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भूटान की जमीन पर चीन ने बसाए गांवः रिपोर्ट

१८ नवम्बर २०२१

एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने भूटान की जमीन पर कई गांव बसा लिए हैं. पिछले एक साल में सौ वर्ग किलोमीटर में ये गांव बसाए गए हैं, जो भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक सैटेलाइट इमेजरी विशेषज्ञ ने कुछ तस्वीरें ट्वीट करते हुए दावा किया है कि चीन ने भूटान के अंदर पिछले एक साल में नए गांव बसा लिए हैं.

ट्वीट कहता है कि 100 वर्ग किलोमीटर के दायरे में कई गांव दिखाई दे रहे हैं. द इंटेल लैब नामक इस संस्था ने लिखा है, "डोकलाम के नजदीक भूटान और और चीन के बीच विवादित जमीन पर 2020-21 के बीच नया निर्माण देखा जा सकता है. सौ वर्ग किलोमीटर में कई नए गांव अब इस जमीन पर फैले दिखते हैं.”

भारत के लिए चिंता की बात

द इंटेल लैब ने अपने ट्वीट में सवाल भी पूछा है, "क्या यह नए समझौते का हिस्सा है या फिर चीन अपने क्षेत्रीय दावे थोप रहा है.” जिस इलाके की ये तस्वीरें दावा कर रही हैं, वो उसी डोकलाम के नजदीक है, जिसे लेकर 2017 में भारत और चीन के बीच विवाद हो चुका है. इसके बाद भी चीन ने इलाके में निर्माण जारी रखा था. नये निर्माण को लेकर दावा है कि यह भूटान की जमीन पर है.

अगर यह दावा सच है तो भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से भूटान भारत का करीबी रहा है और उसकी विदेश नीति पर भारत का काफी प्रभाव रहा है. भारत ही भूटान की फौजों को ट्रेनिंग भी देता है.

भूटान पर चीन का लगातार दबाव रहता है. चीन चाहता है कि भूटान सीमाओं को लेकर उसके साथ तोलमोल करे ताकि इलाकों को फिर भी परिभाषित किया जा सके. दोनों देशों के बीच बातचीत भी हुई. लेकिन उस बातचीत में क्या हुआ, यह सार्वजनिक नहीं हो पाया. इसलिए इस बात को लेकर संदेह जताए जा रहे हैं कि नया निर्माण कहीं उसी समझौते का हिस्सा तो नहीं है. द इंटेल लैब के मुताबिक ये नए गांव मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच बनाए गए थे.

चीन के बढ़ते दावे

हाल ही में चीन ने अपने यहां एक नया कानून पास किया है जिसके तहत 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता पावन और अक्षुण्ण है.' माना जा रहा है कि चीन के नए कानून का उसके पड़ोसी देशों पर व्यापक असर पड़ेगा.

दलाई लामा अरुणाचल में

भारत ने इस कानून पर आपत्ति जताई है. चीन के भूमि सीमा कानून पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है. इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं."

भारत ने नए कानून पर कहा कि इस तरह के एकतरफा फैसले से दोनों देशों के बीच परस्पर रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं कर चुके हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार

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