जीवन भर की परेशानी दे सकता है फुटबॉल में हेडर: स्टडी
७ फ़रवरी २०१७अमेरिकन अकैडमी ऑफ न्यूरोलॉजी नामक पत्रिका में छपे एक शोध में यह जानकारी दी गई है.
अलबर्ट आइन्सटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की है जो अब तक हुए अध्ययनों के उलट नतीजे देती है. अब तक के अध्ययन के नतीजे कहते रहे हैं कि मस्तिष्काघात का खतरा उन्हीं फुटबॉलरों को होता है जिनके सिर आपसे टकराते हैं या फिर गोलपोस्ट से टकराते हैं
ताजा शोध में कुल 222 खिलाड़ियों पर अध्ययन किया गया. छह महीने तक चले इस अध्ययन के लिए खिलाड़ियों को चार समूहों में बांटा गया. ये चार समूह इस आधार पर बनाए गए थे कि कौन कितनी ज्यादा बार हेडर मारता है. सबसे ऊपर वह समूह था जिसने हर दो हफ्ते में 125 बार हेडर मारे. सबसे निचले समूह ने दो हफ्ते में सिर्फ चार बार हेडर मारे थे.
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न्यूरोलॉजी के फरवरी के अंक में छपे इस अध्ययन में बताया कि सबसे ज्यादा हेडर मारने वाले खिलाड़ियों में चक्कर आना, थकान महसूस करना, स्वास्थ्य कारणों से खेल रोकना और यहां तक कि बेहोश होने जैसे लक्षण निचले समूह के मुकाबले तीन गुना ज्यादा थे.
शोधकर्ता माइकल एल लिप्टन कहते हैं, "नतीजे दिखाते हैं कि सिर से फुटबॉल को मारने और मस्तिष्काघात के लक्षणों में संबंध है. यह उस अध्ययन के उलट है जो कहता है कि मस्तिष्काघात के लक्षण सिर्फ टकराने वालों में पाए जाते हैं. हमारा अध्ययन दिखाता है कि मस्तिष्काघात के लिए सीधी टक्कर ही जरूरी नहीं है."
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साथ ही, तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियों का भी अध्ययन किया गया. ज्यादातर रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि बार-बार मस्तिष्काघात होना जीवन में मानसिक रोगों को भी बढ़ा सकता है. अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ियों में ये समस्याएं काफी ज्यादा पाई जाती हैं. हाल ही में नेशनल फुटबॉल लीग और पूर्व खिलाड़ियों के बीच पांच साल लंबी लड़ाई खत्म हुई है. नतीजतन लीग ने खिलाड़ियों के मेडिकल बिल्स के लिए एक अरब डॉलर देने पर सहमति जताई है. लीग के मुताबिक 30 फीसदी से कुछ कम खिलाड़ियों को अल्जाइमर्स, स्कलेरोसिस या तंत्रिकातंत्र संबंधी दूसरी बीमारियां हो जाती हैं.
लेकिन अलबर्ट आइन्सटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पहली बार कहा है कि सिर पर मामूली धक्का भी लंबे समय में खिलाड़ी की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है.
स्टेफान बिएंकोवस्की/वीके