रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जॉर्जिया की बल्ले-बल्ले
७ नवम्बर २०२२युद्ध ने जब यूरोप का आर्थिक रूप से गला घोंट रखा है, तब एक छोटा सा देश रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से अभूतपूर्व फायदा उठा रहा है. रूस का पड़ोसी जॉर्जिया इस साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने जा रहा है. इसका श्रेय उन रूसियों को जाता है जो रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जॉर्जिया चले गए. ये रूसी अपने साथ अकूत दौलत लेकर गए हैं.
जब दुनिया आर्थिक मंदी के भय से कांप रही है, तब 37 लाख लोगों का देश जॉर्जिया नए आए करीब सवा लाख रूसियों के दम पर 10 फीसदी की सालाना आर्थिक विकास दस हासिल करने की उम्मीद कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के मुताबिक देश में उपभोग चरम पर है और महज 19 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था ने वियतनाम और कुवैत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी पछाड़ दिया है.
देश के सबसे बड़े बैंक टीबीसी के सीईओ वाख्तांग बुतश्रिकिद्जे कहते हैं, "आर्थिक लिहाज से तो जॉर्जिया की स्थिति अच्छी है. एक तरह का उछाल आ गया है. छोटे-बड़े, सारे उद्योग अच्छा कर रहे हैं. मैं तो ऐसे किसी क्षेत्र के बारे में नहीं सोच पा रहा हूं, जो किसी तरह की परेशानी झेल रहा हो.”
सीमा पार करने वालों के आंकड़े दिखाते हैं कि इस साल रूस से कम से कम 1,12,000 लोग जॉर्जिया आए हैं. इन प्रवासी रूसियों की पहली खेप तो 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के फौरन बाद ही आ गई थी, जबकि 43 हजार लोगों ने सीमा पार की. इसकी मुख्य वजह रूसी सरकार का युद्ध विरोधियों का दमन मानी गई. प्रवासियों की दूसरी लहर तब आई जब रूस ने बीते सितंबर में ऐलान किया कि देशभर से सैनिक भर्ती किए जाएंगे.
हैरान हैं अर्थशास्त्री
जॉर्जिया के इस आर्थिक उछाल की उम्र कितनी लंबी होगी, इस बारे में तो कोई पुष्ट तौर पर कुछ नहीं कह पा रहा है, लेकिन अर्थशास्त्री हैरत में जरूर हैं. जॉर्जिया की आर्थिक स्थिति बहुत हद तक पड़ोसी महाशक्ति रूस पर निर्भर रहती है क्योंकि उसके आयात-निर्यात और पर्यटकों की आमद रूस से बड़े पैमाने पर होती है.
मिसाल के तौर पर यूरोपीयन बैंक ऑफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवेलपमेंट (ईबीआरडी) ने मार्च में अनुमान जाहिर किया था कि यूक्रेन युद्ध जॉर्जिया की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका होगा. इसी तरह वर्ल्ड बैंक ने अप्रैल में देश की आर्थिक विकास दर का अनुमान 5.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया था.
पूर्वी यूरोप और कॉकेशस क्षेत्र के लिए जिम्मेदार ईबीआरडी के मुख्य अर्थशास्त्री दिमितार बोगोव कहते हैं, "हमें जितनी भी आशंकाएं रही हों कि यूक्रेन का यह युद्ध जॉर्जिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डालेगा, अब तक तो उन खतरों में से कोई सच होता नहीं दिख रहा है. इसके उलट, हम जॉर्जिया की अर्थव्यस्था को दहाई के अंक में विकास करते देख सकते हैं.”
जॉर्जिया के केंद्रीय बैंक के मुताबिक अप्रैल और सितंबर के बीच रूसियों ने एक अरब डॉलर यानी लगभग 80 अरब रुपये जॉर्जियों के बैंकों में जमा कराए हैं. यह धन 2021 की इसी अवधि के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है. इस कारण जॉर्जिया की मुद्रा लारी तीन साल के अपने सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच गई है.
टीबीसी के सीईओ बुतश्रिकिद्जे और स्थानीय मीडिया, दोनों का अनुमान है कि रूस से जितने लोग आए हैं उनमें से लगभग आधे तकनीकी कौशल वाले लोग हैं. यह बात उन खबरों के हिसाब से भी सही लगती है जिनमें कहा गया था कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूसी टेक सेक्टर में सक्रिय लोग वहां से पलायन कर गए थे.
तिब्लिसी स्टेट यूनिवर्सिटी में वरिष्ठ शोधकर्ता दावित केशेलावा कहते हैं, "ये धनी लोग कई बिजनेस आइडिया लेकर जॉर्जिया आ रहे हैं और उपभोग को तेजी से बढ़ा रहे हैं. हमें युद्ध के कई तरह के बुरे प्रभावों का डर था लेकिन यह तो एकदम अलग हो गया है. परिणाम अच्छे रहे हैं.”
कब तक रहेंगे अच्छे दिन?
आंकड़े भले ही विकास की गवाही दे रहे हैं लेकिन यह विकास सभी तक पहुंचता नहीं दिख रहा है. अपने साथ खूब धन लेकर आए रूसियों की वजह से कई क्षेत्रों में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि जॉर्जिया के आम लोगों के लिए जिंदगी कठिन हो गई है. मसलन, घरों के दाम बेतहाशा बढ़े हैं और पढ़ाई बहुत महंगी हो गई है. विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी आगाह कर रहे हैं कि जब ये रूसी अपने घर लौटेंगे तो ऐसा ना हो कि सब कुछ धरातल पर आ गिरे.
रूस और जॉर्जिया के रिश्ते बहुत सुखद नहीं रहे हैं. 2008 में दोनों देश एक युद्ध लड़ चुके हैं. वह लड़ाई दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया को लेकर हुई थी, जिन पर रूस-समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है. अब भले ही देश की अर्थव्यवस्था को यूक्रेन युद्ध का लाभ मिल रहा है, लेकिन रूस उसकी सीमा पर मौजूदा है और दोनों क्षेत्रों का विवाद कभी भी आग पकड़ सकता है.
इसके अलावा लंबी अवधि में यूक्रेन युद्ध के नकारात्मक परिणामों को लेकर भी चिंता जताई जा रही है. और इस बात को लेकर भी आशंका है कि ये रूसी जब वापस जाएंगे, तो क्या होगा. जॉर्जिया की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक आर्ची के सीईओ शियो खेतसुरियानी कहते हैं, "हम नवागंतुकों पर अपना भविष्य नहीं बनाते.”
वह कहते हैं कि किराया भी तेजी से बढ़ रहा है और रियल एस्टेट डेवेलपर जरूरत से ज्यादा निवेश नहीं करना चाहते. खासतौर पर तब, जबकि निर्माण सामग्री के दाम बढ़ रहे हैं. खेतसुरियानी कहते हैं कि भले ही बढ़े हुए किराये के कारण मकान मालिकों को फायदा हो रहा हो, घरों को बेचने का मुनाफा बहुत ज्यादा नहीं बदला है.
अर्थशास्त्री इस बात को लेकर भी आगाह करते हैं कि यह उछाल ज्यादा दिन नहीं रहेगा और इसलिए जॉर्जिया की सरकार को स्वस्थ कर नीति अपनाकर अपना कर्ज चुकाने और विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए.
ईबीआरडी के बोगोव कहते हैं, "हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस साल जिन वजहों से विकास हो रहा है, वे अस्थायी हैं और लंबे समय तक ऊंची विकास दर को सुनिश्चित नहीं करते. इसलिए सावधानी जरूरी है.”
वीके/एए (रॉयटर्स)