रूस पर जी7 के नये प्रतिबंध
१९ मई २०२३ब्रिटेन का कहना है कि वह रूस के हीरों पर प्रतिबंध लगाएगा. वहीं कई मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि अमेरिका, उन कंपनियों पर सख्ती करेगा जो प्रतिबंधों को कमजोर करने में रूस की मदद कर रही हैं. जापान के शहर हिरोशिमा में जी7 देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के दौरान एक साझा बयान भी जारी किया गया. जी7 ने अपने साझा बयान में यह भी कहा, "हम अपने उन कदमों में भी सफलता पा रहे हैं जिनके तहत तय किया जा रहा है कि रूस, हमारे और दुनिया के खिलाफ ऊर्जा की उपलब्धता को हथियार न बना सके."
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कनाडा, जापान, फ्रांस, अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के समूह जी7 के मुताबिक यूक्रेन में शांति तब तक हासिल नहीं की जा सकती, जब तक "रूसी सेना और सैन्य साजो सामान वहां से पूरी तरह और बिना किसी शर्त के हट नहीं जाते."
रूसी हीरों को नकेल
सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने एलान किया कि उनका देश, रूस से हीरे, तांबे, एल्युमीनियम और निकेल जैसी धातुओं का आयात बैन कर रहा है. रूस हर साल अरबों डॉलर का हीरे बेचता है.
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ब्रिटेन उन 86 लोगों और कंपनियों पर भी कार्रवाई करेगा जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के "मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लैक्स" से जुड़े हैं. सुनक सरकार के मुताबिक अब ऊर्जा, धातु और शिपिंग उद्योग पर सख्ती की जाएगी.
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने भी ईयू में रूसी हीरों के कारोबार पर लगाम कसने की जानकारी दी.
रूस पर अमेरिका के नये प्रतिबंध
कई मीडिया संस्थानों ने एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी के हवाले से रूस पर लगाए जा रहे नये अमेरिकी प्रतिबंधों की जानकारी दी है. अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, "जी7 के सभी सदस्य नये प्रतिबंधों और एक्सपोर्ट कंट्रोल को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन अमेरिका प्रतिबंधों का अपना एक पैकेज भी लागू करेगा."
अमेरिकी प्रतिबंधों के जरिये रूस और अन्य देशों की करीब 70 कंपनियों को अमेरिका में निर्यात करने से रोका जाएगा. वॉशिंगटन 300 लोगों, कंपनियों, जहाजों और विमानों पर भी बैन लगाएगा. नाम न छापने की शर्त पर अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "ये वित्तीय सेवा मुहैया कराने वालों के साथ ही युद्ध में रूस और उसकी मदद करने वालों की भविष्य की ऊर्जा और क्षमता को निशाना बनाएंगे."
हालांकि जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स जल्दबाजी में रूस पर नये आर्थिक प्रतिबंध लगाने का समर्थन नहीं कर रहे हैं. शॉल्त्स चाहते हैं कि मॉस्को के खिलाफ ऐसे कदम उठाए जायें जो तार्किक हों और अमल में लाये जा सकें.
क्यों असरदार नहीं हो सके प्रतिबंध
रूस के पास कच्चे तेल, गैस, हीरों और कई जरूरी धातुओं का बड़ा भंडार है. इसके कारण पश्चिमी प्रतिबंध रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने में बहुत हद तक नाकाम साबित हो रहे हैं.
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आर्थिक प्रतिबंधों की मार से बचने के लिए रूस, दुनिया की दो ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं चीन और भारत को खूब तेलबेच रहा है. ईंधन की इस सप्लाई से कई देशों की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो रही हैं और रूस को पैसा भी मिल रहा है.
जी7 देशों ने मिलकर पिछले साल रूसी तेल और डीजल के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय की थी. लेकिन इसका भी बहुत ज्यादा असर होता नहीं दिख रहा है.
ओएसजे/एके (एएफपी, रॉयटर्स)