जर्मनी ने 2045 तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन फिलहाल यहां चल रही बसों में तीन फीसदी भी क्लाइमेट न्यूट्रल नहीं हैं. इलेक्ट्रिक बसों की काफी मांग है, लेकिन इनकी लागत भी ज्यादा है. ऐसे में पुरानी डीजल बसों को ही ई-बसों में बदलकर समाधान निकाला जा सकता है. ये तकनीकी चुनौती तो है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चल रहे संघर्ष में ऐसी ही कोशिशों की जरूरत है.