"एनडीटीवी पर तो हमेशा के लिए बैन होना चाहिए"
४ नवम्बर २०१६पत्रकार बिरादरी में इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना जा रहा है. सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है कि लोग सरकार के इस फैसले पर क्या बात कर रहे हैं. फैसला आने के बाद से ही #NDTVBanned ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है.
रिया मुखर्जी लिखती हैं कि एनडीटीवी को एक तमगा इस्तेमाल करना चाहिए, जिस पर लिखा हो कि हम पर प्रतिबंध लगाया गया.
इमरान प्रतापगढ़ी लिखते हैं कि हम क्या खाएं, क्या पहनें, क्या बोलें के बाद सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से ये फैसला भी हम पर थोप दिया है कि हम क्या देखें.
जानीमानी वकील इंदिरा जयसिंह ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. वह लिखती हैं कि आपातकाल तो कानूनन लागू किया जाता है लेकिन सुपरइमरजेंसी का ऐलान नहीं किया जाता. उन्होंने सवाल पूछा है कि किस अधिकार के तहत मंत्रीपरिषद इस तरह का प्रतिबंध लगा रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एनडीटीवी पर बैन के विरोध में आह्वान किया है कि सभी चैनलों को उस दिन ऑफ एयर हो जाना चाहिए.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को आपातकाल जैसे हालात बताया है.
छात्र नेता शहला रशीद लिखती हैं कि इससे पता चलता है कि व्यवस्था कैसे हम सबकी हत्या कर रही है. उनका ट्वीट है, "पहले वे किसानों के लिए आए. फिर वे विद्यार्थियों के लिए आए. फिर वे सैनिकों के लिए आए. क्या अब भी यह देखना मुश्किल है कि व्यवस्था कैसे हम सबको मार रही है?"
वैसे, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो एनडीटीवी पर बैन से खुश हैं. पूनम चौहान नाम की एक ट्विटर यूजर लिखती हैं कि काश एनडीटीवी हमेशा के लिए बंद हो जाए.
आयुषी पांडे भी चाहती हैं कि एनडीटीवी पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दिया जाए.
टीवी एक्ट्रेस आशका गोरादिया ने एनडीटीवी पर प्रतिबंध का समर्थन किया है. वह लिखती हैं, "एनडीटीवी पर बैन लगाना सरकार का एक अच्छा कदम है क्योंकि मीडिया को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ रोकना होगा."
गौरव मोहनोट को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ट्विटर पर फॉलो करते हैं. गौरव का ट्वीट है कि एक दिन का बैन तो बस शुरुआत है, अगर राष्ट्रविरोधी चीजें जारी रखीं तो हमेशा के लिए भी बैन ज्यादा दूर नहीं है.