जर्मनी ने भी की राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई पर टिप्पणी
३० मार्च २०२३कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने पर दुनियाभर में चर्चा हो रही है. जर्मन विदेश मंत्रालय ने भी इस मामले पर टिप्पणी की है. बुधवार को जर्मन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि वे स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं होगा.
जर्मनी के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, "हम भारत में विपक्षी राजनेता राहुल गांधी के खिलाफ अपनी तरह के पहले फैसले और उसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द किए जाने पर नजर बनाए हुए हैं. हमारी जानकारी है कि राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ अपील करने की स्थिति में हैं. तब यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह फैसला टिकता है या नहीं और उनकी संसद सदस्यता रद्द किए जाने का कोई आधार है या नहीं. हम उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता और मूलभूत लोकतांत्रिक मूल्यों का राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई में समानतापूर्वक पालन किया जाएगा."
मानहानि के एक मामले में सूरत की स्थानीय अदालत ने राहुल गांधी को दोषी पाया था और उन्हें दो साल की जेल सुनाई थी. उसके बाद राहुल गांधी की लोक सभा की सदस्यता रद्द कर दी गई.
राहुल गांधी का समर्थन
भारत के जन प्रतिनिधित्व कानून और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2013 में की गई विवेचना के मुताबिक लोक सभा या किसी भी विधान सभा के सदस्य की सदस्यता रद्द होने के लिए उसका दोषी पाया जाना और कम से कम दो साल की जेल की सजा पाना काफी है. लेकिन सजा पाया सांसद यदि किसी ऊपरी अदालत से अपने खिलाफ आए फैसले पर रोक हासिल कर ले तो उसकी सदस्यता बच सकती है.
विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ही बढ़ रहे हैं कानूनी मामले
कांग्रेस ने कहा है कि फैसले में कई समस्याएं हैं जिनके आधार पर फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी. अदालत का फैसला गुजराती में है और 170 पृष्ठों में है. कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फैसले का अनुवाद करवा कर उसकी बारीकियां समझने में समय लग सकता है.
इस बीच कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम के विरोध में लगातार सक्रिय बनी हुई है. उसके कार्यकर्ता देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं और कई विपक्षी दलों ने भी उनका समर्थन किया है. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा कि जिस तरह के मामले में राहुल गांधी को मानहानि का दोषी पाया गया है, वैसा ही मामला प्रधानमंत्री के खिलाफ भी बनता है.
डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा, "अगर कथित तौर पर मोदी समुदाय का अपमान करने के लिए राहुल गांधी को दो साल के लिए अयोग्य करार दिया जा सकता है तो फिर भारत के प्रधानमंत्री को क्यों भी वही सजा क्यों नहीं मिलनी चाहिए जिन्होंने बंगाल में उपहास के लिए ‘दीदी ओ दीदी' कहा था? क्या वह महिलाओं का अपमान नहीं था? क्यों प्रधानमंत्री को दो साल की सजा नहीं होनी चाहिए?"
विपक्ष भी हमलावर
इस हफ्ते राहुल गांधी को सरकारी घर खाली करने का निर्देश मिलने के बाद उनके समर्थन में कई लोगों ने ट्वीट कर उन्हें अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया.
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जानेमाने फिल्म अभिनेता प्रकाश राज ने एक ट्वीट कर राहुल गांधी को अपने घर में रहने का न्योता दिया. उन्होंने लिखा, "हर उस व्यक्ति का घर आपका घर है जो हमारे देश को इन आताताइयों से बचाना चाहता है. भारत आपका घर है. आपका स्वागत है. आपको और ताकत मिले."
सेवानिवृत्त नौकरशाह और लेखक एनएन ओझा ने ट्विटर पर लिखा, "मैं जानता हूं कि 12 तुगलक लेन खाली करने के बाद राहुल गांधी के पास करोड़ों लोगों का न्यौता है, फिर भी मैं अपना विनम्र आमंत्रण उनमें जोड़ना चाहूंगा.”
इस बीच बीजेपी नेता भी राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गांधी खुद को अदालत से ऊपर समझते हैं. उन्होंने कहा, "वह सोचते हैं कि कोई भी कोर्ट उनके खिलाफ कोई फैसला कैसे दे सकती है. उनको लगता है कि अगर संविधान की धारा 102 में अयोग्य करार दिए जाने का प्रावधान है तो वह उनके ऊपर लागू नहीं होना चाहिए.”