कोविड नियमों के खिलाफ यूरोप में निकलने लगा "आजादी का काफिला"
१० फ़रवरी २०२२यूरोप में भी कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियां हटाने और वैक्सीन से जुड़ी अनिवार्य शर्तों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. फ्रांस के अलग-अलग शहरों से कई सौ प्रदर्शनकारी कारों और बाइकों पर सवार होकर फ्रांस की राजधानी पेरिस और बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स की ओर बढ़ रहे हैं. ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ का मुख्यालय भी है.
इससे पहले करीब दो हफ्ते से कनाडा में ट्रक चालक कोविड पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते शनिवार और रविवार को वहां की राजधानी ओटावा समेत क्यूबेक, विनिपेग, वेंकूवर जैसे शहरों में प्रदर्शन तेज हो गए थे. कनाडा के प्रदर्शनकारियों की तर्ज पर ही फ्रांस के प्रदर्शनकारी इसे "आजादी का काफिला" नाम दे रहे हैं.
नाखुशी की वजह?
फ्रांस के पुराने शहर नीस से निकले करीब 200 बाइक और कार सवार, सरकार की ओर से जारी किए गए हेल्थ पास से नाखुश हैं. उनके मुताबिक, सरकारी हेल्थ पास और वैक्सीन की जरूरत ने वैक्सीन ना लगवाने वालों को सार्वजनिक जीवन से दूर कर दिया है.
फ्रांस में कोविड नियमों के मुताबिक, रेस्त्रां, मूवी थियेटर, ट्रेन जैसी जगहों पर कोविड वैक्सीन का प्रमाण दिखाना जरूरी है. फ्रांस में ओमिक्रॉन वैरियंट से कोविड के मामले अचानक बहुत बढ़ गए थे. क्रिसमस के आसपास कई पश्चिम यूरोपीय देशों ने सार्वजनिक आयोजनों पर पाबंदियां लगाई थीं, लेकिन फ्रांस ने राष्ट्रपति एमानुअल मैक्रां ने ऐसा कदम उठाने से इनकार कर दिया था. फ्रांस में दो महीने बाद आम चुनाव होने हैं.
सोशल मीडिया पर जुटाया समर्थन
ये प्रदर्शन सोशल मीडिया की मदद से आयोजित किए गए हैं. अब तक नीस के अलावा बेयोन, स्ट्रासबर्ग और शेयरबर्ग समेत कुल 6 शहरों से ऐसे काफिले निकले हैं. प्रदर्शनकारियों को उम्मीद है कि शुक्रवार शाम तक पेरिस और सोमवार तक ब्रसेल्स में वे बड़ी रैलियां कर पाएंगे. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, ये मुहिम फेसबुक और टेलिग्राम से शुरू हुई थी. पुलिस सूत्रों ने एएफपी से कहा है कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सुरक्षा उपाय करेंगे.
जर्मनी में वैक्सीन पर आमने-सामने
जर्मनी के शहर बॉन में जनवरी 2022 की शुरुआत से लगातार हर सोमवार को वैक्सीन के विरोध में रैली निकाली जा रही है. वैक्सीन का समर्थन करने वाले वामपंथी या वामपंथी झुकाव वाली पार्टियों से जुड़े नौजवान भी का सामना करने हर सोमवार यहां पहुंचते हैं. हालांकि, वैक्सीन विरोधियों के सामने उनकी संख्या बहुत कम है. ये प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण ही रहे हैं और पुलिस की मौजूदगी में ही हुए हैं.
डीडब्ल्यू के रिपोर्टर ओलिवर पीपर से बातचीत में हाल ही में रिटायर हुए एक स्कूल टीचर इरविन कहते हैं कि "मैं वायरस के ना होने की बात नहीं कहता, बस अनिवार्य वैक्सीन के खिलाफ हूं. ये हमारे निजी अधिकारों का बहुत बड़ा हनन होगा."
वैक्सीन विरोधियों का विरोध करने वालीं 21 साल की यूनिवर्सिटी स्टूडेंट डाएना कहती हैं कि "डर दिखाकर लोगों को इकट्ठा करना आसान है और 'राजनेता जैसों' को दुश्मन बताकर समर्थन इकट्ठा करना आसान है. इसके अलावा संक्रमण का खतरा भी है, इसलिए भी बहुत से लोग ऐसे प्रदर्शनों के लिए नहीं आते. लेकिन रैलियों का विरोध करने कुछ लोग आते हैं और वे मानते हैं कि रैलियां करने वाले (वैक्सीन विरोधी) समाज को बांटने का काम कर रहे हैं." जर्मनी में अभी तक तीन चौथाई लोगों को ही वैक्सीन लगी है. अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले, जर्मनी के आंकड़े कमजोर हैं.
आरएस/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी)