आवास संकट से जूझता गजा, कब्रिस्तान में रहने को मजबूर लोग
गजा पट्टी में रहने वालों के पास मृतकों के लिए कब्रों की कमी है और यहां आवास का भी संकट बढ़ता जा रहा है. कई लोग कब्रिस्तानों में घर बनाकर रहने को मजबूर हैं.
कब्रिस्तान में ही घर
शेख शाहबान कब्रिस्तान में कामिलिया कुहैल का परिवार रहता है. यह कब्रिस्तान इलाके का सबसे पुराना कब्रिस्तान है. घर को कुहैल के पति ने बनाया है और वह दो अनजान लोगों की कब्र पर खड़ा है.
शहर में रहने के लिए जगह नहीं
कुहैल के पति ने कब्रिस्तान में रहने की व्यवस्था की क्योंकि उनके पास रहने के लिए और कोई जगह नहीं थी. जब कुहैल से यह पूछा गया कि कब्रिस्तान में रहना कैसा लगता है, तो उन्होंने कहा, "अगर मुर्दे बोल पाते तो हमसे कहते- यहां से चले जाओ!"
13 साल से यही है ठिकाना
कुहैल के परिवार में पति और छह बच्चे हैं. पूरा परिवार पिछले 13 सालों से यहीं रहने को मजबूर है.
कब्रों के बीच रहते हुए देखते हैं सपना
कुहैल के चार बच्चे कब्रिस्तान से स्कूल जा रहे हैं. वे पढ़ना चाहते हैं और आगे चलकर अच्छी कमाई भी करना चाहते हैं. कुहैल के बच्चे शव को दफनाने के वक्त पानी पहुंचाकर कुछ कमा लेते हैं.
गजा में भूमि संकट
कुहैल जैसे कई लोग अब कब्रिस्तानों में रहने को मजबूर हैं. गजा में संघर्ष के चलते बहुत से लोग विस्थापित होते हैं. ऐसे लोगों के लिए फिर से घर बनाना, संघर्ष में मारे गए लोगों को दफनाना अब एक बड़ी चुनौती है.
14 हजार आवास की जरूरत
गजा के उप आवास मंत्री नाजी सरहान ने कहा कि गजा पट्टी में आवास की समस्या को हल करने के लिए कम से कम 14,000 घरों के निर्माण करने की जरूरत है.
कब्रिस्तान भी जरूरी है
जगह की कमी के कारण गजा में कुल 24 कब्रिस्तान बंद कर दिए गए हैं. शेख रदवान कब्रिस्तान के गार्ड खालिद हिजाजी ने बताया कि कुछ पुराने कब्रिस्तान बंद हैं तो कई लोग अपने मृत रिश्तेदारों को घरों के पास बंद कब्रिस्तान में जबरन दफना रहे हैं.