1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जी20 सम्मेलन में बस बातें हुईं, ठोस वादे नहीं

१ नवम्बर २०२१

इटली के रोम में हुआ जी20 सम्मेलन कोई विशेष प्रगतिशील कदम साबित नहीं हो पाया क्योंकि दुनिया के सबसे ताकतवर 20 देश कोई बड़ा वादा नहीं कर पाए. अब ये नेता ग्लासगो में COP26 सम्मलेन के लिए जमा हो चुके हैं.

https://p.dw.com/p/42PwY
तस्वीर: Oliver Welken/dpa/picture alliance

रोम में जी20 नेताओं ने इतना तो कहा कि वे पृथ्वी के तापमान को सदी के अंत तक 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न बढ़ने देने के लक्ष्य पर टिके रहेंगे. लेकिन कार्बन उत्सर्जन रोकने की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है.

जी20 नेताओं ने यह स्वीकार किया कि सम्मेलन के दौरान कोई खास प्रगति नहीं हो पाई. सम्मेलन के बाद आयोजित एक प्रेस वार्ता में इटली के प्रधानमंत्री और जी20 के मौजूदा अध्यक्ष मारियो द्रागी ने जलवायु संकट के बारे में कहा कि बहुपक्षीय कोशिशों के बिना हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे.

यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने जी20 सम्मेलन में कोई ठोस कदम उठाने पर सहमति ना बनने पर निराशा जाहिर की. उन्होंने कहा, "यद्यपि मैं इस बात का स्वागत करता हूं कि जी20 ने वैश्विक हल खोजे जाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. लेकिन मैं रोम से अधूरी इच्छाओं के साथ जा रहा हूं. लेकिन, कम से कम वे दफन तो नहीं हुई हैं.”

कोयले की कालिख पोंछने पर कुछ नहीं

ट्विटर पर अपनी टिप्पणी में गुटेरेश ने COP26 सम्मेलन से उम्मीद जताई. उन्होंने लिखा, "अब ग्लासगो की ओर. 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य जिंदा रखने के लिए और वित्त उपलब्ध कराने व लोगों और ग्रह के लिए बदलाव लाने के वादे निभाने के लिए.”

बयान के मुताबिक जी20 देशों के नेता कोयले से बिजली बनाने को खत्म करने के बारे में किसी तरह की तसल्ली नहीं दे सके. बयान में कहा गया, "हम नए कोयला बिजली संयंत्र बनाने से रोकने की भरपूर कोशिश करेंगे लेकिन उसके लिए देश के राष्ट्रीय हालात के मद्देनजर फैसले लिए जाएंगे और उसी हिसाब से कोयले से दूर जाने के लिए और पेरिस समझौते के लक्ष्य हासिल करने के बारे में निर्णय होंगे.”

जी20 का यह बयान लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बड़ी बाधा है क्योंकि भारत जैसे कई देश कह चुके हैं कि वे कोयले का इस्तेमाल बंद नहीं करेंगे. भारत ने तो कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए लक्ष्य तय करने तक से इनकार कर दिया है.

सब सहमत तो हुए

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि पेरिस समझौते से डिगा नहीं जाएगा. मैर्केल के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी रोम में बैठक को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे मजबूत 20 अर्थव्यवस्थाओं का यह कहना है कि पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सिय के लक्ष्य पर वे सहमत हैं, एक "बहुत बहुत अच्छा नतीजा है” और जी20 नेताओं ने ग्लासगो सम्मेलन से पहले एक अच्छा संकेत दिया है.

10 आपदाएं जो जलवायु परिवर्तन के कारण आईं

डॉयचे वेले संवाददाता आलेग्जांडर फोन नामेन ने कहा कि मैर्केल इस बात से खुश हैं कि सभी नेताओं ने साझा बयान पर दस्तखत किएग. नामेन ने बताया, "हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि पिछले जी20 सम्मेलन में साझा बयान पर 19 सदस्यों ने ही दस्तखत किए थे.” अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि जी20 के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर ठोस प्रगति की है. हालांकि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जीन पिंग की गैरहाजरी पर अफसोस जताया. उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि रूस और चीन प्रतिबद्धताएं दिखाने नहीं आए.

वीके/एए (एपी, डीपीए)

देखिए पूरा एपिसोड: ईको इंडिया 148