूल्यांकन पर कायम है. उस मूल्यांकन के मुताबिक, पेंटागन को लगता है कि पांच साल तक चीन ताइवान में सफल घुसपैठ नहीं कर पाएगा. पेंटागन के नंबर तीन के अधिकारी ने हाल ही में कहा कि चीन के सैन्य अभ्यास के बावजूद अगले दो साल तक इलाके में कोई बड़ा अंतर नहीं होने वाला है.
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि चीन ने अपनी जो क्षमताएं दिखाई हैं, उनके बारे में अमेरिका को पहले से जानकारी है. अधिकारी के मुताबिक चीन ने सैन्य अभ्यास के दौरान अपनी बेस्ट रणनीति नहीं दिखाई क्योंकि बीजिंग को पता था कि ड्रिल पर किसकी कितनी कड़ी नजर है.
कुछ अधिकारी कहते हैं कि चीन ने बड़ी सावधानी से अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की है. सैन्य अभ्यास के जरिए उसने यह जताया है कि ये 10 पुरानी चीनी सेना नहीं है, ये आधुनिक है और ताइवान के आस पास सैन्य अभ्यास तो मॉर्डन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक झलक भर है.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)