दोबारा जर्मनी के राष्ट्रपति बने श्टाइनमायर
१३ फ़रवरी २०२२फेडरल कन्वेंशन में एक बार फिर फ्रांक श्टाइनमायर को भारी बहुमत से जर्मनी का राष्ट्रपति चुन लिया गया. फेडरल कन्वेंशन में जर्मन संसद के निचले सदन के सदस्य और उतनी ही संख्या में देश के सभी 16 राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं.
पांच साल का दूसरा कार्यकाल स्वीकार करते हुए श्टाइनमायर ने कहा कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने वालों के साथ हैं. साथ ही उन्होंने रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की सूरत में युद्ध की चेतावनी भी दी. इसके लिए रूस को जिम्मेदार बताते हुए श्टाइनमायर ने कहा, "हम पूर्वी यूरोप में युद्ध के खतरे के बीच में हैं. मैं राष्ट्रपति पुतिन ने आग्रह करता हूं कि यूक्रेन की गर्दन से फंदा हटाएं और हमारे साथ यूरोप में शांति स्थापित करने के रास्ते पर चलें.”
कोविड महामारी पर बात
जर्मन राष्ट्रपति ने कोविड-19 के कारण लगाई गईं पाबंदियों के आक्रामक विरोधियों को भी संबोधित किया. उन्होंने कहा, "जो लोग पुराने घाव कुरेदते हैं, जो महामारी के संकट के दौरान झूठ और नफरत फैलाते हैं, जो कोरोना-तानाशाही की बात करते हैं और महिला पुलिसकर्मियों, नर्सों व मेयरों के खिलाफ हिंसा की बात करते हैं, उनसे मैं कहता हूं, मैं यहीं हूं और रहूंगा.”
श्टाइनमायर ने इस बात पर चिंता जताई कि महामारी ने समाज को घायल कर दिया है और इस दौरान कई गलतियां भी हुई हैं. उन्होंने कहा, "लेकिन, देवियो और सज्जनो, मुझ एक भी तानाशाही व्यवस्था दिखा दीजिए जो इस संकट से बेहतर तरीके से निपट पाई हो.”
जर्मन राष्ट्रपति: हर एक पर है महामारी को मिटाने का जिम्मा
उन्होंने कहा यूरोप और अमेरिकी सहयोगियों के साथ मिलकर जर्मनी ने तेजी से वैक्सीन विकसित कर कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक योगदान दिया. श्टाइनमायर ने कहा, "आत्मालोचन जरूरी है लेकिन हम अपनी उपलब्धियों को भी देखें.”
कौन हैं श्टाइनमायर?
66 वर्षीय फ्रांक श्टाइनमायर सोशल डेमोक्रैट हैं जो पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल के मंत्रीमंडल में दो बार विदेश मंत्री रहे. उससे पहले वह पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के चीफ ऑफ स्टाफ भी रहे थे. जर्मनी की जनता के बीच वह खासे लोकप्रिय हैं. हाल ही में एक सर्वेक्षण में 85 प्रतिशत लोगों ने माना कि वह अच्छा काम कर रहे हैं. श्टाइनमायर को सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ-साथ विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल है.
राष्ट्रपति पद के लिए कुल चार उम्मीदवार मैदान में थे. 65 वर्षीय वामपंथी नेता गेरहार्ड ट्राबेअर्ट ने विपक्षी लेफ्ट पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा जबकि 41 वर्षीय भौतिक विज्ञानी स्टेफानी गेबाउर को फ्री वोटर्स नाम के एक राजनीतिक संगठन ने नामांकित किया था.
तीसरे उम्मीदवार 57 वर्षीय माक्स ओटे थे जो दक्षिणपंथी अर्थशास्त्री हैं और अति-दक्षिणपंथी दल ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के उम्मीदवार थे. उनके चुनाव में उतरने को लेकर जर्मनी में खासा विवाद हुआ था क्योंकि ओटे एएफडी के सदस्य नहीं हैं और मुख्य राजनीतिक पार्टी क्रिश्चन डेमोक्रैट्स (सीडीयू) से जुड़े हैं. सीडीयू के सदस्यों ने उनकी सदस्यता रद्द करने की बात कही है.
जर्मनी में राष्ट्रपति की भूमिका
परंपरा के उलट इस बार फेडरल कन्वेंशन राइषटाग में नहीं हुई क्योंकि महामारी के कारण पांच फुट की दूरी का नियम लागू है. मतदान राइषटाग के नजदीक पॉल ल्यूबे हाउस में हुआ. मतदाताओं को अलग-अलग मंजिलों के विभिन्न कमरों में बिठाया गया था. वोटिंग गोपनीय बैलट से हुई और मतदाता नाम के क्रम से बूथ पर गए.
कुल 1,437 मत पड़े जिनमें श्टाइनमायर को 1,045, ओटे को 140, ट्राबेअर्ट को 96 और गेबाउर को सबसे कम 58 वोट मिले. 86 मतदाता गैरहाजिर थे और 12 मत अवैध पाए गए.
भारत की तरह जर्मनी में भी राष्ट्रपति पद प्रतीकात्मक होता है. वह रोजमर्रा की राजनीतिक गतिविधियों से इतर नैतिक जिम्मेदारियां निभाता है. उसका काम बिलों पर हस्ताक्षर करना और देश-विदेश में होने वाले समारोहों में देश का प्रतिनिधित्व करना होता है.
लोकतंत्र उतना मजबूत जितना हम उसे बनाते हैं: जर्मन राष्ट्रपति
अपने पहले कार्यकाल में श्टाइनमायर ने देश-विदेश में उदारवादी लोकतंत्र का समर्थन और प्रचार किया. उन्होंने विरोधी पक्षों को कई संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत करने को प्रोत्साहित किया जिनमें कोरोनावायरस वैक्सीन भी शामिल है.
वीके/एमजे (डीपीए, एपी)