डॉयचे वेले की टीशर्ट
डॉयचे वेले ने कपड़ों की एक कलेक्शन 'अनसेंसर्ड कलेक्शन' नाम से जारी की है. इसका मकसद है सूचना की आजादी के बारे में जागरूकता फैलाना.
मुश्किल में है इंटरनेट की आजादी
सितंबर में एक गैर सरकारी संस्था फ्रीडम हाउस ने एक सर्वे के बाद कहा कि दुनिया में 3.8 अरब लोग इंटरनेट प्रयोग करते हैं. इनमें से 56 प्रतिशत लोग उन देशों में रहते हैं जहां राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक सामग्री पर पाबंदियां हैं. 46 प्रतिशत लोगों को सरकारी पाबंदियों के कारण सोशल मीडिया उपलब्ध नहीं है. डॉयचे वेले ने ऑनलाइन सेंसरशिप से लड़ने के लिए अनूठा हथियार चुना हैः फैशन.
अनसेंसर्ड कलेक्शन
डीडबल्यू ने बर्लिन स्थित डिजाइनर मार्को शायानो के साथ मिलकर कपड़ों की यह कलेक्शन जारी की है. यह एक अभियान है जिसमें रोजमर्रा के कपड़ों के जरिए इंटरनेट की आजादी पर हो रहे हमलों के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी.
आजादी की थीम पर कपड़े
इस तस्वीर में दिख रही टीशर्ट की तरह तमाम कपड़ों पर ऐसे प्रतीक नजर आएंगे जो अभिव्यवक्ति की आजादी से जुड़े हैं. लेकिन बात बस इतनी नहीं है. कपड़ों के अंदर एक टूलकिट छिपी है, जो बताती है कि सेंसरशिप को कैसे चकमा दिया जा सकता है.
यह है टूलकिट
हर कपड़े के भीतर यह टैग छिपा है जिस पर ऐसे तरीके बताए गए हैं जो सेंसर की गई सामग्री को देखने के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं. इनमें ऑनलाइन राउटर या टोर जैसे टूल हैं. साइफन जैसी अन्य एप्लिकेशन भी हैं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
टोर और साइफन का प्रयोग
तकनीक पर पाबंदी लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके दिन ब दिन आधुनिक होते जा रहे हैं. ईरान और भारत जैसे देशों ने कई बार विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए इंटरनेट बंद किया है. चीन तो पूरे इंटरनेट पर ही सेंसरशिप लगाए हुए है. ऐसे में टोर (TOR) और साइफन (Psiphon) जैसे टूल बहुत काम आ सकते हैं.
अभिव्यक्ति की आजादी के लिए
डॉयचे वेले की यह नई कलेक्शन सोशल मीडिया पर अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन अभियान के रूप में पेश की जाएगी. इन्हें ऑनलाइन बेचा जाएगा और इनसे जो मुनाफा होगा उसे पत्रकारों के लिए काम करने वाली संस्था कमिटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) को दिया जाएगा.