अमेरिका क्यों चाहता है ग्रीनलैंड?
अमेरिका ने एक बार फिर ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा जताई है. राष्ट्रपति बनने जा रहे डॉनल्ड ट्रंप ने इसे “अमेरिका की सुरक्षा के लिए जरूरी” बताया. हालांकि, डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने साफ कह दिया है कि यह इलाका बिकाऊ नहीं है.
क्यों अहम है ग्रीनलैंड?
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह आर्कटिक क्षेत्र में है और अमेरिका और यूरोप के बीच स्थित है. इसकी स्थिति रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है. यह द्वीप अमेरिका के लिए सुरक्षा कवच की तरह है. यहां का पिटुफिक स्पेस बेस अमेरिका का सबसे उत्तरी सैन्य ठिकाना है. यह बेस रूस और अमेरिका के बीच के रास्ते की निगरानी करता है.
प्राकृतिक संसाधनों का खजाना
ग्रीनलैंड में तेल, गैस और रेयर अर्थ मेटल्स का बड़ा भंडार है. रेयर अर्थ मेटल्स इलेक्ट्रिक कार, विंड टर्बाइन और सैन्य उपकरण बनाने में काम आते हैं. फिलहाल, इन धातुओं के उत्पादन में चीन का दबदबा है. अमेरिका इसे लेकर चिंतित है. अगर ग्रीनलैंड के संसाधन अमेरिका के पास आ जाएं, तो यह चीन पर निर्भरता कम कर सकता है.
जलवायु परिवर्तन से खुल रहे नए रास्ते
ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही है. इससे आर्कटिक क्षेत्र में जहाजों के रास्ते खुल रहे हैं. हालांकि, ये रास्ते अभी भी खतरनाक हैं. इसके अलावा, पिघलती बर्फ के कारण प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच आसान हो सकती है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से संसाधन ज्यादा जरूरी हो रहे हैं, न कि ज्यादा सुलभ.
इतिहास में भी हुई थी कोशिश
अमेरिका ने ग्रीनलैंड को खरीदने की कोशिश पहले भी की है. 1867 में, जब अमेरिका ने अलास्का खरीदा था, तब ग्रीनलैंड पर भी चर्चा हुई थी. 1940 के दशक में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने डेनमार्क को 10 करोड़ में ग्रीनलैंड खरीदने का प्रस्ताव दिया था. ये कोशिशें नाकाम रहीं. हालांकि, 1951 में एक रक्षा समझौते के तहत अमेरिका ने ग्रीनलैंड में सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति ली.
क्या ग्रीनलैंड बिक सकता है?
डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने साफ मना कर दिया है कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है. ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री मूटे एगेडे ने कहा, “हम अपनी आजादी की लड़ाई नहीं हार सकते.” ग्रीनलैंड अपनी आजादी चाहता है और डेनमार्क पर निर्भरता खत्म करना चाहता है. लेकिन अभी भी वह हर साल डेनमार्क से 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद लेता है.
कुछ समर्थन भी है
ग्रीनलैंड के कुछ नेताओं ने अमेरिका के साथ एक विशेष समझौते का सुझाव दिया है. इसमें ग्रीनलैंड को संप्रभुता मिलेगी और अमेरिका आर्थिक मदद देगा. इसके बदले अमेरिका को अपने रणनीतिक हितों के लिए कुछ सहूलियत मिलेगी.
नतीजा क्या होगा?
अमेरिका के लिए ग्रीनलैंड रणनीतिक और आर्थिक दोनों ही लिहाज से अहम है. लेकिन इसे खरीदना आसान नहीं होगा. डेनमार्क, ग्रीनलैंड और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए देखना होगा कि ट्रंप इसे कितना आगे ले जाते हैं. हालांकि एक बयान में उन्होंने इसके लिए सेना के इस्तेमाल तक से इनकार नहीं किया.