भारत के लिए क्यों अहम है जी-20?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. इस दौरान मोदी इंडोनेशिया में रह रहे भारतीयों से भी मिलेंगे. जानिए इस बार जी-20 सम्मेलन क्यों भारत के लिए इतना अहम है.
जी-20 क्या है?
जी-20 बीस सदस्य देशों का समूह है. इसमें भारत, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन समेत 19 देश हैं और बीसवां है यूरोपीय संघ.
क्यों अहम है जी-20?
जी-20 में दुनिया के विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश शामिल हैं. दुनिया की तो तिहाई आबादी इन देशों में रहती है और दुनिया भर की कुल GDP का 80 से 85 फीसदी हिस्सा इन्हीं देशों से आता है.
भारत के लिए अहम
भारत के लिए जी-20 इस साल खास तौर से अहम है क्योंकि उसे जी-20 की अध्यक्षता मिलने जा रही है. यानी 2023 में जी-20 सम्मेलन भारत में होगा. 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक समूह की अध्यक्षता भारत के पास रहेगी.
अध्यक्षता मिलने का मतलब क्या है?
जी-20 का कोई एक केंद्रीय सचिवालय नहीं होता है. सदस्य देशों में से किसी एक को अध्यक्षता मिलती है. वही देश एजेंडा तैयार करता है, वही सारा कार्यभार संभालता है. दिसंबर से भारत में जी-20 के इर्दगिर्द कई तरह बैठकें शुरू हो जाएंगी.
क्या है इस बार का मुद्दा?
इस साल का नारा है – "रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर." यानी महामारी के बाद के दौर में दुनिया के देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कैसे संभालेंगे, इस पर फोकस है.
प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 की तीन बैठकों में हिस्सा लेंगे. तीनों किसी ना किसी तरह कोरोना महामारी और दुनिया पर उसके असर से जुड़ी हैं. पहली है स्वास्थ्य, दूसरी महामारी के बाद के दौर में अर्थव्यवस्था और तीसरी ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा.
रूस और यूक्रेन का मुद्दा
रूस और यूक्रेन का मुद्दा अभी भी छाया हुआ है और जी-7 देशों की कोशिश है कि उस पर भी बात की जाए लेकिन भारत ने साफ किया है कि इस शिखर सम्मेलन के लिए एक अलग एजेंडा है और भारत उसी पर ध्यान देना चाहेगा.
रूस की शिरकत
रूस से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. उनकी जगह यहां सिर्फ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव रहेंगे. इंडोनेशिया पर इस बीच काफी दबाव रहा कि वह रूस का आमंत्रण खारिज करे और यूक्रेन युद्ध को ध्यान में रख कर रूस को जी-20 से ही बाहर कर दे. हालांकि इंडोनेशिया का कहना था कि वो अकेले इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता.
भारत के लोगो पर विवाद
भारत ने अगले साल का थीम और लोगो जारी किया तो इस पर विवाद हो गया. थीम है वसुधैव कुटुम्बकम् - एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य. यानी वैश्विक समस्याओं को मिल कर सुलझाना होगा. लोगो है कमल का फूल जिस पर दुनिया टिकी है. हंगामा इस बात पर हुआ कि प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न को अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस्तेमाल कर रहे हैं.
कब शुरू हुआ जी-20?
जी-20 की शुरुआत 1999 में हुई थी. उस वक्त दुनिया मंदी से गुजर रही थी और जी-7 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर इसका हल निकालने लिए साथ आए थे. उसके बाद से वे हर साल मिलने लगे. धीरे धीरे विकासशील देशों को भी इसमें शामिल किया गया.
2008 में बदला रूप
2008 में जी-20 उस रूप में आया जिसे हम आज जानते हैं. सभी सदस्य देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री इसमें शिरकत करने लगे. मुद्दा रहा है वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना.