अफगानिस्तान में दो साल में 11 गुना बढ़े पर्यटक
३० अप्रैल २०२४काबुल की एक कक्षा में 30 पुरुषों को जमकर पढ़ाई करवाई जा रही है. ये सब तलिबान द्वारा शुरू किए गए एक नए इंस्टिट्यूट के छात्र हैं. इस इंस्टिट्यूट में टूरिज्म और होस्पिटैलिटी प्रोफेशनल तैयार किए जा रहे हैं.
ये छात्र अलग-अलग उम्र और पृष्ठभूमियों से आते हैं. इनमें एक मॉडल है. 17 ऐसे हैं जिन्हें पहले काम करने का कोई अनुभव नहीं है. ये टूरिज्म और होस्पिटैलिटी उद्योग से एकदम अनजान हैं लेकिन देश के अलग पक्ष को बढ़ावा देने के लिए सभी उत्साहित हैं. इनमें कोई महिला नहीं है क्योंकि अफगानिस्तान में लड़कियों के छठी कक्षा से आगे पढ़ने पर पाबंदी है.
बढ़ रहे हैं पर्यटक
अफगानिस्तान की सरकार को दुनिया ने अलग-थलग कर रखा है. इसकी बड़ी वजह महिलाओं के खिलाफ लगाई जा रही पाबंदियां ही हैं. लेकिन इसका नतीजा यह है कि अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है, ढांचा चरमरा रहा है और गरीबी बढ़ रही है.
इसके बावजूद, विदेशी अफगानिस्तान जा रहे हैं. हिंसा में आई कमी, दुबई जैसे हवाई अड्डों से उड़ानों में वृद्धि और अनूठी व गैरपारंपरिक जगहों की यात्राओं के रोमांच के चलते अफगानिस्तान में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. हालांकि संख्या कोई बहुत बड़ी नहीं है लेकिन अफगानिस्तान में पर्यटकों की संख्या पहले भी कोई ज्यादा नहीं रही. लेकिन अब पर्यटकों के बीच अफगानिस्तान घूमने पर बात जरूर हो रही है.
2021 में 691 लोग अफगानिस्तान घूमने गए थे. 2022 में इनकी संख्या तीन गुना बढ़कर 2,300 हो गई. पिछले साल तीन गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई और 7,000 पर्यटक अफगानिस्तान पहुंचे.
काबुल में पर्यटन निदेशालय के प्रमुख मोहम्मद सईद बताते हैं कि सबसे बड़ा विदेशी बाजार चीन का है क्योंकि एक तो वहां की आबादी बहुत बड़ी है और दूसरा, वह पास है. सईद को लगता है कि अफगानिस्तान के पास कुछ खास भी है, जो उसके पड़ोसियों के पास नहीं है.
वह कहते हैं, "वे बताते हैं कि वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते क्योंकि वह खतरनाक है और वहां हमला हो सकता है. जापानियों ने मुझे ये बात बताई थी. यह हमारे लिए अच्छा है.”
बहुत हैं चुनौतियां
लेकिन अफगानिस्तान की राह में रोड़े भी बहुत हैं. वीजा मिलना मुश्किल है और महंगा बहुत है. जब तालिबान दोबारा सत्ता में आया तो बहुत से देशों ने अफगानिस्तान से कूटनीतिक रिश्ते तोड़ लिए और कोई भी देश तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता.
अधिकतर अफगानी दूतावास या तो बंद कर दिए गए हैं या वहां कामकाज ठप्प है. देश के दूतावासों में तालिबान समर्थक और विरोधी कर्मचारियों के बीच तनातनी भी चल रही है.
सईद मानते हैं कि अफगान पर्यटन को आगे बढ़ने के लिए बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन वह विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर समस्याएं सुलझाने में जुटे हैं. उनकी प्राथमिकता पर्यटकों के लिए वीजा ऑन अराइवल की सुविधा उपलब्ध करवाना है लेकिन इस काम में सालों लग सकते हैं.
फिर देश में भी ढांचा टूटा पड़ा है. सड़कें या तो हैं ही नहीं, या खस्ता हालत में हैं. अधिकतर विदेशी एयरलाइंस भी अफगान वायु सीमामें जाने से बचती हैं.
उत्साह बहुत है
फिर भी, सईद की चाहत है कि अफगानिस्तान एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो. उनके इस सपने को सरकार का साथ मिल रहा है. वह बताते हैं, "मुझे इस विभाग में कुछ निर्देशों के साथ भेजा गया है. उन्हें मुझ पर भरोसा होगा, तभी उन्होंने मुझे इतनी अहम जगह भेजा है.”
पर्यटन की पढ़ाई कर रहे छात्रों में भी बड़ी महत्वाकांक्षाएं हैं. एक मॉडल के रूप में काम कर चुके अहमद मसूद तलाश अफगानिस्तान की सबसे सुंदर जगहों के बारे में जानना चाहते हैं ताकि इंस्टाग्राम पर उनकी तस्वीरें और इतिहास पोस्ट कर सकें.
एक बिजनेस स्कूल से ग्रैजुएट समीर अहमदजई अपना होटल खोलना चाहते हैं. वह कहते हैं, "वे (विदेशी पर्यटक) सुनते हैं कि अफगानिस्तान पिछड़ा हुआ है, गरीब है और वहां बस युद्ध है. हमारा 5,000 साल पुराना इतिहास है. अफगानिस्तान के लिए अब नया पेज खुलना चाहिए.”
वीके/एए (रॉयटर्स)