शोधः बीमारी के कारण 5 में से एक पर कोविड-19 का गंभीर खतरा
१६ जून २०२०इसका कारण पहले से मौजूद मोटापे और हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं. कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान दुनिया भर में 4,20,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस अन्य गंभीर बीमारियों (को-मॉर्बिडिटीज) से ग्रसित लोगों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के विशेषज्ञों की टीम ने वैश्विक डाटा का विश्लेषण किया जिनमें डायबिटीज, फेफड़ों और एचआईवी समेत बीमारी शामिल थीं. इससे यह अनुमान लगाया गया कि कितने लोग कोविड-19 के संक्रमण के गंभीर खतरे में हैं.
विशेषज्ञों ने अपने शोध में पाया कि पांच में से एक में पहले से मौजूद बीमारी उन्हें कोविड-19 के लिए गंभीर जोखिम में डालती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर ये लोग संक्रमित हो जाते हैं तो उनमें गंभीर लक्षण विकसित नहीं होंगे. उनके मुताबिक वैश्विक आबादी के करीब 35 करोड़ लोग संक्रमित होते हैं तो उन्हें अस्पताल में दाखिले की जरूरत होगी.
शोध में भाग लेने वाले एंड्र्यू क्लार्क के मुताबिक," जैसे-जैसे देश लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं, सरकारों की कोशिश जोखिम वाले लोगों को वायरस से बचाने की है. को-मॉर्बिडिटीज वाले लोगों को सलाह दी जा सकती है कि वे अपने जोखिम के स्तर को कम करने के लिए सामाजिक दूरी का पालन करें."क्लार्क का कहना है कि शोध के नतीजे सरकारों की मदद इस बात पर कर सकते हैं कि किन्हें पहले कोविड-19 का टीका दिया जाए, जब वह उपलब्ध होगा.
कोविड-19 पर हुए अन्य शोधों के अनुरूप, लेखकों ने पाया कि बुजुर्गों में वायरस से गंभीर रूप से अस्वस्थ होने का अधिक खतरा बना रहता है. 70 साल से अधिक उम्र के दो तिहाई लोगों की तुलना में 20 साल की उम्र के सिर्फ पांच फीसदी लोगों में पहले से मौजूद बीमारी के कारण जोखिम होता है.
विश्लेषण के मुताबिक युवा आबादी वाले देशों में कम से कम एक अंतर्निहित स्थिति वाले लोग होते हैं लेकिन वैश्विक स्तर पर जोखिम अलग-अलग होता है. छोटे द्वीप जैसे फिजी और मॉरिशस में डायबिटीज की दर सबसे अधिक है जो कि कोविड-19 का ज्ञात कारक है. लांसेट पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक यूरोप में 30 फीसदी लोगों में एक या उससे अधिक बीमारी है.
एए/सीके (एएफपी)
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