गंभीर सूखा: क्या यूरोप सूख रहा है?
यूरोप में अभी बसंत ऋतु आई भी नहीं है और कई इलाके अभी से सूखे की चपेट में आ गए हैं. इन सर्दियों में बारिश और बर्फ दोनों कम गिरी है जिसकी वजह से पूरे यूरोप में नदियों और तालाबों में पानी का स्तर नीचे ही है.
नीला नहीं भूरा
फ्रांस में एक महीने से भी ज्यादा वक्त से बारिश नहीं हुई है. यह 1959 के बाद सर्दियों में बारिश का सबसे लंबा इंतजार है. इसका मुख्य कारण है पश्चिमी यूरोप के ऊपर बने उच्च दबाव के हालात जो बारिश वाले बादलों को दूर भगा देते हैं. जलवायु परिवर्तन यूरोप में सूखे को एक स्थायी समस्या बना सकता है. यह फ्रांस की सबसे लंबी नदी लुआर है जो लगभग सूख चुकी है - और अभी सिर्फ मार्च ही है.
ऊर्जा की कमी का एक और दौर?
फ्रेंच ऐल्प्स में 346 एकड़ में फैले 'ला द शाम्बो' जलाशय में पानी का स्तर अभी से बहुत नीचे चला गया है. फ्रांस को 15 प्रतिशत बिजली इस तरह के पनबिजली संयंत्रों से मिलती है और देश में ऊर्जा संकट के एक और दौर को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. 2022 की गर्मियों में फ्रांस के कुछ परमाणु संयंत्रों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था, क्योंकि उन्हें ठंडा करने के लिए नदियों में पर्यापत पानी नहीं था.
निराशाजनक संभावना
तुलूस में पो दे कातालान नाम का पल गरोन नदी के ऊपर बना हुआ है. फ्रांस के कुछ हिस्सों में अभी से नल सूख गए हैं. सरकार को एक और सूखे भरी गर्मी के मौसम का खतरा लग रहा है, जिसकी तैयारी करने के लिए सरकार ने तुरंत कुछ कदम उठाने के आदेश दे दिए हैं. कुछ इलाकों में स्विमिंग पूल भरने या गाड़ियों को धोने पर बैन लगा दिया गया है. उम्मीद है कि पानी बचाने की एक राष्ट्रीय योजना इसी महीने में लाई जाएगी.
जमीन से टकराती नावें
फरवरी में वेनिस में कम ज्वार के समय नहरों में पानी बिल्कुल सूख गया था और शहर की मशहूर गोंडोला मिटटी में अटकी हुई थीं. तब से शहर में स्थिति कुछ सामान्य हुई है. पिछले साल इटली में फसलें सूखे की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, विशेष रूप से देश के उत्तरी हिस्से में. डर लग रहा है कि इस साल गर्मियों में उससे ज्यादा नुकसान होगा.
पानी नहीं तो पर्यटक नहीं?
पूरे उत्तरी इटली में सूखा पड़ा हुआ है. कहा जा रहा है कि मागियोर तालाब सिर्फ 38 प्रतिशत भरा हुआ है. इन सर्दियों में इतालवी ऐल्प्स में लंबी अवधि के औसत के हिसाब से सिर्फ आधी बर्फ गिरी थी, जिसका मतलब है पिछली गर्मियों के बाद से स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आया है. पिछले साल का सूखा 70 सालों में सबसे बुरा सूखा था. आशंका है कि सूखे का पर्यटन पर भी नकारात्मक असर होगा.
30 सालों में सबसे कम पानी का स्तर
फरवरी के अंत में इटली के गारदा तालाब में पानी इतना नीचे था कि लोग बिना पांव गीले किए सान बियाजियो द्वीप तक पैदल जा सकते थे. इन सर्दियों में इतनी कम बर्फ और बारिश गिरी है कि इटली के सबसे बड़े तालाबों में पानी का स्तर 30 सालों में सबसे कम बिंदु तक गिर गया है. फ्रांस की ही तरह इटली की सरकार भी पानी की इस कमी का मुकाबला करने के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है.
जर्मनी में जलवायु परिवर्तन की मार
जर्मनी के राइनलैंड-पालाटीनेट में राइन नदी से बालू के टीले निकल आए हैं. साल के इस वक्त के हिसाब से नदी का स्तर असामान्य रूप से नीचे है. यहां भी बारिश की कमी के अलावा स्थिति और खराब ऐल्प्स की बर्फ के पिघलने में कमी की वजह से हुई है. पिछली सर्दियां में जर्मनी में लगातार 12वीं बार ऐसा हुआ था जब सर्दियां काफी गर्म थीं. जर्मन मौसम विभाग के उवे कर्ष का कहना है, "जलवायु परिवर्तन कमजोर नहीं हो रहा है."
दक्षिण से उत्तरी यूरोप तक सूखा
कोर्सिका द्वीप पर 'ला द तोला' तालाब में भी पानी का स्तर बहुत नीचे जा चुका है. इन सर्दियों में ऐसे देशों में भी सूखा पड़ा है जहां सामान्य रूप से बहुत बारिश होती है. ब्रिटेन में यह फरवरी 30 सालों में सबसे सूखा फरवरी था. विशेषज्ञ गर्मियों में आने वाले हालात के बारे में बहुत चिंतित हैं.