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समाजभारत

दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों की महापंचायत

आमिर अंसारी
२२ अगस्त २०२२

दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों ने सोमवार को महापंचायत की घोषणा की है, पुलिस ने किसानों को इसकी अनुमति नहीं दी है. दिल्ली की सीमाओं पर बैरिकेड लगाए हैं जिससे किसानों को रोका जा सके.

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तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने एक साल आंदोलन किया था
तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने एक साल आंदोलन किया थातस्वीर: Aamir Ansari/DW

महापंचायत के लिए रविवार रात से ही किसान दिल्ली पहुंचने लगे थे. सोमवार सुबह दिल्ली पुलिस ने शहर की सीमाओं पर सुरक्षा कड़े कर दिए और बैरिकेड्टस लगा दिए, जिससे किसानो को रोका जा सके. हालांकि तमाम इंतजामों के बावजूद किसान सुबह ही जंतर-मंतर पर पहुंच गए और अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

देश में बढ़ती बेरोजगारी का आरोप लगाते हुए कुछ किसान संगठनों ने किसानों की महापंचायत का आह्वान किया है. सोमवार को कुछ किसानों को पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को पलटते और धरना स्थल पर नारे लगाते हुए देखा गया.

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किसानों की क्या हैं मांगें

किसान संगठन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून बनाने की मांग के साथ, किसानों के खिलाफ कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों को न्याय और लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार करने की कर रहे हैं.

किसान एमएसपी की गारंटी का कानून की मांग कर रहे हैं
किसान एमएसपी की गारंटी का कानून की मांग कर रहे हैंतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

साथ ही किसान संगठनों की मांग है कि देशभर के किसानों को कर्जमुक्त किया जाए.

हिरासत में लिए गए थे टिकैत

रविवार शाम को दिल्ली पुलिस ने किसान नेता राकेश टिकैत को हिरासत में ले लिया था.

इसके बाद टिकैत ने एक ट्वीट कर कहा, "मोदी सरकार बेरोजगारों, नौजवानों, किसानों और मजदूरों के दमन और उत्पीड़न पर उतारू है. अधिकारों की लड़ाई के लिए लंबे संघर्ष को तैयार रहना होगा. केंद्र की शह पर दिल्ली पुलिस ने बेरोजगार युवाओं से नहीं मिलने दिया." 

सोमवार को मीडिया से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि उनका धरने का कोई कार्यक्रम नहीं है और वह दिल्ली एक किताब लॉन्च के लिए आए थे. टिकैत ने कहा कि वह जब भी धरना देंगे बताकर देंगे.

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा, "जंतर-मंतर पर किसानों के संगठन द्वारा बुलाई गई महापंचायत से पहले सिंघु और गाजीपुर सहित दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई."

मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सीसीटीवी के जरिए बॉर्डर की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.

पिछले हफ्ते ही संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी में 2021 के हिंसा मामले में "न्याय की मांग" करते हुए एक प्रदर्शन का आयोजन किया था. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने पिछले साल अक्टूबर में लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों को कथित तौर पर अपनी एसयूवी से कुचल डाला था.

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इस प्रदर्शन के दौरान डीडब्ल्यू से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था, "हमारी मांग है कि तिकुनियां कांड में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए. इसके अलावा बीजेपी कार्यकर्ता की मौत के मामले में गिरफ्तार निर्दोष किसानों को तुरंत रिहा किया जाए और उनके खिलाफ केस वापस लिए जाएं.”

लखीमपुर खीरी में क्यों जुटे हैं देश भर के किसान ?

साल 2020 में तीन कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों के किसानों ने साल भर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें वापस ले लिया था. मोदी ने उस वक्त कहा था तीनों कानूनों को किसानों के हित में ही लाया गया था, लेकिन सरकार की ही "तपस्या में कोई कमी रह गई होगी" जिसकी वजह से हम किसानों को इसके बारे में समझा नहीं पाए.