जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी संगठन पर राजद्रोह का आरोप
१७ मई २०२३यूनाइटेड पैट्रियट्स नाम के संगठन के पांच संदिग्धों का ट्रायल 17 मई को शुरू हुआ है. ट्रायल दक्षिणी जर्मन शहर कोब्लेंज की हायर रीजनल कोर्ट में चल रहा है. संदिग्धों में चार पुरुष और एक 75 साल की महिला है. महिला को लीडर बताया जा रहा है. इन लोगों पर जर्मन सरकार का तख्तापलट करने की योजना बनाने के आरोप हैं. संघीय अभियोजकों के मुताबिक संदिग्ध जनवरी 2022 के मध्य में साथ आये और खुद को फेराइंटे पैट्रियोटन (यूनाइटेड पैट्रियट्स) का नाम दिया. अब उन पर आतंकवादी संगठन की स्थापना करने या उसका सदस्य होने का मुकदमा दर्ज है.
जर्मन नवनाजी को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा
अभियोजकों के मुताबिक यह ग्रुप, जर्मनी में बिजली सप्लाई काटकर ब्लैक आउट करना चाहता था. संगठन, जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लाउटरबाख के अपहरण और ब्लैक आउट के जरिए देश में गृह युद्ध जैसी परिस्थितियां बनाने की फिराक में थे. संदिग्ध, जर्मनी में संसदीय लोकतंत्र को खत्म करने का इरादा रखते हैं.
तख्तापलट के बाद ग्रुप सरकारी एजेंसियों को अपने नियंत्रण में लेना चाहता था. संघीय अभियोजकों के मुताबिक, इसी वजह से संदिग्धों पर "संघीय सरकार के विरुद्ध बड़े राजद्रोह की तैयारी" के आरोप लगाए गए हैं.
कितनी गंभीर थी ग्रुप की साजिश?
जांचकर्ताओं का कहना है कि आरोपियों की तैयारी बहुत ठोस थी. संदिग्ध आपस में टेलीग्राम ऑनलाइन मैसेजिंग के जरिए चैट करते थे और कई बार अलग अलग लोकेशनों पर मिल भी चुके थे.
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बनाते नवनाजी
एक आरोपी ने बिजली नेटवर्क पर हमले के लिए ठिकाने भी चुने थे. दूसरे ने स्वास्थ्य मंत्री के अपहरण और "जरूरी हुआ तो उनके अंगरक्षकों की हत्या" की प्लानिंग की थी.
इसके लिए ग्रुप ने कलाशनिकोव बंदूकें, पिस्तौलें और गोला बारूद भी जुटाये थे. संदिग्ध यूगोस्लाविया से विस्फोटकों के लिए एक बैरल भी इंपोर्ट करना चाहते थे.
'राइषबुर्गर' मूवमेंट का हिस्सा
ग्रुप की नेता बताई जा रही 75 वर्षीय महिला, पादरी और टीचर रह चुकी है. उसने "राइषबुर्गर" के ब्लॉग पर कुछ लेख भी लिखे हैं. ये ब्लॉग ऐसे लिखे गए हैं जैसे वे 23,000 सदस्यों की आवाज हों और अब भी 1918 तक जारी राजशाही में जी रहे हों. राइषबुर्गर, मौजूदा दौर की सरकार और प्रशासन को खारिज करता है.
नाजी प्रचार के खिलाफ रिटायर्ड टीचर का संघर्ष
संदिग्ध महिला पर आरोप है कि उसने राइषबुर्गर ब्लॉग में व्लादिमीर पुतिन और डॉनल्ड ट्रंप या कथित साझेदारों को संबोधित करते हुए कई बातें लिखी हैं. इनमें यहूदी विरोधी भावनाएं भरी हैं. महिला ने खुद को आखिरी जर्मन राजा की वारिस के तौर पर पेश भी किया.
स्वास्थ्य मंत्री निशाने पर क्यों?
कार्ल लाउटरबाख को लंबे समय से जर्मनी की अहम विचारक माना जाता है. दिसंबर 2021 में स्वास्थ्य मंत्री बनने से पहले, मेडिसिन के प्रोफेसर लाउटरबाख सार्वजनिक रूप से अपनी बात रखते आ रहे हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान एक एक्सपर्ट के तौर पर वह मीडिया में खूब दिखे. इस दौरान उन्होंने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों के आपसी मेल जोल को कड़ाई से नियंत्रित करने जैसे कदमों की वकालत की. मंत्री बनते समय भी वह अपने रुख पर कायम रहे.
कड़े कदमों की हिमायत के कारण वह महामारी को खारिज करने वाले अतिवादी संगठनों की नाराजगी का केंद्र भी बने. ये अतिवादी संगठन महामारी को नहीं मानते हैं और उसे रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियों को भी खारिज करते हैं. तमाम धमकियों और खुफिया जानकारियां सामने आने के बाद लाउटरबाख अब हर वक्त सुरक्षा में रहते हैं.
कैसे पकड़ में आया संगठन
संदिग्धों की गिरफ्तारी में एक जासूस अधिकारी की अहम भूमिका बतायी जा रही है. वह कई महीनों तक आरोपियों के आस पास तैनात रहा. 13 अप्रैल 2022 को पहले चार पुरुषों को गिरफ्तार किया गया. आरोपी महिला को 13 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया. तब से ये सभी आरोपी हिरासत में हैं. दोषी साबित होने पर इन सबको लंबी सजा सकती है.