हाई कोर्ट ने लौटाई आतंकवादी की ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता
१ नवम्बर २०२३2005 में बेनब्रिका को ऑस्ट्रेलिया में हमले करने के लिए आतंकवादियों का समूह तैयार करने और साजिश रचने का दोषी पाया गया था. उसे 15 साल की कैद हुई थी और उसके बाद भी उसे हिरासत में रखा गया. 2020 में देश के तत्कालीन गृह मंत्री पीटर डटन ने उसकी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता रद्द कर दी थी, जिसके बाद उसे अवैध आप्रवासियों के लिए बने हिरासत केंद्र में भेज दिया गया.
बेनब्रिका ने नागरिकता कानून को आधार बनाकर सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी. बुधवार को हाई कोर्ट की बेंच ने इस मुकदमे का फैसला बेनब्रिका के हक में सुनाया. बेंच में शामिल सात जजों में से छह ने फैसले का समर्थन किया जबकि एक ने आपत्ति दर्ज कराई.
बेनब्रिका अल्जीरियाई मूल का है. उसकी नागरिकता रद्द करने के वक्त पीटर डटन ने कहा था कि सरकार का यह फैसला एकदम उचित है. उन्होंने कहा था, "मैंने सजायाफ्ता आतंकवादी बेनब्रिका की ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता रद्द कर दी है. वह पहला ऐसा व्यक्ति है जिसकी देश में रहते हुए नागरिकता रद्द की गयी है.”
कौन है अब्दुल नासेर बेनब्रिका
अब्दुल नासेर बेनब्रिका को अबु बकर के नाम से भी जाना जाता है. अल्जीरिया में जन्मा बेनब्रिका एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर था जो 1989 में टूरिस्ट वीजा पर ऑस्ट्रेलिया आया था. एक महीने के वीजा को उसने दो बार बढ़वाया और मेलबर्न में रहने लगा. वह उत्तरी मेलबर्न के उस इलाके में रह रहा था, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है.
1990 में जब बेनब्रिका का वीजा खत्म हो गया तो वह एक अवैध आप्रवासी हो गया और वीजा पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने लगा. छह सल तक चली इस कानूनी कार्रवाई के दौरान एक सुनवाई में उसने कहा था कि वह "ऑस्ट्रेलियाई लाइफस्टाइल से प्यार" के कारण यहां रहना चाहता है.
1992 में बेनब्रिका ने लेबनानी मूल की एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक से विवाह कर लिया और इस तरह उसे देश में रहने की इजाजत मिल गयी. उस शादी से बेनब्रिका के सात बच्चे हुए. 1996 में उसे स्थायी वीजा मिल गया और 1998 में वह ऑस्ट्रेलिया का नागरिक बन गया.
आतंकवाद से संबंध
2005 में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने एक आतंकवादी समूह का भंडाफोड़ किया जो देश में कई ठिकानों पर आतंकवादी हमले करने की साजिश रच रहा था. गिरफ्तार 17 लोगों में बेनब्रिका भी शामिल था जिसे 15 साल की कैद की सजा सुनायी गई. 2020 में बेनब्रिका को रिहा होना था लेकिन उसकी सजा खत्म होने से ठीक पहले गृह मंत्री ने उसकी नागरिकता रद्द कर दी. इसलिए उसे हिरासत में ही रखा गया.
तत्कालीन गृह मंत्री पीटर डटन ने विशेष शक्तियों के तहत यह फैसला लिया था. बेनब्रिका ने इन शक्तियों को ही अदालत में चुनौती दे दी. उसकी दलील थी कि मंत्री को किसी सजायाफ्ता अपराधी को नागरिकता रद्द करने जैसी सजा देने का अधिकार नहीं होना चाहिए.
सुनवाई के दौरान बेनब्रिका के वकीलों ने दलील दी कि मंत्री को नागरिकता रद्द करने का अधिकार देना सजा सुनाने का अधिकार देने जैसा है. हालांकि सरकारी वकीलों की दलील थी कि मंत्री को ऐसा करने का अधिकार बेनब्रिका को सजा हो चुकने के बाद मिला था.
बुधवार को सुनाए फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि नागरिकता कानून की धारा 36 डी अवैध है क्योंकि यह मंत्री को ऐसी शक्तियां देती है जो अदालत को होनी चाहिए. इस आधार पर अदालत ने बेनब्रिका की नागरिकता रद्द करने का फैसला खारिज कर दिया.