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विज्ञानब्रिटेन

कब्ज के मारे बिच्छुओं की सेक्स लाइफ ने दिलाया इग्नोबेल

१६ सितम्बर २०२२

मजेदार वैज्ञानिक रिसर्च के लिए दिए जाने वाले इग्नोबेल पुरस्कारों का ऐलान भी मजेदार होता है. इस बार कैसे-कैसे शोध के लिए मिला यह पुरस्कार...

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बिच्छुओं की सेक्स लाइफ और कब्ज में बड़ा संबंध है
बिच्छुओं की सेक्स लाइफ और कब्ज में बड़ा संबंध हैतस्वीर: Martin Zabala/Photoshot/picture alliance

कब्ज के मारे बिच्छुओं की सेक्स लाइफ, प्यारे-प्यारे से बत्तख के चूजे और रबर का बना विशालकाय बारहसिंघा. इन सब में क्या साझा हो सकता है? जवाब है कि इन्हीं चीजों ने इस साल के आईजी नोबेल विजेताओं को पुरस्कार दिलाए हैं.

नोबेल पुरस्कारों की घोषणा से मात्र एक महीना पहले हर साल इग्नोबेल पुरस्कारों का ऐलान होता है. इस साल 32वें पुरस्कारों का ऐलान हुआ जो कि वीडियो पर किया गया. यह तीसरी बार लगातार था जबकि इन पुरस्कारों का ऐलान ऐनल्स ऑफ इंप्रॉबेबल रिसर्च मैग्जीन की वेबसाइट पर किया गया.

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दस अलग-अलग श्रेणियों में विजेताओं का ऐलान किया गया है जिनमें कई तरह की मजेदार रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के नाम शामिल हैं. मसलन, एक वैज्ञानिक को इस शोध के लिए पुरस्कार मिला है कि जब लोग ‘ब्लाइंड डेट' पर मिलते हैं यानी बिना एक दूसरे के बारे में पहले से जाने मिलते हैं और वे एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं तो फिर उनके दिल एक ही वक्त पर धड़कने लगते हैं. एक अन्य मजेदार रिसर्च बताती है कि जब कानूनी दस्तावेजों को देखना क्यों किसी के लिए भी परेशान करने वाला होता है, फिर चाहे वह वकील ही क्यों ना हों.

किस-किस को मिले पुरस्कार

अमेरिका के पेन्सिल्वेनिया की वेस्ट चेस्टर यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर फ्रैंक फिश कहते हैं, "साइंस बहुत मजेदार चीज है. मैं तो कहता हूं कि आप साइंस नहीं कर रहे हैं, आप मजे कर रहे हैं.”

इग्नोबेल जीतने वाले प्रोफेसर फिश ने शोध किया है कि बत्तखों के चूजे अपनी मां के पीछे एक लाइन बनाकर ही क्यों चलते हैं. वह बताते हैं कि बत्तख के चूजों का अपनी मां के पीछे चलना वैसा ही है जैसे सड़क पर कारों का या रेस में साइकल सवारों का एक दूसरे के पीछे चलना. वह कहते हैं, "यह सारा मामला ऊर्जा बचाने का है. एक दूसरे के पीछे चलने से ऊर्जा बचती है.”

प्रोफेसर फिश ने जानवरों के तैरने को अपने अध्ययन का विषय बनाया है और वह इसी मामले के विशेषज्ञ हैं. उन्हें संयुक्त रूप से इग्नोबेल मिला है. उनके साथ यह पुरस्कार बांटने वाले शोधकर्ता स्कॉटलैंड के ग्लासगो की स्ट्रैथक्लाइड यूनिवर्सिटी में काम करते हैं. उन लोगों ने इस बात का पता लगाया कि बत्तख के चूजे अपनी मां के मरने पर सर्फिंग करते हैं.

अपने अनुभवों से शोध तक

कार्डियोलॉजी में इग्नोबेल जीतने वालीं एलिस्का प्रोचाश्कोवा को शोध का ख्याल अपने निजी अनुभवों से आया. वह बताती हैं कि ऐप पर ‘परफेक्ट मैच' खोजकर वह डेटिंग पर जा रही थीं लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला जिसे देखकर दिमाग की बत्ती जल जाए. फिर उन्होंने लोगों को ब्लाइंड डेट पर भेजा यानी वे लोग एक दूसरे को जानते नहीं थे.

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प्रोचाश्कोवा ने इन लोगों की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया और पाया कि जब लोग एक दूसरे की ओर आकर्षित हुए तो उनकी धड़कनों की गति एक जैसी हो गई और वे साथ-साथ धड़कने लगे. तो क्या उनका शोध साबित करता है कि ‘पहली नजर का प्यार' वाकई होता है?

नीदरलैंड्स की लाइडेन यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता प्रोचाश्कोवा कहती हैं, "दरअसल, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप प्यार की क्या परिभाषा देते हैं. हमने अपनी रिसर्च में पाया कि किसी से दोबारा मिलना है या नहीं, इसका फैसला लोग बहुत जल्दी कर पाते हैं. पहली मुलाकात के कुछ सेकंड्स में ही अपने सामने बैठे इंसान के बारे में लोग काफी कुछ तय कर लेते हैं.”

एक क्रूर डंक

ब्राजील की साओ पोलो यूनिवर्सिटी के सोलिमैरी गार्सिया-हर्नान्डेज और ग्लाउको माचाडो ने बिच्छुओं की सेक्स लाइफ पर शोध के लिए पुरस्कार जीता है. वे बताते हैं कि किसी शिकारी के चंगुल से बचने के लिए बिच्छू अपने शरीर का वह अंग अलग कर सकते हैं जो चंगुल में फंसा है. लेकिन इस कारण यदि उनकी पूंछ कट जाए तो उनके पाचन तंत्र का एक हिस्सा भी चला जाता है. इससे उन्हें कब्ज हो जाता है और फिर वे मर जाते हैं.

‘इंटीगरल जूओलॉजी' पत्रिका में छपे शोध में वे लिखते हैं, "चलने फिरने में दिक्कत होने पर बिच्छुओं की अपना पार्टनर खोजने की क्षमता प्रभावित होती है. "

इग्नोबेल पुरस्कार समारोह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ. हालांकि पुरस्कार पहले ही दिए जा चुके थे और उसके वीडियो का प्रसारण बाद में हुआ. लेकिन लोग हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में एक दूसरे से मिल पाए. जैसा कि इन पुरस्कारों की परंपरा रही है, नोबेल पुरस्कार जीत चुके वैज्ञानिकों को इग्नोबेल पुरस्कार दिए. पुरस्कार में हर विजेता को जिम्बाब्वे की करंसी का सौ खरब डॉलर का नोट दिया गया, जिसकी असली कीमत लगभग शून्य है.

वीके/एए (एपी)

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