यूरोप में भी जड़ें जमा रही वन्यजीवों की तस्करी
२५ जनवरी २०१७वन्यजीवों की जिस तस्करी को अब तक अफ्रीका और एशियाई देशों तक ही सीमित माना जाता था वो अब यूरोप तक पहुंच गई है. लुप्त होने की कगार पर खड़ी इन संरक्षित प्रजातियों वाले जीवों को यूरोप के रास्ते अन्य देशों में भेजा रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए अब "ईयू एक्शन प्लान अगेंस्ट वाइल्डलाइफ ट्रैफिकिंग” कुछ कदम उठाने जा रही है.
पर्यावरण, समुद्री मामलों और मत्स्य पालन के लिए जिम्मेदार यूरोपीय कमीशन के प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि यूरोप हमेशा से ही वन्यजीवों की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाता रहा है. लेकिन हाल में इन प्रजातियों की तस्करी के जो मामले स्पेन में सामने आए हैं उन्हें देखकर लगता है कि इस दिशा में और सक्रिय कदम उठाए जाने चाहिए. साथ ही आम लोगों में भी इस मसले पर जागरूकता लाने की आवश्यकता है.
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बोर्न फ्री फाउंडेशन के एसोसिएट डायरेक्टर मार्क जोन्स के मुताबिक लोगों को ऐसा महसूस होता है कि ये मामले अफ्रीका और एशिया जैसे देशों में ही होते हैं लेकिन अब ये एक वैश्विक समस्या है. हालांकि ईयू अफ्रीका और एशिया के देशों में क्या कदम उठाता है इसकी जानकारी तो लोगों को मिल जाती है लेकिन वह यूरोप में इस समस्या से कैसे निपट रहा है इसके बारे में आम जनता को कुछ खास नहीं पता.
इन तस्करों का रास्ता ईयू के कुछ सदस्य देशों से होकर एशिया और अफ्रीका तक पहुंचता है. कमीशन के मुताबिक ईयू की सीमा पर साल 2015 में ही करीब दो हजार रेंगनेवाले जंतुओं को पकड़ा गया था, साथ ही कोरल, हाथी दांत और तमाम स्तनधारियों सहित जीवित पक्षी भी इसमें शामिल थे.
लुप्त होने के कगार पर खड़ी संकटग्रस्त प्रजातियों में शुमार यूरोपियन ईल का व्यापार यूरोप के कई देशों में हो रहा है. ग्लास ईल नाम की इस प्रजाति को गैरकानूनी ढंग से चीन, ताइवान, कोरिया, जापान और हॉन्गकॉन्ग के बाजारों में भेजा जाता है जहां इसका इस्तेमाल फैशन एक्सेसरीज में होता है.
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वहीं स्लोवाकिया, चेक गणराज्य, बेल्जियम, इटली और जर्मनी के रास्ते गैंडे के सींगों का अवैध व्यापार किया जाता है. वाइल्ड ट्रेड मॉनिटरिंग नेटवर्क ट्रैफिक से जुड़े कैटेलिन कैस के मुताबिक यूरोप की भूमिका गैंडा और बाघों जैसी प्रजातियों के संरक्षण तक सीमित है, बजाय मछली और रेंगने वाले जानवरों के.
डब्लयूडब्ल्यूएफ स्पेन में जैव विविधता के लिए जिम्मेदार विभाग के प्रमुख लुईस सुआरेज के मुताबिक, स्पेन वैश्विक स्तर पर होने वाले इस अवैध व्यापार का मुख्य खिलाड़ी है, क्योंकि यहां से दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका जाना आसान होता है.
इस समस्या को हल करने के लिए अब ईयू संयुक्त साझेदारी पर बल दे रहा है. ईयू वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान में नियमन पर जोर दिया जा रहा है. इस दिशा में काम कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे बड़ी समस्या सदस्य देशों के बीच समन्वय की है ताकि इन देशों में एक से नियम-कानूनों को लागू किया जा सके. अगर कानून हर देश में अलग रहेंगे तो तस्करों को पकड़ना मुश्किल होगा.
आइरीन बेनोस रुइज/एए