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राजनीतिनेपाल

नेपाल में युवा पत्रकार रवि लामिछाने की नई पार्टी की धमक

२४ नवम्बर २०२२

नेपाल में तेज-तर्रार पत्रकार के रूप में मशहूर रहे रवि लामिछाने की पांच महीने पुरानी पार्टी ने जोरदार मौजूदगी दर्ज की है. संसद में वे चौथी बड़ी पार्टी बनने जा रहे हैं.

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रवि लामिछाने, राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी, नेपाल
रवि लामिछाने, राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी, नेपालतस्वीर: Arun Photography/Wikipedia

सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले एक टीवी पत्रकार ने नेपाल में संसदीय चुनाव जीतकर अपनी नई पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराई है. रविवार को हुए चुनावों में सत्ताधारी पार्टी के ही दोबारा सरकार बनाने की संभावनाओं के बीच 48 वर्ष के रवि लामिछाने ने युवाओं की बेचैनी को आवाज देने की कोशिश की है.

लामिछाने नेपाल के एक बेहद चर्चित टीवी होस्ट हैं जो अपने बेहद तीखे इंटरव्यू करने से मशहूर हुए. पहली बार उनकी चर्चा अप्रैल 2013 में तब हुई थी जब उन्होंने सबसे लंबे टॉक शो का विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की थी. उन्होंने राजनीतिक हस्तियों और सरकारी अधिकारियों के स्टिंग ऑपरेशन कर देश में भ्रष्टाचार को उजागर करने जैसी कोशिशें भी की हैं.

2022 में उन्होंने गैलक्सी 4 के टीवी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाने का ऐलान किया और मंगलवार को हुए मतदान में चुनाव लड़ा. चितवन संसदीय सीट पर उन्होंने सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार और केंद्र में मंत्री रहे एक पुराने नेता को हराया है. 

पांच महीने में बनाई जगह

सिर्फ पांच महीने पहले बनाई गई उनकी पार्टी के कम से कम पांच और उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं और चार अन्य जीत के मुहाने पर हैं. नेपाल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर संसदीय सीटों का आवंटन होता है, लिहाजा राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी (एनआईपी) को संसद में कई और सीटें मिल सकती हैं और वह चौथी या संभवतया तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भी बन सकती है.

एनआईपी की टिकट पर चुनाव जीतने वालों में 27 साल की वकील सोबिता गौतम भी हैं. वह कहती हैं कि मतदाता "स्थापित राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा लगातार नजरंदाज किए जाने” से तंग आ चुके हैं. उन्होंने कहा, "यह जनादेश बताता है कि युवा पीढ़ी अब चीजों को अपने हाथ में ले रही है. मैं युवाओं और संसद के बीच एक पुल का काम करूंगी.”

एनआईपी ने जिन मुद्दों को अपने चुनाव प्रचार में शामिल किया उनमें महंगाई के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी है. कोविड महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है. महामारी के दौरान पर्यटन उद्योग तो बर्बाद हुआ ही, विदेशों में काम करने वाले प्रवासियों से धन की आमद भी कम हुई. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने पहले ही शराब और शान-ओ-शौकत की कई चीजों के आयात पर पाबंदी लगा दी है.

राजनीति विश्लेषक जीवन बनिया कहते हैं कि एनआईपी और कई अन्य छोटे दलों के उम्मीदवारों ने शहरी सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां "लोगों ने पिछले प्रतिनिधियों के खराब प्रदर्शन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है.”

बुजुर्ग बनाम युवा

मौजूदा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा 76 साल के हैं. वह पांचवीं बार इस पद पर हैं और दोबारा चुनाव जीत चुके हैं. दो अन्य बड़े दलों के नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और केपी शर्मा ओली भी चुनाव जीत गए हैं. दोनों ही दो-दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं और 65 साल से अधिक उम्र के हैं.

275 सीटों वाली संसद में इस बार भी वरिष्ठों, बुजुर्ग नेताओं और पुराने सांसदों का बहुमत रहने की संभावना है लेकिन बनिया कहते हैं कि नये सत्ता-विरोधी सांसद अगली सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं. वह बताते हैं, "शुरुआती नतीजे दिखाते हैं कि उनकी संसद में अच्छी-खासी मौजूदगी रहेगी. इसलिए बड़े दलों को काम करने के लिए उनसे संपर्क तो करना ही होगा.”

खाड़ी जाकर जान जोखिम में क्यों डालते हैं नेपाल के लोग

नेपाल में रविवार को मतदान हुआ था. 2015 में देश का नया संविधान लागू होने के बाद से यह दूसरा आम चुनाव है, जिसमें देउबा के अलावा प्रचंड भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं. हालांकि देउबा की पार्टी के ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की संभावना दिखी दे रही है. सरकार बनाने के लिए 165 सीटों की जरूरत होती है.

एक दशक तक चला गृह युद्ध 2006 में खत्म हुआ. उस युद्ध में 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और नतीजतन देश में राजशाही खत्म करके लोकतंत्र की स्थापना हुई. लेकिन पिछले सालों में कोई प्रधानमंत्री पद पर लंबे समय तक टिककर नहीं रह पाया  और सरकारें व प्रधानमंत्री लगातार बदलते रहे. ऐसे में राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी को लोकतंत्र में नई करवट के रूप में देखा जा रहा है.