महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री गिरफ्तार
२ नवम्बर २०२१एनसीपी के नेता अनिल देशमुख के खिलाफ यह मामला पहली बार उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर एक गाड़ी में विस्फोटक मिलने की जांच के दौरान सामने आया था. देशमुख उस समय महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे.
उन्होंने मामले में ढीली जांच के लिए मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह को पद से हटा दिया था, जिसके बाद सिंह ने देशमुख पर बतौर गृह मंत्री पुलिस का इस्तेमाल कर उगाही करने का आरोप लगाया था.
उगाही के आरोप
सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिख कर देशमुख पर पुलिस के जरिए हर महीने 100 करोड़ रुपयों तक की उगाही करने का आरोप लगाया था. सिंह ने यह भी आरोप लगाया था कि मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे देशमुख के इशारों पर काम करते थे.
वाजे को अंबानी निवास वाले मामले में षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. सिंह की चिट्ठी के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया था. इस पूरे प्रकरण के बाद विपक्ष के दबाव के चलते देशमुख ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था.
ईडी ने जिस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया है उसमें उन पर वाजे के ही जरिए कुछ ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से करीब 4.7 करोड़ रुपये नकद वसूली करने के आरोप हैं.
परम बीर सिंह खुद हैं गायब
ईडी के मुताबिक इस राशि में से करीब 4.18 करोड़ रुपये नकद दिल्ली स्थित चार शेल कंपनियों के खातों में जमा किए गए. बाद में इन चारों कंपनियों ने सारा पैसा एक धर्मार्थ ट्रस्ट के खाते में जमा कर दिया जिसे देशमुख के परिवार के सदस्य चलाते हैं.
देशमुख ने इन आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने एजेंसी के सामने पेश होने के नोटिस को भी पांच बार नजरअंदाज कर दिया था और बॉम्बे हाई कोर्ट से अपील की थी कि वो इन नोटिसों को रद्द कर दे. अदालत ने इन्हें रद्द करने से इनकार कर दिया और देशमुख को एजेंसी के सामने पेश होने का आदेश दिया.
पूरा मामला अब बहुत ही पेचीदा हो चुका है. परम बीर सिंह खुद भी उगाही के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनके खिलाफ अलग अलग मामलों में दो अदालतों ने गैर-जमानती वारंट भी जारी कर दिए हैं लेकिन पुलिस उन्हें लापता बता रही है.