शरणार्थियों के लिए काम करना आसान बनाएगा जर्मनी
२ नवम्बर २०२३जर्मनी के मंत्रिमंडल ने बुधवार को उस कानून को मंजूरी दे दी है, जो शरण मांग रहे लोगों को जल्दी रोजगार शुरू करने की इजाजत देता है. साथ ही, तस्करी के जुर्म में मिलने वाली सजाएं और कड़ी करने की योजना है. गृहमंत्री नैंसी फेजर ने कहा कि जो लोग शरण मांग रहे हैं, उन्हें जर्मनी आने के तीन या छह महीने में काम करने की इजाजत दी जाएगी. अभी बाहर से आए लोग 9 महीने बाद ही काम शुरू कर सकते हैं. इस कानून को संसद से मंजूरी मिलनी बाकी है.
जर्मनी के वाइस चांसलर रॉबर्ट हाबेक ने कहा कि इस कानून का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शरण मांगने वाले लोग रोजगार में आ सकें. सरकार ने मानव तस्करों पर नकेल कसने के संकेत भी दिए हैं. फेजर ने कहा कि सरकार की योजना तस्करी से जुड़े अधिकतर अपराधों में कम से कम एक साल जेल की सजा का प्रावधान करने की है. अभी इन अपराधों के लिए अधिकतम छह महीने जेल की सजा दी जाती है.
अनुमान है कि तस्करी के दौरान किसी की मौत होने पर 10 साल जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया जाएगा. फेजर ने कहा कि तस्करी से जुड़े सभी अपराधों में पुलिस के पास संदिग्धों के फोन टैप करने का अधिकार होगा.
प्रवासन पर दबाव में सरकार
नए कानून का यह प्रस्ताव ऐसे वक्त आया है, जब सत्ताधारी गठबंधन पर प्रवासन घटाने और इसे नियंत्रित करने का भारी दबाव है. पूरे जर्मनी में आप्रवासियों और शरणार्थियों के लिए बने आश्रय भरते जा रहे हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों का आना जारी है. पिछले सप्ताह जर्मनी के मंत्रिमंडल ने उस कानून को मंजूरी दी थी, जिससे अधिकारियों के लिए ऐसे लोगों को उनके देश वापस भेजना आसान हो जाएगा, जिनकी शरण का आवेदन खारिज हो चुका है.
मानवाधिकार समूहों और ग्रीन पार्टी की यूथ विंग ने इस कानून को 'अमानवीय' बताते हुए इसकी तीखी आलोचना की थी. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स अगले सोमवार को जर्मनी के सभी 16 राज्यों के प्रीमियर के साथ बैठक करने वाले हैं. अनुमान है कि इस बैठक में प्रवासन सबसे अहम मुद्दा रहेगा. रूढ़िवादी विपक्षी पार्टी सीडीयू ने पिछले महीने कई राज्यों के चुनाव में जीत हासिल की, क्योंकि प्रवासन का मुद्दा जर्मनी के मतदाताओं के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है.
कैसे बदलेंगे नियम?
फेजर ने कहा कि शरण मांग रहे जिन लोगों के आवेदन रद्द हो गए हैं, वे बीमारी समेत कई कारणों के चलते अपने देश वापस नहीं भेजे जा सकते. ऐसे लोगों को भविष्य में काम करने की इजाजत दी जाएगी. जो लोग 'सुरक्षित मूल देशों' की श्रेणी वाले देशों से आते हैं, जिनके जर्मनी में रहने की कोई वजह नहीं है या जिन्होंने अपनी पहचान बताने से इनकार किया है, उन्हें काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
जर्मनी की सरकार एक ओर नए आप्रवासियों से जूझ रही है, दूसरी ओर कुशल कर्मचारियों की कमी से भी संघर्ष कर रही है. फेजर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने बुधवार को जिस कानून को मंजूरी दी है, वह लोगों को जल्द रोजगार दिलाने के लिए महत्वपूर्ण था. उन्होंने कहा, "यह मुख्य रूप से उन लोगों पर केंद्रित है, जो पहले से जर्मनी में हैं. हमारा मानना है कि एकीकरण (इंटीग्रेशन) के लिए इन लोगों को जल्द रोजगार में आना मददगार है. जाहिर है कि जब बाहर से आए लोग काम भी करते हैं, तो बाकी आबादी में उनकी स्वीकार्यता बढ़ती है."
वीएस/एसबी (एपी, एएफपी)