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समाज

चीन ने बनाई दुबई में गुप्त जेल, बंदी ने किया दावा

१६ अगस्त २०२१

एक युवा चीनी महिला का कहना है कि उसे आठ दिनों तक दुबई में चीन द्वारा संचालित गुप्त हिरासत केंद्र में कम से कम दो मके साथ रखा गया. यह पहला सबूत हो सकता है कि चीन अपनी सीमाओं से परे एक तथाकथित केंद्र चला रहा है.

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तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance

26 साल की वु हुआन के मंगेतर को चीन से असहमति रखने वाला माना जाता है. हुआन चीन वापस प्रत्यर्पण से बचने के लिए भाग रही थीं. उन्होंने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उन्हें एक होटल से अगवा कर लिया गया और चीनी अधिकारियों ने एक विला में उन्हें रखा जो जिसे एक जेल में तब्दील किया गया था. 

हुआन ने बताया कि उन्होंने सुना या देखा कि दो और कैदी वहां मौजूद थे, जो कि उइगुर थे.

दुबई में चीनी जेल

महिला ने बताया कि उनसे चीनी भाषा में पूछताछ की गई और धमकी दी गई. उनके मंगेतर को परेशान करने के लिए कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. आखिरकार महिला 8 को जून को रिहा कर दिया गया और अब वह नीदरलैंड्स में शरण मांग रही है.

हालांकि "ब्लैक साइट्स'' चीन में आम है. हुआन ने जो बताया है वह विशेषज्ञों के लिए भी हैरानी का कारण है कि चीन ने इस तरह के केंद्र को देश से बाहर भी स्थापित कर लिया है.

इस तरह के केंद्र यह बताते हैं कि कैसे चीन विदेशों से अपने नागरिकों को हिरासत में लेने या वापस लाने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का तेजी से इस्तेमाल कर रहा है. चाहे वे असंतुष्ट हों, भ्रष्टाचार के संदिग्ध हों या उइगर जैसे जातीय अल्पसंख्यक हों.

एपी हुआन के इस दावे स्वतंत्र रूप से पुष्टि या खंडन करने में असमर्थ है.

महिला के पास सबूत

हालांकि पत्रकारों ने उनके पासपोर्ट में लगे स्टैंप, एक चीनी अधिकारी द्वारा उनसे सवाल जवाब की रिकॉर्डिंग और महिला के द्वारा मदद के लिए भेजे गए मेसेज वाले साक्ष्य देखे और सुने हैं. चीन और दुबई ने टिप्पणी के लिए अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया है.

ताइवान के एकेडेमिया सिनिका में सहायक प्रोफेसर यू जिए चेन का कहना है कि उन्होंने दुबई में एक चीनी गुप्त जेल के बारे में नहीं सुना है, और किसी अन्य देश में ऐसी सुविधा असामान्य होगी.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा किया कि चीन चुनिंदा नागरिकों को वापस लाने के लिए आधिकारिक माध्यमों जैसे कि प्रत्यर्पण संधियों पर हस्ताक्षर करने का रास्ता अपना सकता है. अनौपचारिक साधनों जैसे कि वीजा रद्द करने या परिवार पर दबाव भी डाल सकता है.

चेन ने कहा कि विशेष रूप से उइगुरों को प्रत्यर्पित किया जा रहा है या चीन वापस लाया जा रहा है. उनका कहना है कि उइगुर को आतंकवाद के संदेह या फिर सिर्फ प्रार्थना करने पर हिरासत में लिया जा रहा है.

अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि दुबई का इतिहास एक ऐसे स्थान के रूप में है जहां उइगुरों से पूछताछ की जाती है और वापस चीन भेज दिया जाता है.

दुबई में डिटेन्डेड एडवोकेसी ग्रुप की स्थापना करने वाली राधा स्टर्लिंग कहती हैं कि उन्होंने ऐसे दर्जन भर लोगों के साथ काम किया है जिन लोगों को कथित तौर पर विला में हिरासत में रखा गया था. हिरासत में रखे गए लोगों में कनाडा, भारत और जॉर्डन के लोग थे लेकिन चीन के नहीं.

स्टर्लिंग के मुताबिक, ''इसमें कोई शक नहीं है कि यूएई ने विदेशी सरकारों की तरफ से लोगों को हिरासत में लिया है, जिन सरकारों के साथ उसके संबंध हैं.''

हालांकि, कतर में एक पूर्व अमेरिकी राजदूत पैट्रिक थेरोस, जो अब गल्फ इंटरनेशनल फोरम के रणनीतिक सलाहकार हैं, इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं.

हुआन का कहना है कि 27 मई को चीनी अधिकारियों ने उनसे होटल में पूछताछ की थी और उसके बाद पुलिस उन्हें ले गई. उन्हें तीन दिनों तक पुलिस स्टेशन में रखा गया और तीसरे दिन एक चीनी अधिकारी ने उनसे पूछताछ की. हुआन का कहना है कि चीनी अधिकारी ने पूछा कि क्या उन्होंने चीन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए विदेशी समूहों से पैसे लिए हैं.

एए/वीके (एपी)

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