जर्मनी में होता है तरह तरह का भेदभाव
बीते एक साल के आंकड़े देखने भर से पता चलता है कि लोकतंत्र के पक्के पक्षधर और यूरोप की औद्योगिक महाशक्ति जर्मनी के समाज में आज भी तरह तरह के भेदभाव फैले हैं. इसे विस्तार से जानिए.
ताजा आंकड़े
साल 2021 में भेदभाव के कुल 5,617 मामले दर्ज हुए. ऐसी शिकायतों का रिकॉर्ड रखती है केंद्रीय भेदभावरोधी एजेंसी यानि ADS.
किस ओर जा रहा है देश
सन 2006 से भेदभाव के मामलों में एडीएस अलग से शिकायतें दर्ज कर रही है. संख्या के आधार पर तबसे लेकर 2021 दूसरा सबसे बुरा साल रहा.
सबसे ज्यादा शिकायतें
बीते साल की सबसे ज्यादा शिकायतें नस्लीय भेदभाव से जुड़ी हैं. जबकि हाल ही में जर्मनी में प्रवासी मूल की फेर्डा अटामान ADS की प्रमुख बनीं.
किस किस आधार पर भेदभाव
37 फीसदी के साथ टॉप पर रहा नस्लीय भेदभाव, फिर 32 फीसदी में किसी को उसकी शारीरिक अक्षमता या बीमारी के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा.
धर्म और पहचान का मामला
आंकड़े दिखाते हैं कि 9 फीसदी शिकायतें ऐसी दर्ज हुईं जिनमें लोगों को उनकी धार्मिक मान्यता के कारण तो 4 फीसदी को लैंगिक पहचान के कारण भेदभाव झेलना पड़ा.
लैंगिक भेदभाव का हाल
सालाना रिपोर्ट दिखाती है कि 20 फीसदी मामलों में लिंग के आधार पर भेदभाव की शिकायतें दर्ज हुईं और उनमें भी 10 फीसदी में उम्र वजह रही.
लाखों में है पीड़ितों की संख्या
आधिकारिक शिकायतें कुछ हजार हैं लेकिन एजेंसी की प्रमुख ने अन्य सर्वेक्षणों के हवाले से बताया कि बीते पांच साल में ऐसे असली मामले 1.3 करोड़ के करीब पाए गए हैं.
सरकार की भूमिका
एडीएस की कमिश्नर अटामान ने जर्मन सरकार से अपील की है कि वह मौजूदा कानून में रुकावटें कम कर ऐसे पीड़ितों को उनके अधिकारों का इस्तेमाल करने के बेहतर मौके दें.
सुधारों की मांग
पूर्व पत्रकार और एजेंसी की वर्तमान प्रमुख अटामान की मांग है कि शिकायत दर्ज कराने के लिए आठ हफ्ते की समयसीमा को बढ़ाकर कम से कम एक साल करने की जरूरत है.