जर्मनी में 11 लाख शरणार्थियों के लिए घर की दिक्कत
११ अक्टूबर २०२२जर्मन सरकार ने शहरों और कस्बों को शरणार्थियों के लिए घर का इंतजाम करने में ज्यादा मदद देने का भरोसा दिया है. राज्य और शहरों के अधिकारियों से मुलाकात के बाद गृह मंत्री नैंसी फेजर ने कहा कि सरकार तुरंत 4,000 और संपत्तियां मुहैया करायेगी ताकि मौजूदा दबाव को कुछ हल्का किया जा सके. इसके पहले 10 हजार से ज्यादा लोगों के लिए संघीय इमारतों को खोला गया था. गृहमंत्री ने आर्थिक मदद देने की भी बात कही है लेकिन यह कितनी होगी इसका ब्यौरा नहीं दिया.
टेंट लगाने की नौबत
जर्मनी के कई शहरों में टेंट लगाने और कन्वेंशन सेंटरों को अस्थायी आवास में बदलने की नौबत आ गई है. शरणार्थियों के लिए पहले से मौजूद जगहें भर चुकी हैं और वहां उनकी क्षमता से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं. फेजर ने पत्रकारों से कहा, "मैं इसे कम करके नहीं बताना चाहती, हमारे सामने एक तनावपूर्ण स्थिति है इसलिए हमने इस पर चर्चा की है कि शरणार्थियों को हमारी मदद के लिए कैसे बेहतर सहयोग किया जाये खासतौर से तब जब सर्दियों के महीने आ रहे हैं."
यूक्रेन पर रूसी हमले के बादकेवल यूक्रेन से ही 10 लाख से ज्यादा लोग जर्मनी में दाखिलहुए. इनमें से करीब एक तिहाई संख्या बच्चों और किशोरों की है जबकि वयस्क लोगों में 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं. हालत यह है कि इनकी वजह से जर्मनी की जनसंख्या तेजी से बढ़ कर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
फेजर का कहना है, "यह एक बड़ी मानवीय कोशिश है कि यूक्रेन से आये शरणार्थियों का अच्छे से ख्याल रखा जाये, उन्हें घर मिले, बच्चों को डे-केयर सेंटर और स्कूल मिले साथ ही उन्हें सामाजिक सहयोग भी दिया जाये." फेजर ने यह भी कहा कि जर्मनी और ज्यादा शरणार्थियों के आने की उम्मीद कर रहा है क्योंकि रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिये हैं और वहां लोगों को ठंड के मौसम में अपनी जान बचाने के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है.
यूक्रेनी लोगों का स्वागत पर औरों का नहीं
जर्मन मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ज्यादा यूक्रेनी लोगों का स्वागत करने के लिए तैयार है लेकिन दूसरे देशों से आ रहे लोगों के साथ इस तरह का रवैया नहीं रहेगा. खासतौर से बाल्कन देशों के रास्ते जर्मनी में आ रहे शरणार्थियों के लिए उन्होंने यह बात कही.
इस साल सितंबर के आखिर तक कुल 134,908 लोगों ने जर्मनी में शरण के लिए आवेदन किया है. यह पिछले साल इसी अवधि की तुलना में करीब एक तिहाई ज्यादा है. हालांकि 2015-16 की तुलना में अब भी कम है जब सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के 10 लाख से ज्यादा लोगों ने जर्मनी से शरण मांगा था. 2022 में शरण मांगने वालों की संख्या इसलिए कम है क्योंकि यूक्रेन से आले बिना वीजा के यहां आ सकते हैं और उन्हें शरण के लिए आवेदन नहीं करना है.
दूसरे देशों से आ रहे शरणार्थियों को रोकने के लिए जर्मनी ऑस्ट्रिया की सीमा पर नियंत्रण छह महीने के लिए बढ़ा रहा है. साथ ही चेक गणराज्य से लगती सीमा पर भी सख्ती बढ़ाई जा रही है. ऑस्ट्रिया और चेक रिपब्लिक ने भी स्लोवाकिया से लगती सीमा पर पिछले महीने अस्थायी नियंत्रण बढ़ा दिया जिससे कि आप्रवासियों को रोका जा सके.
जर्मनी, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया सभी यूरोपीय संघ के वीजा मुक्त शेंगेन जोन में शामिल हैं. यहां के निवासी बिना वीजा पासपोर्ट के एक दूसरे देश में आ जा सकते हैं. हालांकि शेंगेन देशों ने पहले भी अस्थायी रूप से सीमा पर नियंत्रण लगाये हैं. इसमें प्रवासियों को रोकना और कोरोना के दौर में लगाई गई पाबंदियां भी शामिल हैं.
सर्बिया को खरी खरी
जर्मनी ने गैर यूरोपिय देशों के साथ वीजा मुक्त आवाजाही के लिए सर्बिया की तीखी आलोचना भी की है. सर्बिया यूरोपीय संघ का सदस्य बनने की राहह पर है लेकिन अभी बना नहीं है. भारत समेत कई और देशों के लोग सर्बिया के रास्ते गैरकानूनी रूप से यूरोपीय देशों में आ रहे हैं. ये लोग पहले सर्बिया आ जाते हैं और उसके बाद बाल्कन रूट से यूरोप के अमीर देशों में घुसने की कोशिश करते हैं.
गृह मंत्री फेजर का कहना है, "स्पष्ट है कि सर्बिया की वीजा नीति स्वीकार्य नहीं है. इसकी वजह से बाल्कन रूट पर भी आवाजाही हो रही है. सर्बियो को यूरोपीय संघ की वीजा नीति अपनानी चाहिये, जर्मनी उससे यही उम्मीद रखता है."
एनआर/आरपी (एपी, एएफपी)