जापान में हर साल कत्ल कर दिए जाते हैं हजारों भालू
२१ दिसम्बर २०२३जापान में हर साल हजारों भालुओं को गोली मार दी जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भालू लोगों के लिए दिक्कत बनते जा रहे हैं. ऐसे में जुनपेई तनाका और उनकी कुतिया रेला ने एक अलग और दयालु तरीका खोजा है.
जापान का समाज लगातार बूढ़ा हो रहा है. लोग ग्रामीण इलाकों से ज्यादा तादाद में शहरों की ओर जा रहे हैं. साथ ही जलवायु परिवर्तन भी एक वजह है, जिसके कारण भालुओं को खाने-पीने की समस्या हो रही है और उनका शीतनिद्रा का समय भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए पहले से ज्यादा बड़ी संख्या में भालू अब शहरों की ओर जा रहे हैं.
बढ़ रहे हैं हमले
इस बारे में कोई ठोस आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है कि शहरों की ओर आने वाले भालुओं की संख्या कितनी बढ़ी है लेकिन हाल ही में एक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि पिछले 11 साल में इनकी संख्या लगभग तीन गुना बढ़ गई है. इसी साल शहरों में पिछले साल से लगभग दोगुने भालू देखे गए.
करीब 500 किलोग्राम वजनी ये शक्तिशाली जानवर दौड़ने में भी बहुत तेज होते हैं और इंसान को पीछे छोड़ सकते हैं. सरकार ने 2006 में भालुओं द्वारा इंसानों पर हमलों के आंकड़े जमा करने शुरू किए थे और यह साल अब तक का सबसे घातक साल बनने जा रहा है.
अब तक छह लोग भालू के हमले में मारे जा चुके हैं जिनमें एक बुजुर्ग महिला भी शामिल है जिस पर उसके घर के सामने ही भालू ने हमला किया था. मई में एक झील के किनारे एक मछुआरे का कटा सिर मिला था और एक भालू को उसका शव मुंह में लिए देखा गया था. इसके अलावा 212 लोग ऐसे हमलों में घायल हो चुके हैं.
भालुओं के लिए ज्यादा घातक
भालुओं के लिए आंकड़े ज्यादा घातक स्थिति बयान करते हैं. पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक पिछले पांच साल में औसतन हर साल 4,895 भालू मारे गए हैं. इस साल नवंबर तक 6.287 भालुओं को कत्ल किया जा चुका है. सिर्फ नवंबर में 2,000 भालू मारे गए.
पिचियो रिसर्च सेंटर के लिए काम करने वाले भालू विशेषज्ञ जुनपेई तनाका कहते हैं, "अनुमान है कि इस साल मरने वाले भालुओं की संख्या 8,000 को पार कर जाएगी.”
इस बढ़ती संख्या से देश में बेचैनी भी है क्योंकि तीन चौथाई पहाड़ी इलाके वाला जापान खुद को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने वाला देश कहता है.
तनाका कहते हैं, "बहुत लंबे समय तक जापानी लोग जंगली जानवरों के साथ मिलजुल कर रहे हैं. वे मानते हैं कि हर जीव में ईश्वर है और गैरजरूरी हत्याओं से बचते हैं. लेकिन अब जंगली जानवरों को इंसानी बस्तियों से दूर रखना मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि पर्यावरण, समाज और लोगों की जीवन शैली बदल रही है.”
तनाका ने कारुइजावा कस्बे में एक परियोजना शुरू की है जिसका मकसद भालुओं के कत्ल को रोकना है. वह दिखाना चाहते हैं कि बिना उन्हें गोली मारे भी उनसे बचा जा सकता है. वह कहते हैं कि उनके तरीके भालू और इंसान दोनों की सुरक्षा कर सकते हैं.
कुत्तों का इस्तेमाल
अपने साथियों के साथ वह पीपों में शहद भरकर भालुओं के लिए जाल फैलाते हैं. जब वे भालू पकड़े जाते हैं तो उनके गले में रेडियो कॉलर लगाकर उन्हें दूर जंगल में छोड़ दिया जाता है. साथ ही कस्बे में कचरे के ऐसे डिब्बे लगाए गए हैं जिनमें से भालू खाना नहीं निकाल सकते. साथ ही लोगों को ज्यादा जागरूक करने की भी कोशिश की जा रही है.
इस काम में तनाका की कुतिया रेला भी उनकी मदद करती है. फिनलैंड में पाई जाने वाली कैरेलियान बेयर नस्ल की रेला को भालुओं को भगाना आता है. जब भी रेडियो कॉलर के कारण किसी भालू के इलाके में होने की सूचना मिलती है तो रेला को ले जाया जाता है और वह भालू को डराकर भगा देती है.
भालुओं को भगाने के लिए कुत्तों का इस्तेमाल जापान में नया है. शहर प्रशासन के अधिकारी मासाशी शुचिया कहते हैं, "भालू खतरनाक जानवर हैं. इसलिए हमें लोगों ने कहा कि उन्हें मार दिया जाना चाहिए. लेकिन पिचियो की परियोजना से हमने सीखा है कि हम उन पर काबू कर सकते हैं और उनके व्यवहार को पहचानकर उन्हें भगा सकते हैं.”
वीके/सीके (एएफपी)