भारत: ऑनलाइन गेम्स को लेकर कड़े कानून की तैयारी
८ दिसम्बर २०२२बी भवानी ने अपने पिता को ऑनलाइन कार्ड गेम छोड़ने का आश्वासन दिया था, एक ऐसा वादा जो उसने पहले कई बार किया था. दक्षिण भारत का रहने वाला यह परिवार उसके ऊपर बढ़ते कर्ज के बारे में चिंतित था. लेकिन उस वादे के कुछ घंटों बाद 29 साल की भवानी ने अपनी जान ले ली.
भवानी शादीशुदा थी और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. उसके पति का अनुमान है कि ऑनलाइन कार्ड खेलने के कारण उसे दस लाख रुपये का नुकसान हो चुका था. एक साल पहले भवानी ने मोबाइल पर ऑनलाइन गेम रमी खेलने शुरू किया था. इसी साल जून में उसने खुदकुशी कर ली.
चेन्नई के रहने वाले भवानी के पति आर भाग्यराज ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "यह धीरे-धीरे शुरू हुआ, पहले छोटे दांव के साथ, मेरी पत्नी कुछ बार जीत गई और उसके बाद वह नहीं रुकी."
ऑनलाइन गेमिंग और बच्चों में "जुए की लत"!
युवाओं पर ऑनलाइन गेम का असर
उन्होंने कहा, "इन ऐप्स को डाउनलोड करना बहुत आसान है, फिर आप इसमें आकर्षित हो जाते हैं." उन्होंने कहा कि अब वह अपनी लगभग पूरी तनख्वाह भवानी द्वारा लिए कर्ज चुकाने में खर्च कर देते हैं. भवानी ने ऑनलाइन जुए के लिए पैसे उधार में लिए थे.
पूरे भारत में इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग में वृद्धि देखी गई है, जिसमें गेम ऑफ चांस के खेल भी शामिल हैं जिन्हें जुए के समान माना जाता है, जो कि भारत के पूरे इलाके में प्रतिबंधित है. यह राज्य सरकारों के दायरे में आता है कि उसे प्रतिबंधित माना जाए या नहीं.
अधिकांश राज्यों और प्लेटफॉर्म पर जुआ ऐप्स पर प्रतिबंध है, वहीं ऑनलाइन रियल मनी गेम को विनियमित करने के लिए कोई राष्ट्रव्यापी तंत्र नहीं है जिनमें कुछ फैंटेसी गेम जैसे स्किल आधारित माने जाने वाले खेल और पोकर शामिल हैं.
लेकिन जुए की लत और जुए से संबंधित आत्महत्याओं के बारे में बढ़ती चिंता के बीच भारत सरकार ने देश के औपनिवेशिक युग के सार्वजनिक जुआ अधिनियम को बदलने और "जिम्मेदार, पारदर्शी और सुरक्षित" ऑनलाइन गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करने के लिए एक नए कानून का मसौदा तैयार करने में मदद करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है.
इस समस्या से निपटने के लिए कई राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर कदम उठाए हैं. भवानी जिस राज्य की रहने वाली थी, वहां की तमिलनाडु सरकार ने खुदकुशी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अक्टूबर में ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया.
इंटरनेट सुरक्षा कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश का जुआ कानून, जो 1867 से है और वह केवल गेम ऑफ चांस के खेल पर प्रतिबंध लगाता है. उनके मुताबिक यह पुराना कानून तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को संचालित करने और बच्चों और गरीबों जैसे कमजोर खिलाड़ियों की रक्षा करने के लिए अपर्याप्त है.
मुंबई स्थित अधिकार समूह रेस्पॉन्सिबल नेटिज्म के सह-संस्थापक उमेश जोशी के मुताबिक, "हमने देखा कि महामारी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग और जुआ खेलना बढ़ गया है और हमने कमजोर लोगों यहां तक कि बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव और अन्य प्रभाव देखे हैं."
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से इस क्षेत्र में नियमन की जरूरत है, लेकिन हमें यूजर्स की शिक्षा, विज्ञापन पर नियम, आयु सत्यापन और प्लेटफॉर्म द्वारा ऐप्स की बेहतर निगरानी की भी जरूरत है. पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि प्रतिबंध काम नहीं करते हैं."
कोरोना काल में जिंदगी का हिस्सा बन गए ऑनलाइन गेम्स
भारत का मोबाइल गेमिंग उद्योग
भारत का मोबाइल गेमिंग उद्योग 2025 तक तीन गुने से अधिक पांच अरब डॉलर के मूल्य का होने का अनुमान है. लेकिन कानूनी क्या है यह निर्धारित करना विवादास्पद बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने रमी और और कुछ फैंटेसी गेम जो स्किल आधारित हैं उसे वैध बताया है, लेकिन कुछ हाईकोर्ट उसे गेम ऑफ चांस कह चुका है और इसलिए उसे अवैध करार दे चुका है. इन वजहों से इन गेम्स को लेकर भ्रम पैदा है और अदालत में चुनौती दी जाती है.
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) ने तमिलनाडु द्वारा रमी और पोकर पर प्रतिबंध को चुनौती दी है. एआईजीएफ का कहना है कि ये गेम ऑफ स्किल हैं और उद्योग की नौकरियां की रक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए.
एआईजीएफ के सीईओ रोलैंड लैंडर्स के मुताबिक, "वैध भारतीय ऑपरेटरों पर प्रतिबंध का प्रतिकूल असर पड़ेगा और अधिक से अधिक लोगों को अवैध वेबसाइटों की ओर धकेलेगा." एआईजीएफ देश की 900 से अधिक गेमिंग कंपनियों में से लगभग 100 का प्रतिनिधित्व करती है.
केंद्र सरकार की टास्क फोर्स ने सिफारिश की थी कि नियामक निकाय को स्किल या चांस के आधार पर ऑनलाइन खेलों का वर्गीकरण करना चाहिए और वर्जित प्रारूपों को ब्लॉक करने के लिए नियम पेश करने चाहिए साथ ही ऑनलाइन जुए पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए.
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)