कर्नाटक: परीक्षा केंद्र में सिर ढकने की मनाही पर विवाद
१४ नवम्बर २०२३कर्नाटक एग्जैमिनेशन अथॉरिटी (केईए) ने यह कदम राज्य के कई बोर्ड और कॉर्पोरेशनों में नौकरी के लिए करवाई जाने वाली भर्ती परीक्षाओं को लेकर उठाया है. ये परीक्षाएं 18 और 19 नवंबर को होनी हैं.
दरअसल केईए के नए नियम सिर्फ सिर ढकने की मनाही तक ही सीमित नहीं हैं. एक पूरा का पूरा ड्रेस कोड बनाया गया है, जिसके तहत पूरी बाजू की कमीज, कुर्ता-पजामा और जींस भी पहनने की इजाजत नहीं है.
क्या मना है ड्रेस कोड में
सलाह तो यह भी दी गई है कि उम्मीदवार जो पैंट पहनें उनमें पॉकेट ना हों तो अच्छा है. कपड़े हल्के होने चाहिएं और उन पर ना ज्यादा कढ़ाई होनी चाहिए ना बड़े बटन और ना जिप वाली पॉकेट. जूते भी पहनने की इजाजत नहीं है. जूतों की जगह पतले तलवे वाली सैंडल पहननी होंगी.
अंगूठी, झुमका, ब्रेसलेट आदि जैसे जेवर पहनना भी मना है. प्राधिकरण का कहना है कि यह कदम परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए उठाए गए हैं, लेकिन इन कदमों को राजनीतिक दृष्टि से भी देखा जा रहा है और कांग्रेस की आलोचना की जा रही है.
कुछ दिनों पहले कलबुर्गी में हो रही ऐसी ही एक परीक्षा के केंद्र में घुसने से पहले एक महिला परीक्षार्थी को उनके मंगलसूत्र समेत सारे जेवर उतारने के लिए कहा गया था. सुरक्षा अधिकारियों का कहना था कि केंद्र में धातु की चीजें ले जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया था.
बीजेपी के विधायक बसनागौड़ा पाटिल और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने राज्य सरकार पर "महिलाओं और हिंदू परंपरा का अपमान" करने का आरोप लगाया. राजनीतिक विरोध होने के बाद महिलाओं को परीक्षा केंद्र में मंगलसूत्र और बिछिया पहनने की इजाजत तो दे दी गई, लेकिन यह विस्तृत ड्रेस कोड भी लागू कर दिया गया.
कांग्रेस भी हिजाब के खिलाफ?
अब इस ड्रेस कोड को लेकर राज्य में कांग्रेस सरकार एक नए विवाद में फंस गई है. अब सरकार पर मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने से रोकने के आरोप लग रहे हैं. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कर्नाटक सरकार ने परीक्षाओं में हिजाब पर बैन लगा दिया है.
ड्रेस कोड में हिजाब का जिक्र तो नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि सिर ना ढकने के आदेश के तहत अपने आप हिजाब भी आएगा. ओवैसी का कहना है कि राज्य में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने हिजाब पर जो बैन लगाया था, कांग्रेस ने वह भी नहीं हटाया है.
कर्नाटक में 2022 में जब बीजेपी की सरकार थी उस दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने के अधिकार को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई थी. उडुपी में एक कॉलेज की छह छात्राओं ने कक्षा में हिजाब पहनने से रोकने के बाद विरोध किया था.
पुराना मामला अभी भी लंबित
हिजाब का यह विवाद उसके बाद उडुपी के अलावा अन्य जिलों तक फैल गया. छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध पर हिंदू छात्रों ने भगवा शॉल पहनकर कक्षाओं में भाग लेने की मांग की, जिससे कक्षाएं बाधित हुईं. उसके बाद मामला अदालत में गया.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रतिबंध के फैसले को सही ठहराया. फिर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 26 अपीलें दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने बंटा हुआ फैसला दिया और फैसला तीन जजों की पीठ पर छोड़ दिया है.
एक जज ने राज्य सरकार द्वारा लगाए गए बैन का समर्थन किया जबकि दूसरे जज ने विरोध. तीन जजों की पीठ का अभी तक गठन नहीं हुआ है और मामला अभी तक एक तरह से लंबित ही है.