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राजनीतिफ्रांस

34 साल के गैब्रिएल अताल बने फ्रांस के सबसे युवा पीएम

९ जनवरी २०२४

गैब्रिएल अताल फ्रांस के नए प्रधानमंत्री बने हैं. अभी अताल की गिनती फ्रांस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में होती है. जानकारों का मानना है कि एक लोकप्रिय चेहरा आगे रखकर माक्रों अपनी सरकार की संभावनाएं बढ़ाना चाहते हैं.

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गैब्रिएल अताल
34 साल के गैब्रिएल अताल फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं.तस्वीर: Christian Liewig/abaca/picture alliance

राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के दफ्तर ने एक बयान जारी कर इस नियुक्ति की जानकारी दी. बयान में बताया गया, "रिपब्लिक के राष्ट्रपति ने गैब्रिएल अताल को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है और उन्हें मंत्रिमंडल के गठन की जिम्मेदारी सौंपी है."

34 साल के अताल फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले वह सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. अताल पहले ऐसे फ्रेंच प्रधानमंत्री हैं जिनकी समलैंगिक पहचान सार्वजनिक है.

काफी लोकप्रिय हैं अताल

कोविड महामारी के दौरान बतौर प्रवक्ता स्पष्ट तरीके से जानकारियां साझा करने के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ी और कुछ हालिया सर्वेक्षणों में उन्हें सबसे लोकप्रिय फ्रेंच नेताओं में गिना गया. कई टिप्पणीकारों का कहना है कि अताल की लोकप्रियता वैसी ही है, जैसी 2017 में माक्रों की थी.

अताल, माक्रों के करीबी भी माने जाते हैं. जानकारों की राय है कि अताल को पीएम बनाकर माक्रों अपनी सरकार का नया चेहरा पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जून में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनावों में उनकी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की संभावनाएं बढ़ें.

इस घटनाक्रम से पहले 8 जनवरी को प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने इस्तीफा दे दिया था. बीते दिनों फ्रांस की संसद के नया इमिग्रेशन कानून पास करने के बाद से ही सरकार में गतिरोध बना हुआ था. इस कानून के सख्त प्रावधानों और कथित दक्षिणपंथी रुझानों के बीच माक्रों की अपनी पार्टी और सरकार बंट गई थी.

इमानुएल माक्रों और गैब्रिएल अताल
इमानुएल माक्रों के विश्वस्त समझे जाने वाले गैब्रिएल अताल सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैंतस्वीर: Raphael Lafargue/abaca/picture alliance

सरकार की छवि बदलने की कोशिश!

माक्रों के कार्यकाल के आखिरी तीन साल बचे हैं. 2022 में दोबारा जीतकर आने के बाद से ही माक्रों के आगे कई चुनौतियां खड़ी होती रही हैं. पेंशन नियमों में बदलाव पर उन्हें जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा. संसदीय चुनावों में उन्हें अपना बहुमत गंवाना पड़ा. नए इमिग्रेशन कानून के सख्त प्रावधानों के कारण उनपर आरोप लगा कि वह दक्षिणपंथी राजनीति की नीतियों पर चल रहे हैं.

फ्रांस में अगला राष्ट्रपति चुनाव 2027 में होना है. माक्रों खुद तो यह चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन सरकार के प्रति बन रही नाराजगी उनकी राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी मरीन ल पेन की चुनावी जीत में भूमिका निभा सकती है. ओपिनियन पोल्स में माक्रों की रेनेजां पार्टी, मरीन ला पेन की दक्षिणपंथी पार्टी "नेशनल रैली" से पीछे चल रही है. दोनों के बीच आठ से 10 फीसद का फर्क है. माना जा रहा है कि माक्रों, सरकार का नया चेहरा पेश कर मरीन ला पेन की संभावनाएं घटाना चाहते हैं.

फ्रांस का चलता फिरता अस्पताल

एसएम/आरएस (एएफपी, रॉयटर्स)