लुप्त होते जलकाक पक्षी से मछली पकड़ने की परंपरा
जलवायु परिवर्तन के असर के कारण नदी में मछलियां कम हो रही हैं, इस वजह से जलकाक पक्षी से मछली पकड़ने की परंपरा भी लुप्त होती जा रही है.
सदियों पुरानी परंपरा
युइचिरो अडाची का काम मछली पकड़ना है लेकिन वे जाल फेंककर मछली नहीं पकड़ते हैं. वे मछली पकड़ने के लिए जलकाक पक्षी का इस्तेमाल करते हैं. युइचिरो इस पेशे में अचानक नहीं आए. उनके परिवार की सत्रह पीढ़ियों ने इस तरह से मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन किया है.
पक्षी को ट्रेनिंग
इस तरह से मछली पकड़ने के लिए मछुआरे जलकाक पक्षी को ट्रेनिंग देते हैं. यह पक्षी पानी के भीतर गोता मारकर मछली को पकड़कर लाता है.
उकाई परंपरा के 1,300 साल
जलकाक पक्षी से मछली पकड़ने की इस तकनीक का जापानी नाम उकाई है. जापानियों ने इस परंपरा को 1,300 सालों से कायम रखा है. लेकिन अब इस परंपरा को गिनती के लोगों ने ही कायम रखा हुआ है.
पर्यटकों की पसंद
उकाई मुख्य रूप से पर्यटकों के कारण जीवित है. यहां पर्यटक रात के अंधेरे में एक विशेष नाव में बैठे हैं और मछली पकड़ने की इस परंपरा को देख रहे हैं.
बदलते मौसम की मार
युइचिरो अडाची कहते हैं, "आजकल नदी में पहले की तरह मछलियां नहीं मिलती हैं. बाढ़ को रोकने के लिए नदी में बांध बना दिया गया है. बदलते मौसम के कारण भी मछलियां अब कम दिखती हैं."
नदी में बढ़ता तापमान
विभिन्न पर्यावरणीय अध्ययनों के मुताबिक जापान की नागारा नदी का तापमान अब 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक है. ऐसी गर्मी में मछलियों का जीवन खतरे में है.
कौन संभाले परंपरा
48 साल के युइचिरो अडाची अब अपने 22 साल के बेटे को इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार कर रहे हैं. लेकिन उनका बेटा कंप्यूटर पर मशीन टूल्स बनाना सीख रहा है. अडाची के पास अब 16 ऐसे पक्षी हैं.