जर्मनी में इस्लामिक स्टेट के नेटवर्क पर बड़ी छापेमारी
३१ मई २०२३गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग जर्मन नागरिक हैं. उनपर डोनेशन जमा करके कथित इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह को भेजने का आरोप है. आरोपी कथित तौर पर एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो टेलिग्राम जैसे प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल कर सीरिया में आईएस को वित्तीय सहायता दिलवाता है. ऐसा माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर खास तरह के अभियान चलाकर डोनेशन जमा किया गया.
जांचकर्ताओं के मुताबिक, इस तरीके से कम-से-कम 65 हजार यूरो भेजे गए. आशंका है कि इस रकम का इस्तेमाल सीरिया में कैद आईएस सदस्यों की मदद में किया गया. कुछ मामलों में तो इस रकम की मदद से आईएस सदस्य कैद से भागने में कामयाब हुए.
अब भी है खतरा
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने कहा कि छापेमारियां बताती हैं कि सुरक्षा एजेंसियां आईएस के खतरे को अब भी कितनी गंभीरता से लेती हैं. फेजर ने बताया, "इस्लामिक आतंकवाद से खतरा अब भी काफी खतरा है. हम बहुत सतर्क हैं और इस्लामिस्टों पर कड़ी कार्रवाई जारी है. इस्लामिक आतंकवाद के क्षेत्र में फाइनैंसिंग नेटवर्कों की पहचान और खुलासा बहुत अहम है. वित्तीय संसाधन ही हैं, जो संविधान विरोधी विचारधाराओं के प्रसार में मदद करते हैं और आतंकवादियों की गतिविधियों का आधार बनते हैं. इसीलिए ऐसे नेटवर्कों की पहचान कर उन्हें खत्म करना बहुत जरूरी है."
2014 से दंडनीय
युद्ध प्रभावित सीरिया और पड़ोसी इराक के बड़े इलाके पर आईएस का नियंत्रण था. जर्मनी की आंतरिक खुफिया सेवा के मुताबिक, आईएस 2016 के बाद आईएस का असर कम होने लगा. उसके हाथ से इलाके निकलने लगे. हालांकि यह अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इसके सेल्स अब भी इराक और सीरिया में सक्रिय हैं.
2014 से ही देश के क्रिमिनल कोड के तहत, आईएस के सदस्यों या समर्थकों की किसी जर्मन नागरिक, निवासी या जर्मनी में रह रहे किसी शख्स के खिलाफ की गई गतिविधि दंडनीय है. आतंकी समूह के समर्थन में सोशल मीडिया पर कोई सक्रियता या उनके समर्थन में प्रदर्शन करना गैरकानूनी है.
एसएम/एडी