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कानून और न्यायसऊदी अरब

हज यात्रियों की मौत के लिए कौन है जिम्मेदार

मोहम्मद फरहान
२५ जून २०२४

सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान इस साल अब तक कई भारतीयों समेत 1,300 से ज्यादा लोगों की मौत की खबरें हैं. भीषण गर्मी, खराब प्रबंधन या बिना अनुमति के शामिल हुए हज यात्री, आखिर क्या है इतनी सारी मौतों का कारण.

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कितनी भी गर्मी हो लेकिन सरकार माउंट अराफात की सबसे ऊंची चोटी पर धूप से बचाने के लिए टेंट नहीं लगा सकती
कितनी भी गर्मी हो लेकिन सरकार माउंट अराफात की सबसे ऊंची चोटी पर धूप से बचाने के लिए टेंट नहीं लगा सकतीतस्वीर: Rafiq Maqbool/AP/picture alliance

सोशल मीडिया पर अफवाह की तरह शुरू हुई बात हज यात्रा खत्म होते ही सच साबित हो गई. करीब एक हफ्ते से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सऊदी अरब से आ रही तस्वीरों और वीडियो से अटे पड़े थे. इनमें मक्का की हज यात्रा पर निकले लोग सड़क के किनारे गिरे हुए या व्हीलचेयर पर बेहोश दिखाई दे रहे थे. उन तस्वीरों से लगता था कि या तो वे लोग मरने के करीब हैं या उनकी मौत हो चुकी है. लगभग सबने पारंपरिक सफेद कपड़े पहने हैं और उनके चेहरे कपड़े से ढके हुए हैं. कुछ तस्वीरों में तो ऐसा लगता है कि शवों को उसी जगह छोड़ दिया गया है जहां वे गिरे थे.

14 से 19 जून तक चले इस सालाना आयोजन के दौरान इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. यात्रा खत्म होने का बाद सऊदी अरब में हजारों हज यात्रियों की मौत की पुष्टि हो गई है. माना जा रहा है कि तेज गर्मी, टेंट और पानी की कमी इसकी सबसे बड़ी वजहें रहीं. सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने ‘लू लगने' के 2,700 मामले दर्ज किए थे. अब तो देश के आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से इस आयोजन से जुड़े कारणों से मरने वालों की संख्या 1,300 से ऊपर पहुंच चुकी है.

हज दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. इसकी इस्लाम में बहुत अहमियत है. माना जाता है कि हर वह मुसलमान जो शारीरिक रूप से सक्षम है उसे अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार हज यात्रा करनी चाहिए. ऐसी उम्मीद की गई थी कि इस साल करीब 18 लाख मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब पहुंचेंगे.

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भीषण गर्मी बनी बड़ी वजह

मिस्र, इंडोनेशिया, सेनेगल, जॉर्डन, ईरान, इराक, भारत और ट्यूनीशिया इन सभी देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों की हज यात्रा के दौरान मौत की पुष्टि की है. मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या मिस्र से बताई जा रही है, जो संभवतः 300 से भी अधिक है. इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 140 से अधिक नागरिकों की मौत की सूचना दी है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने 21 जून को बताया कि इस साल 1,75,000 भारतीय हज करने के लिए सऊदी अरब पहुंचे, जिनमें अब तक 98 लोगों की मौत की सूचना है. मंत्रालय ने ज्यादातर मौत का कारण बीमारी और ज्यादा उम्र बताया है. विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि पिछले साल 187 भारतीयों की हज यात्रा के दौरान मौत हो गई थी.

पिछले कुछ सालों में, सऊदी अरब के अधिकारियों ने हज यात्रियों को भीषण गर्मी से बचाने की कोशिश की है. उन्होंने यात्रियों के लिए मिस्टिंग स्टेशन बनाए, जो पानी की बारीक बूंदों को हवा में छोड़ता है जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिलती है. पानी उपलब्ध कराने के लिए मशीनें लगाईं, ताकि लोगों को ठंडा पानी मिल सके.

हालांकि, इन उपायों के बावजूद माना जा रहा है कि ज्यादातर मौतें गर्मी से ही जुड़ी हुई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि हज यात्रा करने वाले कई यात्री बुजुर्ग होते हैं. हज उनके लिए धार्मिक नजरिए से एक अहम काम है जिसे वे अपने जीवनकाल में पूरा करना चाहते हैं. अपनी उम्र और कमजोर शारीरिक स्थिति के कारण वे भीषण गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं.

लापता लोगों की तलाश जारी

माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है. रिश्तेदार और दोस्त अभी भी सऊदी अरब के अस्पतालों में अपने प्रियजनों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहे हैं. ये वे लोग हैं जो मक्का पहुंचे थे लेकिन अब लापता हैं.

दक्षिणी मिस्र के असवान की रहने वाली इहल्सा ने डीडब्ल्यू को व्हाट्सएप के जरिए बताया, "ईमानदारी से कहूं तो इस साल हज वाकई बहुत बुरा रहा. यह बहुत कठिन था, खासकर जमरात (कंकड़ फेंकने की रस्म) के दौरान. लोग बेहोश होकर जमीन पर गिर रहे थे.”

माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है
माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती हैतस्वीर: FADEL SENNA/AFP/Getty Images

हज यात्रा के एक हिस्से के रूप में, यात्री तीन दीवारों पर पत्थर फेंकते हैं, जो कि ‘शैतान को पत्थर मारने' का प्रतीकात्मक रूप है. इहल्सा ने बताया, "मैंने कई बार सुरक्षाकर्मियों को जमीन पर गिरे एक यात्री के बारे में बताया. पत्थर फेंकने की दूरी वाकई में काफी ज्यादा थी. उस समय बहुत ज्यादा गर्मी भी थी.”

आखिर किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?

हज यात्रियों के देशों में इस बात को लेकर भयंकर बहस छिड़ी हुई है कि आखिर इतनी मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?

हज यात्रा करने के लिए, यात्रियों को सऊदी अरब में दाखिल होने की आधिकारिक अनुमति लेनी होती है. चूंकि वहां आने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती है, इसलिए हर साल सऊदी अरब एक तय संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति देता है. पहले भी हज यात्रा में अधिक भीड़ और गर्मी के कारण काफी समस्याएं हो चुकी हैं.

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हज यात्रा के लिए आमतौर पर ट्रैवल एजेंसियां यात्रा की व्यवस्था करती हैं. ये एजेंसियां अक्सर यात्री के अपने देशों में मुस्लिम समुदाय के संगठनों या मस्जिदों से जुड़ी होती हैं. एजेंसियां ही मक्का में रहने की जगह, खाने और आने-जाने की व्यवस्था करती हैं. रजिस्टर्ड यात्री मक्का में उन्हीं ट्रैवल एजेंसियों द्वारा चलाए जाने वाले किसी मिशन या शिविर का हिस्सा होते हैं.

कुछ पीड़ितों के परिवार सऊदी के अधिकारियों या अपने ही देशों के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका आरोप है कि इन अधिकारियों ने या तो पर्याप्त व्यवस्था नहीं की या फिर यात्रियों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए जरूरत के मुताबिक टेंट नहीं लगाए.

वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि बिना अनुमति के मक्का पहुंचे यात्री भी इस घटना के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं. हज शुरू होने से पहले सऊदी अरब में 1,71,000 से अधिक बिना रजिस्ट्रेशन वाले यात्रियों की पहचान की गई थी. यह जानकारी हफ्ते की शुरुआत में सऊदी के सार्वजनिक सुरक्षा के निदेशक मोहम्मद बिन अब्दुल्ला अल-बासामी ने दी थी. सऊदी के सुरक्षा बलों ने इससे पहले बिना अनुमति हज करने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया था.

बिना रजिस्ट्रेशन वाले यात्रियों को वे सुविधाएं नहीं मिल पातीं जो रजिस्टर्ड यात्रियों को मिलती हैं. इन सुविधाओं में एयर कंडीशनिंग, पानी, टेंट और पानी के फव्वारे या कूलिंग सेंटर शामिल हैं. यही कारण हो सकता है कि इनमें से कुछ लोगों की मौत भी हो गई.

टेंट की कमी

डीडब्ल्यू ने मिस्र के एक निजी टूर कंपनी के मैनेजर से बात की. यह कंपनी पिछले कई सालों से मिस्र के यात्रियों को मक्का ला रही है. कंपनी के मैनेजर इस सप्ताह सऊदी अरब में ही थे. हालांकि, इस मैनेजर ने अपना नाम नहीं बताया क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं थी.

उन्होंने डीडब्ल्यू को फोन पर बताया, "तापमान काफी ज्यादा था. लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. साथ ही, लोग इस बात से भी बेपरवाह थे कि यह गर्मी जानलेवा हो सकती है. हर कोई बस वही कर रहा था जो उसे करना था. सारी चीजें अव्यवस्थित थी. इसके अलावा, सभी के लिए पर्याप्त टेंट तक नहीं थे. हालांकि, किसी तरह की भगदड़ नहीं हुई थी. लोग माउंट अराफात पर खड़े होकर खुश थे.”

मैनेजर ने आगे बताया, "मेरा मानना है कि जब लोगों को गर्मी और तेज धूप का अंदाजा हो गया था, तो उन्हें सबसे ऊपर जाने से बचना चाहिए था. कई यात्रियों को यह नहीं पता होता कि निचली ढलान पर खड़े होकर भी रस्में पूरी की जा सकती हैं.”

उन्होंने कहा, "यात्रियों को हज के बारे में ज्यादा जागरूक होना चाहिए. हालांकि, प्रशासन की भी जवाबदेही बनती है और वह जिम्मेदारी निभाता भी है, लेकिन कुछ यात्रियों के व्यवहार से लगा कि उन्हें इस बात की पर्याप्त जानकारी नहीं थी कि हज की रस्में कैसे निभाई जाती हैं. जैसे, सरकार माउंट अराफात की सबसे ऊंची चोटी पर धूप से बचाने के लिए टेंट नहीं लगा सकती है.”

आरोप-प्रत्यारोप का दौर और मदद की गुहारें चलती रहेंगी, लेकिन एक बात पक्की है कि आने वाले समय में हज यात्रा के दौरान गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने वाली है.

2019 में एक अध्ययन किया गया था. इस अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की गई थी कि क्या हज यात्रा के दौरान यात्रियों को गर्मी से बचाने के लिए सऊदी अरब की सरकार के उपाय कारगर साबित हुए हैं? अध्ययन में पाया गया कि सरकार के उपायों से कुछ मदद तो मिली, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाले हर साल हज यात्रा के दौरान गर्मी बढ़ती ही जा रही है, जिससे यह यात्रा खतरनाक होती जा रही है.