जर्मनी को डर, पूर्व पायलट चीन को दे रहे गोपनीय जानकारी
८ जून २०२३जर्मनी ने अतीत में आधिकारिक तौर पर चीन के साथ सैन्य अभ्यास किए हैं. सेनाओं का अपना तकनीकी और सामरिक अनुभव एक-दूसरे के साथ साझा करना आम रवायत है. सर्विस में रहे लोगों का रिटायरमेंट के बाद अपने खास कौशल के साथ प्राइवेट सेक्टर में काम करना भी असामान्य नहीं है.
लेकिन इन दिनों जब ऐसे मामलों के साथ चीन का नाम जुड़ता है, तो इस आम चलन को सावधानी से देखा जाता है. यह बात एक हालिया रिपोर्ट पर आई जर्मनी की कड़ी प्रतिक्रिया से स्पष्ट हो गई. इस रिपोर्ट में एक ऐसे चलन पर रोशनी डाली गई, जो वैसे तो आम है. जर्मन समाचार पत्रिका श्पीगल और पब्लिक ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन वायु सेना से रिटायर हो चुके कुछ पायलट मोटा पैसा दे रहे निजी प्रशिक्षण अनुबंधों पर चीन गए हैं.
जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस अभी एक उच्च-स्तरीय रक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर में हैं. जब यह खबर आई, तो उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू से कहा कि वह उम्मीद करते हैं "यह प्रैक्टिस तुरंत बंद कर दी जाएगी."
यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका के कहने पर जर्मन सरकार चीन से अपने आर्थिक और सामरिक रिश्तों की समीक्षा कर रही है. संसदीय रक्षा समिति के एक सांसद मार्कुस फाबर ने डीडब्ल्यू से कहा, "अब रक्षा मंत्री को इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कदम उठाना चाहिए. ऐसे लोग जिनकी जर्मनी के लिए किए गए उनके काम की प्रकृति के कारण सुरक्षा से जुड़ी प्रासंगिक जानकारियों तक पहुंच है, उनके लिए नियमों को तत्काल सख्त किया जाना चाहिए."
क्या हैं चिंताएं?
काम करना अपने आप में किसी कानून का उल्लंघन नहीं है. लेकिन लीगल ग्रे जोन के कारण जर्मन सरकार के पास जानकारी के इस हस्तांतरण को रोकने की सीमित शक्ति है.
जर्मन रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि सीधे-सीधे गोपनीय जानकारी साझा करने के अलावा, रिटायर हो चुके सैन्यकर्मी और अन्य सरकारी कर्मचारी अपनी दक्षता का इस्तेमाल करने के लिए कमोबेश पूरी तरह आजाद हैं.
बयान के मुताबिक, उनपर "पूर्वप्रभावी" सेवा बाध्यताएं लागू होती हैं. इन बाध्यताओं के कारण उन्हें अपने काम की प्रकृति की जानकारी देनी होती है और "ऐसे विषयों पर गोपनीयता बनाए रखनी होती है, जिनकी उन्हें जानकारी रही हो." इसके बाद मंत्रालय संभावित "हितों के द्वंद्व" की जांच करता है और अगर ऐसा कोई आधार मिला, तो नौकरी से इनकार कर सकता है.
रक्षा मंत्रालय ने चिंता जताई है कि चीन के पायलटों को बस उड़ान से जुड़े बुनियादी दिशानिर्देश ही नहीं मिल रहे हैं, बल्कि नाटो की रणनीति और क्षमताओं की भी जानकारी मिल रही है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसे गोपनीयता का उल्लंघन माना जाएगा या नहीं.
डीडब्ल्यू को दिए अपने बयान में साउथ अफ्रीकी उड़ान अकादमी टीएफएएसए ने किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में डालने की संभावना से इनकार किया. श्पीगल की रिपोर्ट में टीएफएएसए का जिक्र है.
इसका प्रतनिधित्व करने वाली लंदन की एक कम्युनिकेशन्स कंसल्टेंसी ने कहा, "प्रशिक्षण से जुड़े सभी पहलू और सामग्री पूरी तरह से अवर्गीकृत हैं. वे या तो ओपन सोर्स से ली गई हैं या खुद क्लाइंट्स ने उपलब्ध कराई हैं."
चीन की आर्म्ड फोर्सेज "पीपल्स लिबरेशन आर्मी" (पीएलए) पर नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि चीनी विमानकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए रिटायर हो चुके नाटो पायलटों को नौकरी देने का चलन करीब एक दशक पुराना है. यह यूरोपीय संघ के चीन को "प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी" का दर्जा देने से काफी पहले की बात है.
नाटो से जुड़ा मसला
जर्मन वायुसेना पायलटों पर जर्मन मीडिया में आई रिपोर्ट बाकी जगहों पर आई ऐसी ही खबरों के बीच आई है. ब्रिटेन और अमेरिका के पायलटों के भी ऐसे चीनी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने की खबर है. जर्मनी की तरह ब्रिटिश संसद भी ऐसे मामलों में कानून को सख्त बनाने पर विचार कर रही है.
एक मामला अमेरिका के एक पूर्व मरीन पायलट का भी है, जिसे पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में गिरफ्तार किया गया था. डेनियल डगन को चीन में एक कथित ट्रेनिंग प्रोग्राम के सिलसिले में साजिश रचने, हथियारों की तस्करी और मनी लॉन्डरिंग से जुड़े आरोपों में अमेरिका को प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
डेनियल का टीएफएएसए के साथ करार था. उन्होंने आरोपों से इनकार और दावा किया किया कि उनके खिलाफ केस राजनैतिक मंशा से प्रेरित है क्योंकि उनका करार खत्म होने के बाद अमेरिकाऔर चीन के रिश्ते खराब हुए हैं.