जर्मनी: अफगानिस्तान डिपोर्टेशन फिर शुरू करने पर विचार
५ जून २०२४जर्मनी के मानहाइम शहर में पिछले हफ्ते चाकू से किए गए हमले के बाद 5 जून को भी यहां एक नेता पर हमला हुआ. समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक, जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के एक नेता पर चाकू से हमला किया गया.
पिछले हफ्ते भी दक्षिणपंथ से जुड़े एक प्रदर्शन के दौरान चाकू से हमला हुआ था. हमलावर 25 साल का एक अफगानिस्तानी मूल का युवा था. उसने चाकू मारकर छह लोगों को घायल कर दिया था. घायलों में शामिल एक पुलिस अधिकारी की बाद में मौत हो गई. पुलिस ने हमलावर को भी गोली मार दी.
इस वारदात के बाद जर्मनी में माइग्रेशन पर सख्त रुख अपनाने की बात चल रही है. एएफडी इस हमले के संदर्भ में माइग्रेंट पॉलिसी को सख्त बनाने की मांग कर रही है. इसी क्रम में अब आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने कहा है कि जर्मनी ऐसे अफगान प्रवासियों को वापस अफगानिस्तान भेजने पर विचार कर रहा है, जो सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
अफगानिस्तान और सीरिया, दोनों का जिक्र
फेजर ने कहा कि वह कई महीनों से इस मसले पर करीब से नजर रख रही हैं और जितनी जल्द हो सके, फैसला लेने की योजना बना रही हैं. पत्रकारों से बात करते हुए नैंसी फेजर ने कहा, "मेरे लिए यह स्पष्ट है कि ऐसे लोग, जिनसे जर्मनी की सुरक्षा को संभावित तौर पर खतरा है, उन्हें जल्द ही डिपोर्ट किया जाना चाहिए."
अफगानिस्तान के साथ-साथ सीरिया का भी नाम लेते हुए फेजर ने यह भी रेखांकित किया कि उनके लिए जर्मनी के सुरक्षा हित, प्रभावित लोगों के हितों से ज्यादा वजनी हैं. देश की घरेलू सुरक्षा को बाकी पक्षों पर भारी बताते हुए उन्होंने कहा, "हम अपराधी और खतरनाक लोगों को सीरिया और अफगानिस्तान डिपोर्ट करने के तरीके खोजने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं."
कई सवाल और चुनौतियां
हालांकि, ऐसा करना आसान नहीं होगा. जर्मनी ऐसे देशों में लोगों को डिपोर्ट नहीं करता, जहां उनकी जान को खतरा हो. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद जर्मनी ने लोगों को अफगानिस्तान डिपोर्ट करना बंद कर दिया. ऐसे में अब सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे अफगान प्रवासियों को वापस भेजना काफी विवादित कदम होगा.
कुछ तालिबानी अधिकारियों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे होने के कारण तालिबान के साथ बातचीत कर किसी समझौते पर पहुंचना भी आसान नहीं है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी भी अफगानिस्तान डिपोर्ट किए जाने की प्रस्तावित योजना का विरोध कर रही है.
एसएम/सीके (रॉयटर्स)