लोकसभा चुनाव के बाद क्या कम होंगी सुंदरबन की चुनौतियां
भारत के लोकसभा चुनावों में अनेक मुद्दें हैं लेकिन एक छोटे से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील द्वीप के निवासियों की एक ही चिंता है. वह है अस्तित्व.
पर्यावरण मुद्दा क्यों नहीं बनता
लोकसभा चुनावों में धर्म, जाति, मंदिर, मस्जिद, बेरोजगारी, आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर तो सभी नेताओं ने बात की लेकिन जलवायु परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर शायद ही किसी नेता ने बात की हो.
घर डूबने से बचाना है
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24-परगना जिले में सुंदरबन अपनी जैविक विविधता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन जलवायु परिवर्तन का असर अब यहां साफ नजर आता है. समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और लोग अपने घरों को डूबने से बचा रहे हैं.
बदल रहे हालात
दक्षिण 24-परगना जिले में बांग्लादेश की सीमा से लगा सुंदरबन रॉयल बंगाल टाइगर और दुर्लभ डॉल्फिनों के लिए मशहूर है. यही कारण है कि इसका नाम यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में भी शामिल है. लेकिन जंगल को अतीत में अवैध कटाई का सामना करना पड़ा है और वह नियमित रूप से तीव्र मानसूनी तूफानों से प्रभावित हुआ है.
द्वीप की सुरक्षा है मुद्दा
पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24-परगना जिले के घोड़ामारा समेत कई द्वीप जलवायु परिवर्तन और समुद्र का जलस्तर बढ़ने की वजह से खतरे में हैं. घोड़ामारा के 3,700 से अधिक पंजीकृत मतदाताओं में से एक 60 साल के बिमल पात्रा ने कहा, "हमारे लिए, इस चुनाव में द्वीप की सुरक्षा मुख्य मुद्दा है."
एक डूबता द्वीप
जलवायु परिवर्तन का असर घोड़ामारा द्वीप पर साफ नजर आता है. भूमि कटाव की वजह से पिछले दो दशक में इस द्वीप का आधा हिस्सा खत्म हो चुका है.
घट रही आबादी
घोड़ामारा में कभी सात हजार लोग रहते थे लेकिन अब यहां रहने वालों की संख्या 4,000 है.
समंदर में समाती जमीन
पात्रा के पास कभी कई एकड़ जमीन थी, जो अब समुद्र में समा चुकी है. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि किनारों को पत्थरों से मजबूत किया जाए या हमें दूसरी जगह पर भेजा जाए." उन्होंने कहा, "पुनर्वास ही एकमात्र समाधान है."
पास आती नदी
पात्रा बताते हैं कि उनका घर कभी नदी से एक किलोमीटर दूर था लेकिन अब नदी से सिर्फ 150 मीटर की दूरी पर है.
बढ़ता तापमान और तूफान
शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले एक दशक में जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ गया है, बंगाल की खाड़ी से आने वाले चक्रवाती तूफान अधिक भयंकर हो गए हैं और लगातार आते हैं.
नेता करते हैं वादे
टीएमसी और बीजेपी दोनों के ही उम्मीदवारों ने इस द्वीप का दौरा किया था. बीजेपी के उम्मीदवार ने कहा कि उन्हें लोगों के मुख्य मुद्दे भूमि कटाव के बारे में जानकारी है और उन्होंने स्थायी समाधान ढूंढने का वादा किया है. ममता बनर्जी की सरकार ने हाल ही में वर्ल्ड बैंक के सपोर्ट से एक परियोजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य सुंदरबन में द्वीपों के तटबंधों को मजबूत करना है.