ईयू ने पेश की चिप बनाने पर अरबों खर्च करने की योजना
८ फ़रवरी २०२२एक नए चिप एक्ट के साथ यूरोपीय संघ ने 42 अरब यूरो (करीब 48 अरब डॉलर) खर्च करने की योजना लॉन्च कर दी है. सार्वजनिक और निजी फंडों में अरबों का खर्च कर ब्लॉक माइक्रोचिप के निर्माण के मामले में आत्मनिर्भर बनना चाहता है.
इससे पहले अमेरिका ने भी इसी इरादे से करीब 52 अरब डॉलर के निवेश की अपनी योजना के बारे में बताया था. अमेरिका में भी खुद सेमीकंडक्टरों का निर्माण कर एशियाई बाजारों से निर्भरता खत्म करने का लक्ष्य है.
ईयू को क्यों जरूरत पड़ गई?
कुल 27-देशों के यूरोपीय संघ का लक्ष्य सेमीकंडक्टर सेक्टर में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना है. ऐसा करने की जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि संघ एक साल से भी लंबे समय से सप्लाई चेन की समस्या झेल रहा है.
सेमीकंडक्टर के नाम से लोकप्रिय माइक्रोचिप ज्यादातर दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों में बनते हैं. इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन बनाने से लेकर कारों तक में होता है. हाल के सालों में इन चिपों की सप्लाई पर लगाम लगने के कारण तमाम पश्चिमी देशों में इनकी कमी के कारण अनगिनत एसेंबली लाइनें ठप पड़ी गईं और ऑर्डर पूरा करने में लंबी देरी देखने को मिली.
यूरोपीय परिषद की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लायन ने कहा है कि चिप एक्ट रिसर्च, डिजाइन, टेस्टिंग को जोड़ने और यूरोप और राष्ट्रीय स्तर पर निवेश में सामंजस्य बैठाने का काम करेगा. ईयू की इस घोषणा के बाद यूरोपीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं के संघ ACEA ने एक बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी. ऐसे एक्ट की जरूरत को लेकर लॉबिंग करने वाले संघ ACEA ने ईयू से अपील की कि वह बाहर से होने वाली सप्लाई पर अपनी निर्भरता घटाएं ताकि भविष्य में कभी यूरोप के अहम उद्योग धंधों को ऐसा नुकसान ना उठाना पड़े.
एशिया की ओर से प्रतिस्पर्धा
फिलहाल चिप निर्माण के सबसे बड़े ठिकाने ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया में हैं. इस एक्ट के लिए 43 अरब यूरो जुटाने के लिए ईयू 3 अरब यूरो मौजूदा ईयू बजट से लेगा और 11 अरब यूरो का निवेश होगा. बाकी की रकम यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के उस फंड से आएगी जो अपने अपने स्तर पर सेमीकंडक्टर की सप्लाई के लिए तय की गई थी.
इस अरबों यूरो की योजना को ईयू के सदस्य देशों के अलावा यूरोपीय संसद की आधिकारिक मंजूरी मिलनी बाकी है. संसद में जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे देश इसका समर्थन तो वहीं नीदरलैंड्स और नॉर्डिक देश इसका विरोध कर सकते हैं. चिप के मामले में यूरोप को जल्दी कदम उठाने होंगे वरना दूसरी ओर दक्षिण कोरिया अपने दबदबे को कायम रखने के लिए बहुत बड़ी बड़ी छूट का ऑफर देने को तैयार है.
अकेले ताइवान की चिप निर्माता कंपनी TSMC ही अगले 12 महीने में नए सेमीकंडक्टर के लिए नए प्लांट लगाने पर 40 से 44 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना चुकी है. वहीं, अमेरिकी कंपनी इंटेल आने वाले महीनों में यूरोप में चिप निर्माण की कई नई फैक्ट्रियां लगाने की घोषणा कर सकती है.
आरपी/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)